Panchkula Suicide Case नाबालिग के साथ विश्वासघात गंभीर अपराध, आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले को 20 साल की सजा
पंचकूला में 2020 में एक नाबालिग लड़की ने आत्महत्या कर ली थी जिसके सुसाइड नोट में देशराज नामक व्यक्ति पर दुष्कर्म और धमकी देने के आरोप लगाए गए थे। अदालत ने देशराज को दोषी मानते हुए 20 साल की सजा सुनाई है और जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने इसे गंभीर अपराध माना है क्योंकि देशराज ने नाबालिग को आत्महत्या के लिए मजबूर किया था।

जागरण संवाददाता, पंचकूला। 17 वर्षीय छात्रा के आत्महत्या के चर्चित मामले में पंचकूला की अदालत ने दोषी को 20 साल की कठोर कैद की सजा सुनाई है। 50 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है। यह फैसला करीब चार साल चली लंबी सुनवाई के बाद सुनाया गया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि नाबालिग के साथ विश्वासघात, शोषण और लगातार धमकियों ने उसे आत्महत्या के लिए मजबूर किया, जो गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।
वर्ष 2020 में यह मामला सामने आया था। 12 अक्टूबर को 17 वर्षीय छात्रा ने सेक्टर 14 स्थित अपने घर में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। यह कदम उठाने से पहले उसने तीन पन्नों का सुसाइड नोट लिखा था। इस सुसाइड नोट में सेक्टर 12 स्थित गांव रैली निवासी देशराज पर गंभीर आरोप लगाए गए थे।
पीड़िता ने अपने नोट में लिखा था कि देशराज ने उसे झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया और बाद में लगातार धमकाने लगा। लगातार मानसिक दबाव और डर के माहौल में जी रही नाबालिग ने आखिरकार अपनी जान दे दी थी।
घटना के बाद पीड़िता के परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने देशराज के खिलाफ पाॅक्सो एक्ट और आत्महत्या के लिए उकसाना पर आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। डिप्टी डिस्ट्रिक्ट अर्टानी एडवोकेट सुखविंदर कौर ने बताया कि इस मामले की सुनवाई के दौरान कई गवाहों के बयान हुए और साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने देशराज को दोषी करार दिया है।
सुसाइड नोट में लड़की ने यह लिखा था
मैं जानती हूं जो मैंने किया वह गलत था। शायद आप मुझे कभी माफ नहीं कर पाएंगे। लेकिन देशराज ने कसम खाई थी कि वह मुझे कभी नहीं छोड़ेगा। मैंने उस पर भरोसा करके सबसे बड़ी गलती की। मैं डरती थी कि अगर मैं उसे छोड़ दूं तो वह सबको हमारे बारे में बता देगा। पढ़ाई पर ध्यान नहीं लग रहा था और नींद भी नहीं आती थी। मैं चाहती हूं कि वह और किसी लड़की की जिंदगी बर्बाद न करे।
सुसाइड नोट में यह भी खुलासा हुआ था कि आरोपित ने पीड़िता को गर्भपात की पांच गोलियां दी थीं, जिनमें से तीन उसने खा ली थीं। इस केस की इन्वेस्टिगेशन आफिसर रीटा वालिया ने बताया कि उस समय इस मामले में पुलिस ने आरोपित देशराज के खिलाफ पास्को एक्ट की धारा 4 और आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत केस दर्ज किया था और सभी पहलुओं की जांच करने के बाद अदालत के समक्ष सुबूत पेश किए गए। जिस आधार पर आखिरकार सजा सुनाई गई है।
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