अक्सर सिस्टम से लड़ते रहे IPS पूरन कुमार, अपने ही DGP की कर दी थी शिकायत; सरकारी वाहन लेने से भी कर दिया था इनकार
हरियाणा कैडर के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार ने आत्महत्या कर ली। वे अपनी पदोन्नति पर सवाल उठाने पूर्व डीजीपी पर उत्पीड़न का आरोप लगाने और सरकारी आवासों पर अवैध कब्जे के खिलाफ आवाज उठाने जैसे विवादों के कारण सुर्खियों में रहे थे। उन्होंने एक अधिकारी एक आवास की नीति लागू करने की अपील की थी।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा कैडर के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार ने मंगलवार को आत्महत्या कर ली। सुसाइड करने से न केवल अफसरशाही में हड़कंप मच गया। साथ ही आत्महत्या से कई सवाल भी खड़े हो गए हैं। पूरन कुमार का विवादों से गहरा नाता रहा है। वे अक्सर सिस्टम से लड़ते रहे।
इन विवादों से रहे सुर्खियों में
- पिछले साल हरियाणा में 1991, 1996, 1997 और 2005 बैच के अधिकारियों की पदोन्नति पर सवाल उठाते हुए हरियाणा सरकार को वाई पूरन कुमार ने चिट्ठी लिखी थी। आरोप लगाया था कि वित्त विभाग ने गृह विभाग के नियमों को अनदेखा करते हुए यह पदोन्नतियां कराईं। इस संबंध में उन्होंने 11 अक्टूबर 2022 को गृह विभाग के तत्कालीन सचिव राजीव अरोड़ा को भी अवगत कराया था। उन्होंने अपनी प्रमोशन और सैलरी फिर से तय होने की बात भी कही थी।
- वाई पूरन कुमार ने अंबाला के एसपी को शिकायत देकर पूर्व डीजीपी मनोज यादव पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज करने की गुहार लगाई थी। शिकायत के मुताबिक वे तीन अगस्त 2020 को सार्वजनिक अवकाश के दिन शहजादपुर थाने में बने मंदिर में गए थे। इसके बाद 17 अगस्त 2020 को तत्कालीन डीजीपी मनोज यादव ने पत्र लिखकर जवाब तलब कर लिया कि क्या थाने में मंदिर स्थापित करने से पहले हरियाणा सरकार से अनुमति ली गई थी। इसके बाद पूरन कुमार अनुसूचित जाति आयोग के पास भी अपनी शिकायत लेकर गये थे, जिस पर आयोग ने सरकार से जवाब तलब किया था।
- वाई पूरन कुमार ने एक बार सरकारी वाहन लेने से इंकार कर दिया था। उनका तर्क था कि उन्हें पुरानी होंडा सिटी कार दी जा रही है, जबकि विभाग में कई अधिकारियों के पास नई इनोवा क्रिस्टा कारें थीं। इस दौरान उन्होंने सरकारी वाहन ही वापस कर दिया था।
- वाई पूरन कुमार ने उन आइपीएस अधिकारियों के खिलाफ भी शिकायत की थी जो कि एक से ज्यादा सरकारी आवासों पर कब्जा जमाए हुए थे। इस दौरान उन्होंने एक अधिकारी एक आवास की नीति लागू करने की अपील की थी। इसके बाद संबंधित अधिकारियों से एक सरकारी मकान खाली कराते हुए जुर्माना राशि वसूली गई थी।
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