टैरिफ से ठप हुआ पानीपत का 40 प्रतिशत निर्यात, अमेरिकन बायर के एजेंट बोले- डिस्काउंट दो, या कॉस्ट घटाओ
अमेरिकी टैरिफ के कारण पानीपत का 40% निर्यात प्रभावित हुआ है जिससे निर्यातक नए बाजारों की तलाश में हैं। अमेरिकी खरीदार कीमतें कम करने या ऑर्डर चीन जैसे देशों में स्थानांतरित करने की मांग कर रहे हैं। बाइंग एजेंट एसोसिएशन ने निर्यात को सुचारू रखने के लिए बैठक बुलाई जिसमें खर्च कम करने और नए बाजारों में अवसर तलाशने पर जोर दिया गया।

जागरण संवाददाता, पानीपत। 50 प्रतिशत अमेरिकन टैरिफ से पानीपत का 40 प्रतिशत निर्यात ठप हो गया है। अब पानीपत को नए ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं। अमेरिकन बायर अब ऑर्डर देने के बदले उत्पाद की कीमत कम करने या 15 प्रतिशत तक डिस्काउंट मांग रहे हैं।
अमेरिकन ने पानीपत के ऑर्डर चीन, वियतमान, पाकिस्तान, बांगलादेश, तुर्किया व इजिप्ट शिफ्ट करना शुरू कर दिए हैं। पानीपत के निर्यातक मजबूरन नई मंडी की तलाश में है, लेकिन अमेरिका का विकल्प तलाश करना बड़ी चुनौती साबित हो रहा है।
अब अमेरिका में निर्यात का पहिया चलाए रखने के लिए बाइंग एजेंट एसोसिएशन ने सेक्टर 25 स्थित निजी होटल में एक बैठक बुलाई। बैठक में अमेरिकन बायर के एजेंट का डेलिगेशन भी बुलाया गया था। इसमें डेलिगेशन से निर्यात सुचारु रखने के लिए सलाह मांगी गई, साथ ही अपने उत्पाद की खूबियों के बारे में भी बताया है।
'हमारे पास बाजार की कमी नहीं'
बाइंग एजेंट एसोसिएशन के पूर्व मनोज राणा ने कहा कि खर्चे कम करने के नए तरीके अपनाने होंगे। जिस तरह चीन में काम होता है, वैसा सोचना होगा। सैंपलिंग के चार्ज लेना शुरू करें। उत्पाद को पोर्ट तक भेजते हैं तो इसका चार्ज आप खरीदार से लें। हमारे पास बाजार की कमी नहीं है। यूएसए के अलावा यूरोप से लेकर रशिया तक को हम अपना उत्पाद बेच सकते हैं।
बीएए की महासचिव आंचल कंसल ने कहा कि सबसे पहले तो हमें पैनिक नहीं होगा। घबराहट में कोई गलत कदम न उठाएं। ये मत सोचें कि दूसरे देश में माल भेजकर, उनका लेबल लगाकर बिक्री कर लेंगे।
ऐसा करने से आपकी कंपनी पूरी तरह से बैन हो सकती है। यहां तक की जेल जाने की भी नौबत आ सकती है। अगर आप 70 प्रतिशत माल भारत में बनाते हैं और बाकी दूसरे देश में बनाकर बेचते हैं तो ही छूट मिल सकती है।
'सुझावों पर किया जाएगा अमल'
द पानीपत एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के प्रधान ललित गोयल का कहना है कि बीएए ने जो सुझाव दिए हैं, उन पर अमल करना आसान नहीं है। टैरिफ से बचने के लिए किसी दूसरे देश में अपने उत्पाद को फाइनल टच देकर बेचना आसान आसान नहीं है। लागत ही बढ़ जाएगी। अगर गलत काम करते हैं तो जेल भी हो सकती है।
निर्यातकों ने भारत सरकार से राहत की मांग की है। एसोसिएशन के संयुक्त सचिव सुरेश तायल का कहना है कि खर्च करने पर काम किया जा रहा है। नए डिजाइन बनाए जा रहे हैं। नए बाजार तलाशे जा रहे हैं। यूएसए के अलावा रशिया जैसे देश बड़े खरीदार बन सकते हैं।
रूस को अभी बेहद कम निर्यात है, जबकि उससे तेल काफी मात्रा में आयात हो रहा है। यूरोप में भी नए डिजाइन बनाकर बेचे जा सकते हैं। यह एक मुश्किल वक्त है। अगर हौसला रखेंगे और भारत सरकार मदद करेगी तो टेक्सटाइल इंडस्ट्री को बचाया जा सकेगा।
निर्यातक सुमित नाथ ने कहा कि चुनौती कम नहीं है। मुश्किल समय से निकलना होगा। पानीपत की इंडस्ट्री ने इससे भी खराब दौर देखा है। इसके बावजूद बिजनेस को बढ़ाया है। आपदा में अवसर की तरह नए रास्ते निकलेंगे। पानीपत की इंडस्ट्री निश्चित ही आगे बढ़ेगी। हम इसे अच्छा अवसर देखकर चलेेंं। यहां रमन छाबड़ा, निर्यातक सुमित नाथ, प्रेम सागर विज, रोहित गुप्ता, प्रतीक तायल, रमेश वर्मा, सुरेन्द्र मित्तल, विवेक गुप्ता, विनीत शर्मा मौजूद रहे।
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