रेवाड़ी को नगर निगम बनाने का फिर उठा मुद्दा, विधायक ने ओवरब्रिज निर्माण की उठाई मांग
रेवाड़ी नगर परिषद को नगर निगम बनाने की मांग विधायक लक्ष्मण सिंह यादव ने फिर उठाई। उन्होंने कहा कि जनसंख्या के सरकारी आंकड़े गलत हैं क्योंकि शहर में कई नई कॉलोनियां बनी हैं और जनसंख्या तीन लाख से ऊपर है। शहरी निकाय मंत्री विपुल गोयल ने कहा कि नई जनगणना में जनसंख्या तीन लाख से अधिक होने पर विचार किया जाएगा।

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी। रेवाड़ी नगर परिषद को नगर निगम बनाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है। मंगलवार को विधायक लक्ष्मण सिंह यादव ने इस मुद्दे पर दूसरी बार विधानसभा में उठाया है। विधायक ने बताया कि सरकार के पास इस समय जनसंख्या संबंधी जो आंकड़े हैं, वह गलत है।
वर्ष 2017 में हुई जनगणना के अनुसार रेवाड़ी की जनसंख्या 1.87 लाख थी। जो कि आठ साल पहले की सर्वे के अनुसार है। केवल रेवाड़ी शहर की बात की जाए तो यहां के वोटों की संख्या 1.15 लाख है।
इस हिसाब से तो यह जनसंख्या 2.30 लाख हो जाती है। उसके बाद शहर के बिल्डरों ने रेवाड़ी में 15 बड़ी कालोनियां बनाई है, जिनमें दो से लेकर पांच हजार से अधिक की आबादी रहती है। अगर इन्हें भी शामिल कर दिया जाए तो रेवाड़ी की जनसंख्या तीन लाख से भी ऊपर जाती है।
इसके अलावा 2017 की जनसंख्या के दौरान शहर के 200 मीटर परिधि के अंदर आने वाले अनेकों गांवों ने भी उन्हें रेवाड़ी नगर परिषद में शामिल किए जाने की मांग रखी थी। विधायक ने बताया कि इस लिहाज से रेवाड़ी नगर निगम की शर्तों को पूरा कर रहा है।
विधायक की मांग पर प्रदेश के शहरी निकाय मंत्री विपुल गोयल ने बताया कि किसी भी शहर को नगरपालिका, नगर परिषद व नगर निगम बनाने संबंधी नियमावली होती है। इस समय रेवाड़ी की जनसंख्या 2.29 लाख के लगभग है। नई जनगणना में अगर रेवाड़ी की जनसंख्या तीन लाख या उससे अधिक होती है तो सरकार उस पर अवश्य विचार करेगी।
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वहीं बावल के विधायक डा. कृष्ण कुमार ने बनीपुर चौक पर बन रहे ओवरब्रिज के निर्माण को जल्द से जल्द पूरा कराने का मुद्दा उठाया। निर्माण कार्य धीमा होने के कारण यहां दिनभर जमा की स्थिति बनी रहती है।
एचएसआईडीसी द्वारा सामुदायिक केंद्र, सभागार या कांफ्रेंस हाल का निर्माण कराने और माजरा एम्स में ओपीडी जल्द शुरू कराने की मांग रखी। विधायक ने झाबुआ में 800 एकड़ जमीन में ''वन्य जीव संरक्षण अभयारणय केंद्र'' ओर पावटी व पनवाड़ में पंचायत के स्वामित्व वाली लगभग 600 एकड़ जमीन में ''सामुदायिक अभयारणय'' खोलने का मुद़्दा प्रमुखता से उठाया।
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