Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'बिना सूचना पेंशन कटौती अवैध', पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने बैंकों को लगाई कड़ी फटकार

    Updated: Tue, 18 Nov 2025 03:36 PM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पेंशनरों के हित में फैसला सुनाते हुए बिना सूचना पेंशन कटौती को अवैध बताया। कोर्ट ने आरबीआई को बैंकों को निर्देश देने का आदेश दिया कि पेंशन खातों से एकतरफा कटौती न की जाए। यह फैसला कैथल नगर परिषद के एक सेवानिवृत्त अधिकारी की याचिका पर आया, जिनके पेंशन खाते से बैंक ने बिना सूचना कटौती की थी। कोर्ट ने बैंक की कार्रवाई को मनमानी बताते हुए ब्याज सहित राशि वापस करने का आदेश दिया।

    Hero Image

    पेंशनरों को मिली बड़ी राहत, एक पेंशनर के खाते से बिना बताए काटी गई रकम छह प्रतिशत ब्याज केसाथ वापस लौटानी होगी (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पेंशनरों के हित में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि “अधिक भुगतान” या किसी भी अन्य कारण का हवाला देकर बिना पूर्व सूचना, सहमति और नोटिस के पेंशन से की गई कटौती न केवल अवैध है, बल्कि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का घोर उल्लंघन भी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कोर्ट ने इस दिशा में सख्त कदम उठाते हुए रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आरबीआइ) को आदेश दिया है कि वह सभी एजेंसी बैंकों को स्पष्ट निर्देश जारी करें कि पेंशन खातों से एकतरफा या अचानक कटौती न की जाए।

    यह फैसला कैथल नगर परिषद के एक सेवानिवृत्त कार्यकारी अधिकारी की याचिका पर सुनाया गया। याचिकाकर्ता ने बताया कि उनके पेंशन खाते से पंजाब नेशनल बैंक ने बिना किसी पूर्व सूचना या चेतावनी के छह लाख 63 हजार 688 रुपये काट लिए। बैंक ने इसे “अधिक पेंशन” की वसूली बताया था, परंतु न तो उसे कोई नोटिस मिला और न ही अपनी बात रखने का मौका दिया गया।

    जस्टिस हरप्रीत बराड़ ने सुनवाई के दौरान कहा कि पेंशन एक सेवानिवृत्त कर्मचारी के जीवन की अंतिम अवस्था में उसकी आर्थिक सुरक्षा का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है। अचानक की गई कटौतियां न केवल उसकी योजनाओं को तहस-नहस कर देती हैं, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य, गरिमा और स्थिरता पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।

    उन्होंने टिप्पणी की कि अधिकतर पेंशनर्स चिकित्सा, दवाइयों और दैनिक जरूरतों के लिए पूरी तरह से पेंशन पर ही निर्भर रहते हैं, ऐसे में बिना सूचना की गई भारी वसूली उनके बुनियादी जीवन स्तर को भी प्रभावित कर सकती है।

    कोर्ट ने कहा कि पेंशनर को न कोई नोटिस दिया गया और न ही कोई स्पष्टीकरण मांगा गया। यह सुनवाई का अवसर देने के सिद्धांत का स्पष्ट उल्लंघन है। आरबीआइ के मास्टर सर्कुलर का हवाला देते हुए अदालत ने स्पष्ट किया कि बैंक केवल उन मामलों में ही सरकार को राशि लौटाने के लिए बाध्य है, जब गलती बैंक की हो। यदि गलती सरकारी विभाग की है तो बैंक पेंशन खाते से एकतरफा धनराशि नहीं काट सकता।

    अदालत ने बैंक की कार्रवाई को “मनमानी और पूरी तरह अवैध” बताया। जस्टिस बराड़ ने कहा कि पेंशन में कोई भी बदलाव केवल सीमित परिस्थितियों में ही किया जा सकता है, जैसे कि कोई स्पष्ट क्लेरिकल त्रुटि सामने आए और ऐसी स्थिति में भी पेंशनर को सूचित किया जाना और उसकी सहमति लेना जरूरी है।

    याचिका स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने न केवल बैंक द्वारा की गई भारी कटौती को अवैध घोषित किया, बल्कि बैंक और संबंधित विभाग को आदेश दिया कि वे पूरी राशि पेंशनर को छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित वापस करें। कोर्ट ने कहा कि पेंशन की आर्थिक और मानसिक सुरक्षा सर्वोपरि है, और प्रशासनिक संस्थाओं की यह संवैधानिक जिम्मेदारी है कि वे उनकी गरिमा और अधिकारों की रक्षा करें।