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    Haryana Politics: 'सभी को भूपेंद्र हुड्डा के हिसाब से ही चलना होगा', विरोध के बीच कांग्रेस प्रभारी बीके हरिप्रसाद की दो टूक

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 05:45 PM (IST)

    हरियाणा कांग्रेस अब राजनीतिक मामलों की कमेटियां बनाएगी जो राज्य और जिला स्तर पर राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करेंगी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विपक्ष के नेता बनने के बाद सभी विधायकों को उनके अनुसार चलने का निर्देश दिया गया है। बीके हरिप्रसाद ने बृजेंद्र सिंह की सद्भावना यात्रा को अस्वीकृत किया और भाजपा सरकार पर संस्थानों को बंद करने का आरोप लगाया।

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    भूपेंद्र सिंह हुड्डा को लेकर बीके हरिप्रसाद का बड़ा बयान। फोटो जागरण

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में जिलाध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष और विपक्ष का नेता बनाने के बाद कांग्रेस पार्टी अब पालिटिकल अफेयर्स (राजनीतिक मामलों की) कमेटियों का गठन करेगी। एक कमेटी राज्य स्तर पर बनेगी और बाकी कमेटियां हर जिले में गठित की जाएंगी।

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    इनका काम जिला व राज्य स्तरीय राजनीतिक मामलों पर चर्चा करने, आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर उसे अंतिम रूप देने तथा जिला व राज्य स्तरीय राजनीतिक मामलों के बारे में हाईकमान को अवगत कराने का होगा। कांग्रेस की ओर से जल्द ही राज्य स्तरीय अनुशासन कमेटी का भी गठन किया जाएगा, ताकि पार्टी संगठन में सब कुछ ठीक तरीके से चलता रहे।

    हरिप्रसाद ने यह भी कहा कि अब भूपेंद्र सिंह हुड्डा विपक्ष के नेता बन चुके हैं। इसलिए सभी विधायकों को उनके हिसाब से चलना होगा, ताकि पार्टी को मजबूती मिल सके। हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने पार्टी जिलाध्यक्षों व बीएलए-वन की बैठक के बाद मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए पालिटिकल अफेयर्स कमेटियों व अनुशासन समिति के गठन की जानकारी दी।

    बृजेंद्र सिंह की सद्भावना यात्रा अधिकृत यात्रा नहीं

    हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राव नरेंद्र की मौजूदगी में प्रभारी ने पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह की सद्भावना यात्रा को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और राहुल गांधी के हाथ कोई भी मजबूत कर सकता है। हर किसी को ऐसी यात्राएं निकालने का अधिकार है, लेकिन बृजेंद्र सिंह की सद्भावना यात्रा हरियाणा कांग्रेस कमेटी की अधिकृत यात्रा नहीं है।

    इस बारे में कांग्रेस हाईकमान की तरफ से हमारे साथ किसी तरह का अधिकृत संवाद नहीं हुआ है। हरियाणा की भाजपा सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताते हुए बीके हरिप्रसाद ने कहा कि कर्नाटक में उनके राज्य में एक-एक पंचायत में पांच-पांच मेडिकल कालेज हैं, लेकिन हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में जो शिक्षण व चिकित्सा संस्थान थे, भाजपा सरकार ने उन्हें भी बंद कर दिया है।

    बीरेंद्र व बृजेंद्र विधायक नहीं, सभी को हुड्डा के हिसाब से चलना होगा

    बीके हरिप्रसाद ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कांग्रेस का कोई भी नेता बृजेंद्र सिंह की सद्भावना यात्रा में शामिल हो सकता है, क्योंकि वे पार्टी को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं।

    पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह से जुड़े सवाल पर प्रभारी ने कहा कि न तो बीरेंद्र सिंह और न ही बृजेंद्र सिंह विधायक हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा विपक्ष के नेता हैं। उनके हिसाब से ही सारे विधायकों को चलना होगा। इस पर प्रभारी के पास बैठे भूपेंद्र हुड्डा ने सवाल करने वाले मीडियाकर्मी से कहा कि बीरेंद्र सिंह रिश्ते में मेरे भाई लगते हैं। यह हमारे परिवार का मामला है।

    हम आपस में बैठकर बात कर लेंगे कि कांग्रेस को कैसे मजबूत करना है। हरिप्रसाद ने प्रदेश पदाधिकारियों की घोषणा की समय अवधि से जुड़े सवाल पर कहा कि पार्टी ने अध्यक्ष और विपक्ष का नेता दोनों बना दिये हैं। अब यह दोनों जितनी जल्दी राज्य के सभी नेताओं व कार्यकर्ताओं से बात कर प्रदेश पदाधिकारियों की सूची हमें सौंप देंगे, उतनी जल्दी उनकी घोषणा कर दी जाएगी।

    केंद्रीय पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट और सभी से बात कर हुई हुड्डा व राव की नियुक्तियां

    प्रदेश अध्यक्ष राव नरेंद्र द्वारा यह कहने पर कि उनकी नियुक्ति में किसी नेता की सिफारिश नहीं है, बीके हरिप्रसाद ने राजनीतिक जवाब दिया। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक दल का नेता चुनने की एक प्रक्रिया होती है। कांग्रेस पर्यवेक्षकों अशोक गहलोत, प्रताप बाजपा व अजय माकन की कमेटी ने भूपेंद्र हुड्डा को कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाने के लिए हाईकमान को अपनी रिपोर्ट दी थी, जिसके आधार पर हुड्डा का नाम तय हुआ है।

    इसी तरह अध्यक्ष बनाने से पहले हुड्डा, सुरजेवाला, सैलजा, दीपेंद्र, बीरेंद्र सिंह, बृजेंद्र सिंह, दान सिंह और अजय यादव समेत कई नेताओं से बात हुई। तब जाकर राव नरेंद्र के नाम पर सहमति बनी। यह बात भी सही है कि नाम तय होने से पहले अध्यक्ष के लिए कई दावेदार होते हैं, लेकिन नाम तय हो जाने के बाद सभी को अध्यक्ष के हिसाब से चलना होता है।