सुप्रीम कोर्ट में जब EVM से दोबारा हुई गिनती, तो 51 वोटों से जीता हारा हुआ प्रत्याशी; 3 साल बाद दिलाई गई शपथ
पानीपत के बुआना लाखु गांव में सरपंच चुनाव का परिणाम सुप्रीम कोर्ट ने बदल दिया। ईवीएम की दोबारा गिनती में मोहित को 51 वोट से विजयी घोषित किया गया क्योंकि पहले हुई गिनती में एक बूथ पर प्रत्याशियों के वोट आपस में बदल गए थे। हाईकोर्ट ने दोबारा गिनती से इनकार कर दिया था जिसके बाद मोहित ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।

जागरण संवाददाता, पानीपत। बुआना लाखु में दो साल 10 महीने पहले हुए सरपंच के चुनाव के परिणाम को सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने बदल दिया। सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम की दोबारा गिनती होने के बाद हारा हुए प्रत्याशी 51 वोट से विजयी घोषित हुआ। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने दोबारा गिनती कराने से इनकार कर दिया था। इसके खिलाफ याची ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। यह देश का पहला मामला बताया जा रहा है।
सर्वोच्च न्यायालय ने दो महीने में ही अपनी निगरानी ईवीएम खुलवाई और आदेश सुनाया। सुप्रीम कोर्ट की ओर से दो दिन में शपथ दिलाने के आदेश पर विजयी प्रत्याशी को वीरवार को इसराना बीडीओ कार्यालय में सरपंच पद की शपथ दिलाई गई। पंचायती राज संस्थाओं के तहत 2 नवंबर 2022 को संपन्न हुए ग्राम पंचायत चुनाव में उनके गांव बुआना लाखू में एक अधिकारी की चूक से कुछ घंटे के लिए दो सरपंच बन गए थे।
पहले यहां का कुलदीप को सरपंच बनने का प्रमाणपत्र दे दिया। दोबारा मतगणना में मोहित को सरपंच घोषित कर दिया गया था। दोनों को विजेता होने का प्रमाणपत्र भी दे दिया गया था। अधिकारियों ने गलती पकडी और रात में ही परिणाम संशोधित कर विजेता को प्रमाणपत्र देकर पहले को दिया प्रमाण पत्र रद कर दिया था। जांच में सामने आया था कि गांव के एक बूथ के पीठासीन अधिकारी से दोनों प्रत्याशियों के परिणाम के आंकड़ों में अदला-बदली हो गई।
जब सभी बूथों का कुल योग किया गया तो विजेता हार गया और दूसरे नंबर पर रहने वाला प्रत्याशी जीत गया। ग्रामीणों ने जब इसकी बूथ वार गणना की तो उन्हें पता चला कि यह गलती हुई है। प्रशासन को इससे अवगत कराया गया था। जिसके बाद रिटर्निंग अधिकारी ने संशोधित परिणाम को अपडेट करते हुए विजेता को प्रमाणपत्र दिया।
दो महीने में आया फैसला
बुआना लाखु गांव में सरपंच पद के सात प्रत्याशी चुनाव में खड़े थे। इनमें से दो प्रत्याशियों कुलदीप और मोहित में मुकाबला था। गांव के बूथ नंबर 65, 66, 67, 68, 69 और 270 बनाए गए थे। निर्वाचन अधिकारी से बूथ नंबर 69 पर गलती से परिणाम बदल गया। यहां प्रत्याशी मोहित को मिले वोट कुलदीप के खाते में जुड़ गए और कुलदीप के वोट मोहित के खाते में जुड़ गए। जिसके बाद सभी बूथों के योग के आधार पर कुलदीप को विजयी घोषित कर दिया गया।
कुलदीप को विजेता का प्रमाणपत्र भी दे दिया गया। गलती पकड़ में आने पर रिजल्ट को बदलते हुए मोहित को विजेता घोषित किया गया था, लेकिन कुलदीप ने हार मानने से इनकार कर दिया गया था। नियमानुसार उसे प्रमाणपत्र मिल चुका था। कुलदीप 12 नवंबर 2022 को हाई कोर्ट से स्टे ले आए। पहली जून 2025 को हाई कोर्ट ने दोबारा मतगणना कराने से इन्कार कर दिया और फैसला कुलदीप के पक्ष में दिया।
12 जून को मोहित ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। 31 जुलाई को पहली सुनवाई हुई और 7 जुलाई को अपनी निगरानी में दोबारा मतगणना का आदेश दिया। 7 जुलाई सुप्रीम कोर्ट में मतगणना हुई। उसमें कुलदीप को एक हजार और मोहित को 1051 वोट मिले। इसके बाद अदालत ने फैसल सुरक्षित रखते हुए 11 अगस्त की तारीख दी। 11 अगस्त सुप्रीम कोर्ट ने मोहित को विजयी घोषित कर जिला प्रशासन को दो दिन में शपथ दिलाने का आदेश दिया।
डीडीपीओ ने दिलाई शपथ
नवनिर्वाचित सरपंच मोहित मलिक को वीरवार को बीडीपीओ कार्यालय में डीडीपीओ राजेश शर्मा ने शपथ दिलाई। सरपंच को ग्रामीणों ने फूलमाला व मिठाई बांट बधाई दी। सरपंच के पिता बाल पहलवान ने केस के वकीलों का फूलों की माला पहनाकर स्वागत किया। सरपंच को रोड-शो निकाल ग्रामीण गांव में लेकर पहुंचे। जगह-जगह ग्रामीण महिलाओं ने मोहित को तिलक कर स्वागत किया।
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