Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भारतीय युवाओं के लिए विश्वभर में नए दरवाजे खुल रहे, बिना प्रमाण किसी बात की पुष्टि नहीं करता, किसने किया यह दावा

    By Sohan Lal Edited By: Sohan Lal
    Updated: Sat, 06 Dec 2025 04:49 PM (IST)

    केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत विज्ञान के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू रहा है। पंचकूला में आयोजित इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल का उद ...और पढ़ें

    Hero Image

    पंचकूला में आईआईएसएफ के उद्घाटन सत्र में पहुंचे केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डाॅ. जितेंद्र सिंह।

    जागरण संवाददाता, पंचकूला। भारत अपने वैज्ञानिक इतिहास के सर्वश्रेष्ठ चरण से गुजर रहा है। भारतीय युवाओं के लिए विश्वभर में नए दरवाजे खुल रहे हैं और यह भारत की बदली हुई वैज्ञानिक एवं तकनीकी शक्ति का परिणाम है। यह दावा केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डाॅ. जितेंद्र सिंह ने पंचकूला में इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (आईआईएसएफ) के उद्घाटन सत्र में किया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मंत्री ने कहा-मैं एक वैज्ञानिक हूं, बिना प्रमाण किसी बात की पुष्टि नहीं करता। जब मैं कहता हूं कि भारत के लिए बेहतर समय आ रहा है, तो उसके पीछे ठोस कारण हैं। आज पूरी दुनिया भारत को नई नजर से देख रही है।

    तकनीक और विज्ञान के क्षेत्र में भारत की टीम वैश्विक मंच पर एक के बाद एक बड़ी सफलताएं दर्ज कर रही है। भारत में विज्ञान के कई महत्वपूर्ण पहलू आज भी मुख्यधारा मीडिया में पर्याप्त स्थान नहीं पाते। ऐसे में इस फेस्टिवल का प्रमुख उद्देश्य विज्ञान को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाना है।

    इसी उद्देश्य से इस चार दिवसीय आयोजन के सत्रों की योजना अलग और विशेष रूप से तैयार की गई है, जिसमें बच्चों, काॅलेज छात्रों, महिलाओं, जनजातीय समुदाय, संभावित स्टार्टअप उद्यमियों और उद्योग क्षेत्र के लिए अलग-अलग समर्पित सत्र शामिल किए गए हैं, ताकि हर समूह को विज्ञान से जुड़ने का अवसर मिले।

    उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक संवाद के साथ-साथ यह आयोजन युवाओं के करियर निर्माण के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। यहां आए युवा आने वाले चार दिनों में अपने करियर के नए रास्ते खोजेंगे। यह औपचारिक और अनौपचारिक दोनों तरह की नेटवर्किंग का सुनहरा अवसर है।

    सेलिब्रेशन, कम्युनिकेशन और करियर

    कई युवा मार्गदर्शन पाने वाले विशेषज्ञों से मिलेंगे, जबकि कई अनुभवी व्यक्ति ऐसे प्रतिभाशाली युवाओं की तलाश में हैं जो उनके साथ काम कर सकें।” डा. सिंह के अनुसार, इस फेस्टिवल को “थ्री सी”—सेलिब्रेशन, कम्युनिकेशन और करियर—से परिभाषित किया जा सकता है, जो इस आयोजन की आत्मा है।

     

    उन्होंने कहा कि पंचकूला जैसा उभरता हुआ शहर इस फेस्टिवल के लिए आदर्श स्थान है। यह आयोजन ऐसे समय में हो रहा है, जब भारतीय प्रतिभा का वैश्विक सम्मान आज अभूतपूर्व स्तर पर है। “पहले विदेश में सिर्फ ‘मैं भारत से हूं’ कहने भर से अवसर नहीं खुलते थे, लेकिन आज स्थिति बदल गई है। 

    वैज्ञानिक उपलब्धियों का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया में कुछ कार्य ऐसे होते हैं जिनके उदाहरण बार-बार दिए जाते हैं, जैसे फिल्मों में ‘मदर इंडिया’ और अमिताभ बच्चन की ‘दीवार’। इसी तरह विज्ञान में भी ऐतिहासिक उपलब्धियों का प्रभाव पीढ़ियों तक बना रहता है।

    “अमेरिका ने 50 वर्ष पहले चांद पर कदम रखकर इतिहास रचा था और उस वक्त कहा गया—‘मनुष्य का एक छोटा कदम, मानवता की एक बड़ी छलांग’—आज भी उद्धृत किया जाता है। चंद्रयान-3 की सफलता ने भारत को उसी स्तर पर खड़ा कर दिया है। अब दुनिया हमारी वैज्ञानिक उपलब्धियों को मिसाल के रूप में पेश कर रही है।

    उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में भारत ने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त ऐसे काम किए हैं, जो भविष्य की वैज्ञानिक यात्रा को दिशा दे रहे हैं। वैश्विक सफलता का एक मॉडल तैयार किया है जिसे दुनिया स्वीकार कर रही है।

    आने वाले वर्षों में भारत विज्ञान और नवाचार के क्षितिज पर और भी बड़े मानक स्थापित करेगा। डाॅ. सिंह ने विश्वास व्यक्त किया कि यह फेस्टिवल भारत की वैज्ञानिक सोच, नवाचार क्षमता और युवा ऊर्जा को नई उड़ान देगा और विज्ञान को वास्तव में समाज की मुख्यधारा में स्थापित करेगा।