पराली के धुएं से भी घुला हवा में 'जहर', इस बार टूट गए रिकॉर्ड, जानें सबसे ज्यादा कहां फैला प्रदूषण
दीपावली पर आतिशबाजी और पराली जलाने से उत्तर भारत में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया। सोमवार को 217 स्थानों पर पराली जलाई गई, जिसमें उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मामले आए। एनजीटी की सख्ती के बावजूद, इस सीजन में 1729 स्थानों पर पराली जली। पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई की जा रही है।

पराली जलाता किसान (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, पंचकूला। दीपावली के दिन जमकर आतिशबाजी से जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक अधिकतर शहरों में (एक्यूआइ) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया, वहीं किसानों ने भी पराली (धान के फसल अवशेष) जलाकर हवा में खूब 'जहर' घोला।
साेमवार को पूरे उत्तर भारत में 217 स्थानों पर पराली जलाई गई। पंजाब में 45, हरियाणा में 13, उत्तर प्रदेश में 77, राजस्थान में 38 और मध्य प्रदेश में 45 स्थानों पर फसल अवशेष जलाए गए। अगले दिन मंगलवार को पंजाब में 62, हरियाणा में चार, उत्तर प्रदेश में 103, राजस्थान में 41 और मध्य प्रदेश में 58 स्थानों पर फसल अवशेष जलाए गए।
यूपी में पराली के सबसे ज्यादा आए मामले
सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) की सख्ती के बावजूद अभी तक मौजूदा सीजन में पूरे उत्तर भारत में कुल 1729 स्थानाें पर पराली जलाई जा चुकी है। इस दौरान उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 660, पंजाब में 415, हरियाणा में 55, राजस्थान में 253 और मध्य प्रदेश में 343 मामले सामने आए हैं।
13 जगहों पर जली पराली
सीजन में यह पहली बार है जब हरियाणा में एक ही दिन में सोमवार को 13 स्थानों पर पराली जलाई गई है। इससे पहले 15 और 19 अक्टूबर को सात-सात स्थानाें पर फसल अवशेष जले थे। मंगलवार को कैथल और करनाल में दो-दो स्थानों पर फसल अवशेष जलाए गए। पराली जलाने वाले किसानों के कृषि दस्तावेजों में रेड एंट्री की गई है, जिससे वह आगामी दो सीजन तक अपनी फसल मंडी में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं बेच सकेंगे।
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