हरियाणा में जिनके पहले बेटा नहीं उन गर्भवती महिलाओं पर नजर रखेंगी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, लिंगानुपात सुधारने के लिए अनोखी पहल
हरियाणा सरकार ने लिंगानुपात सुधारने हेतु एक नई योजना बनाई है। लगभग 21 हजार ऐसी गर्भवती महिलाओं को चिह्नित किया गया है जिनके पहले बेटा नहीं है। आशंका ह ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में लिंगानुपात को सुधारने के प्रयासों के तहत अब सरकार ने नई कार्ययोजना बनाई है। प्रदेश के गांव और शहरों के पिछड़े क्षेत्रों में करीब 21 हजार गर्भवती महिलाएं चिह्नित की गई हैं, जिनके पास बेटा नहीं है।
पहले से बेटी होने पर गर्भवती महिलाओं द्वारा लिंग जांच और गर्भपात कराने की अधिक आशंका होती है, इसलिए इन पर आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता विशेष नजर रखेंगी। आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को गर्भवती महिलाओं की पहचान करने का जिम्मा सौंपा गया था।
छह महीने में कुल 54 हजार 868 महिलाएं गर्भवती निकली, जिनमें से 20 हजार 722 के पास पहले कोई बेटा नहीं है। नेशनल हेल्थ मिशन के डाटा के अनुसार बिना बेटे या केवल बेटी संतान वाली सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाएं जींद जिले में हैं। इसके बाद हिसार व रोहतक का नंबर आता है।
अवैध गर्भपात में निजी अस्पतालों या फिर अवैध रूप से एमटीपी किट बेचने वाले मेडिकल स्टोर संचालकों की अधिक भूमिका रहती है। स्वास्थ्य विभाग ने निर्देश जारी किए है कि कोई निजी अस्पताल या मेडिकल स्टोर संचालक अवैध लिंग जांच और भ्रूणहत्या में शामिल मिलता है तो तुरंत उसका लाइसेंस रद करते हुए कानूनी कार्रवाई की जाए।
लिंगानुपात को सुधारने में 11 जिलों का प्रदर्शन खराब है, जिसके चलते संबंधित मुख्य चिकित्सा अधिकारियों से जवाब तलब किया गया है। इनमें चरखी दादरी, करनाल, सिरसा, हिसार, अंबाला, यमुनानगर, सोनीपत, कैथल, महेंद्रगढ़, भिवानी और पलवल शामिल हैं।
हाल ही में स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल की अध्यक्षता में हुई राज्य टास्क फोर्स (एसटीएफ) की बैठक में यह मुद्दा उठा था। जिन जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी परफार्मेंस नहीं दिखा रहे, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।

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