हत्यारे संजीव ने जिस मां व बेटे से मिलने की इच्छा जताई, पहुंचा तो पहचाना तक नहीं
पूर्व विधायक रेलू राम पूनिया और उनके परिवार के आठ सदस्यों की हत्या करने वाला उनका दामाद हत्यारा संजीव पैरोल से फरार होने के बाद कई राज्यों में रहा। आइडी न होने की वजह से आश्रमों से भागता रहा।

यमुनानगर, जेएनएन। बरवाला के पूर्व विधायक रेलूराम पूनिया समेत परिवार के आठ लोगों के हत्यारे संजीव कुमार ने मां राजबीरी देवी व बेटे प्रशांत से मिलने की इच्छा जताई। सीआइए टू की टीम सहारनपुर में उसके घर पर लेकर गई। वहां से शिनाख्त के तौर पर दस्तावेज लिए। हालांकि संजीव की मां उसे पहचान नहीं पाई। बाद में पुलिसकर्मियों ने ही संजीव के बारे में बताया। वह बेटे व मां को देखकर रोने लगा। मां राजबीरी देवी ने भी पुलिसकर्मियों से इतना ही कहा कि वह 14 सालों से दुख भोग रहे हैं। अब संजीव को टार्चर न करें। उसका बेटा प्रशांत भी इस समय होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर रहा है।
सीआइए टू के इंचार्ज महरूफ अली ने बताया कि संजीव ने अपना अधिकतर समय मध्य प्रदेश व गुजरात में गुजारा। यहां पर आश्रम, मंदिर व गुरुद्वारा में रहता था। जब वह फरार हुआ था। उसके पास पांच हजार रुपये थे। तीन साल तक उसने इसी तरह से गुजारा किया। वीरवार को संजीव को कोर्ट में पेश किया जाएगा।
पुलिस पूछताछ में सामने आया कि पैरोल से फरार होने के बाद वह गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिमी बंगाल व उत्तर प्रदेश में रहा। अधिकतर समय उसने आश्रमों में ही गुजारा। 31 मई 2018 को संजीव की पैरोल पूरी हो गई थी। वह उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की लक्ष्मणपुरी कालोनी में अपने घर गया। यहां से कुरुक्षेत्र जेल जाने की बात कह निकला था, लेकिन वह जेल में नहीं पहुंचा। वह अंबाला पहुंचा और यहां से ट्रेन में बैठा और जिससे पश्चिम बंगाल के हावडा पहुंच गया। यहां दो दिन रहा। इसके बाद वह नेपाल चला गया।
यहां भी आठ दिन रहा। उसे दिक्कत आइडी न होने की वजह से आई। वह जहां भी जाता। उससे आइडी मांग ली जाती। इस वजह से उसे नेपाल भी छोडऩा पड़ा। फिर वह मध्य प्रदेश में पहुंच गया। वह अधिकतर नर्मदा नदी के किनारे के आश्रमों में रहा, क्योंकि यहां पर अधिक आश्रम व मंदिर है। उसे आइडी न होने से दिक्कत आ रही थी। जिस पर वह वह उत्तर प्रदेश पहुंचा और यहां पर स्वामी ओमानंद नाम बताकर रहने लगा। इसी नाम से वह दस्तावेज भी तैयार करा रहा था, लेकिन इससे पहले ही पुलिस ने उसे पकड़ लिया।
ये था मामला
24 अगस्त 2001 को हिसार जिले की बरवाला विस सीट से विधायक रहे रेलूराम पूनिया, उनकी पत्नी कृष्णा, बेटे सुनील, बहु शकुंतला, बेटी प्रियंका, चार साल के पोते लोकेश, ढाई साल की पोती शिवानी और डेढ़ माह की प्रीती की हत्या कर दी गई थी। वारदात को उनके दामाद उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की लक्ष्मणपुरी कालोनी निवासी संजीव कुमार व उसकी पत्नी सोनिया ने अंजाम दिया था। इस हत्याकांड पर 31 मई 2004 को कोर्ट ने संजीव कुमार व उसकी पत्नी सोनिया को फांसी की सजा सुनाई थी। इस सजा के लिए हाईकोर्ट व फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई। जिस पर फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया था। इसके बाद से संजीव व सोनिया जेल में थे। इस अवधि के दौरान वह अंबाला, जगाधरी (यमुनानगर), कुरुक्षेत्र, झज्जर, रोहतक व फरीदाबाद की जेलों में रहे। कुरुक्षेत्र जेल से संजीव पैरोल पर आया था और फरार हो गया। तीन साल बाद उसे एसटीएफ ने उत्तर प्रदेश के मेरठ में यूवी क्लब के पास से गिरफ्तार किया।
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