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    हरियाणा में एचएसवीपी की नई प्राॅपर्टी बिक्री नीति पर बवाल, सीएम से दखल की मांग

    Updated: Sun, 07 Sep 2025 06:39 PM (IST)

    हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की नई प्रॉपर्टी बिक्री नीति पर विवाद हो रहा है। रियल एस्टेट कारोबारियों ने इस नीति पर आपत्ति जताई है और मुख्यमंत्री से पुनर्विचार की मांग की है। उनका कहना है कि नीति में पारदर्शिता की कमी है और खरीदार-विक्रेता दोनों के हित सुरक्षित नहीं हैं। कारोबारियों ने नीति में संशोधन या वापसी की मांग की है।

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    प्रॉपर्टी कारोबारी बोले- नई व्यवस्था एचएसवीपी की मूल भावना के खिलाफ है।

    जागरण संवाददाता, पंचकूला।  हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) की नई प्रापर्टी बिक्री नीति ने प्रदेशभर में विवाद खड़ा कर दिया है। 5 सितंबर 2025 को जारी इस नीति और ऑनलाइन पोर्टल को लेकर रियल एस्टेट कारोबारियों ने कड़ी आपत्ति जताई है। हरियाणा प्रापर्टी कंसल्टेंट्स फेडरेशन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर नीति पर तुरंत पुनर्विचार करने की मांग की है।

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    फेडरेशन का कहना है कि एचएसवीपी की स्थापना राज्य में जमीन के आबंटन और विकास कार्यों के लिए की गई थी, न कि निजी व्यक्तियों के बीच प्रापर्टी सौदों में बिचौलिये की भूमिका निभाने के लिए। नई व्यवस्था के तहत एचएसवीपी अब सीधे तौर पर खरीदार और विक्रेता के बीच एजेंट जैसा काम करने लगा है, जो इसकी मूल भावना के खिलाफ है।

    फेडरेशन ने गिनाई ये खामियां 

    1. नीति में पारदर्शिता का अभाव है, जिससे लेन-देन के दौरान खरीदार और विक्रेता दोनों को आर्थिक जोखिम उठाना पड़ सकता है।

    2.विक्रेता को मनमानी राशि अग्रिम राशि तय करने का अधिकार दिया गया है, जिससे खरीदार मोलभाव नहीं कर पाएगा और कई बार सौदे में ठगा जा सकता है।

    3. ई-नीलामी के जरिए पारदर्शिता की बात कही गई है, लेकिन ट्रांसफर परमिशन जारी होने के बाद एचएसवीपी खुद को जिम्मेदारी से अलग कर लेता है। ऐसे में भविष्य में किसी विवाद की स्थिति में कोई संस्था जवाबदेह नहीं रहेगी।

    विक्रेता पीछे हटा तो खरीदार पैसे वापस मिलेंगे न प्रॉपर्टी का अधिकार 

    फेडरेशन ने यह भी कहा है कि अगर विक्रेता सौदे से पीछे हट जाए तो खरीदार को न तो पैसे मिलेंगे और न ही प्रॉपर्टी का अधिकार मिलेगा। वहीं खरीदार पीछे हटे तो विक्रेता को भी कोई कानूनी राहत नहीं मिल पाएगी, क्योंकि ट्रांसफर परमिशन रद्द करने के लिए खरीदार के हस्ताक्षर जरूरी हैं। इसके अलावा तहसील और एग्रीमेंट टू सेल जैसी पारंपरिक कानूनी प्रक्रियाएं इस व्यवस्था में अप्रासंगिक हो जाएंगी। इससे प्रापर्टी लेन-देन पर कोई वैधानिक निगरानी नहीं रह जाएगी और धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाएगी।

    नीति को संशोधित करने की मांग

    फेडरेशन ने दावा किया है कि हरियाणा के हजारों पंजीकृत प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स राज्य को बड़े पैमाने पर राजस्व उपलब्ध कराते हैं, लेकिन एचएसवीपी की यह नीति उनके अधिकारों और अस्तित्व को नजरअंदाज कर छोटे फायदे की ओर बढ़ रही है। कारोबारियों ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि इस विवादित नीति को या तो संशोधित किया जाए या वापस लिया जाए, ताकि प्रदेश में प्रापर्टी कारोबार पारदर्शी, सुरक्षित और व्यवस्थित ढंग से चलता रहे।