Rewari: ट्रैक्टर ट्रॉलियों से जाम हुई मंडी, टोकन कटवाने के लिए रात से ही लगी रही कतार
सरसों बेचने के लिए ट्रैक्टरों के साथ किसानों की भीड़ उमड़ी जिसके कारण दूसरे दिन भी जाम की स्थिति बनी रही। मंडी में पैर रखने तक की जगह नहीं है वहीं रातभर मंडी में ट्रैक्टर ट्रॉलियों की लंबी कतार लगी रही।

रेवाड़ी, जागरण संवाददाता। सरकार द्वारा दो दिन के लिए सरसों की सरकारी खरीद करने से दूसरे दिन भी रेवाड़ी, बावल और कोसली की अनाजमंडी में हजारों की संख्या में किसान सरसों की ट्रालियां लेकर पहुंचे। सुबह छह बजे से पहले ही काउंटर पर टोकन कटवाने के लिए लोगों की भीड़ लगनी आरंभ हो गई थी।
बहुत से किसान बृहस्पतिवार रात से ही अनाजमंडी के बाहर अपनी टैक्टर ट्रालियों में सरसों लेकर सुबह का इंतजार करते रहे। बृहस्पतिवार की तुलना में शुक्रवार को जाम की स्थिति कम रहीं।
मंडी के मुख्य गेट पर लगा रहा घंटों जाम
रात से ही सरसों लेकर पहुंचे किसान ट्रैक्टर ट्रालियों के साथ मंडी में प्रवेश करने की होड़बाजी करते रहे। इस दौरान मंडी के मुख्य द्वार पर जाम लगा रहा। एक तो टोकन कटवाने के लिए किसानों की दो दो लंबी लाइन दूसरी ओर भरे हुए और खाली ट्रैक्टर ट्रालियों के आवागमन होने से अव्यवस्था बनी रही। पुलिस व्यवस्था बनाने के लिए कड़ी मशक्कत करती रही।
सात बजे ही पहुंचे टोकन काटने के लिए कर्मचारी
सरसों बिक्री के लिए सिर्फ दो दिन का समय दिए जाने के कारण किसान रात से ही फसल लेकर मंडी में पहुंचे। टोकन काटने के लिए कर्मचारी सात बजे ही पहुंच गए तब तक सैकड़ों की संख्या में किसानों की लंबी कतार लगी हुई थी। टोकन सात पुरुषों के बाद एक महिला का टोकन काटा जा रहा था।
देर रात तक चलती रही खरीद
मंडी में बृहस्पतिवार देर रात तक खरीद प्रक्रिया चलती रही। हालांकि सात बजे के बाद टोकन काटने बंद कर दिए थे। जिन किसानों की सरसों मंडी में पहले पहुंची थी उनकी खरीद की गई। बृहस्पतिवार की तरह शुक्रवार को भी व्यापारियों के माध्यम से खरीद एजेंसी हैफेड सरसों की खरीद करेगी।
खुले सीवर में फंस गया कैंटर:
जाम और वाहनों की तेज गति के कारण नई अनाजमंडी के दो नंबर गेट के सामने नेहरू पार्क के बाहर वर्षों से खुला पड़ा सीवर वाहन चालकों के लिए आफत बन गया। सुबह एक कैंटर इस सीवर में फंस गया। इस कारण घंटों मशक्कत के बाद अन्य ट्राली के माध्यम से निकाला गया। इस सीवर पर ढक्कन ही नहीं है। कई साल से इसे ढका ही नहीं गया है। गनीमत रही कैंटर में सवारियां नहीं थी और सरसों बेचकर खाली जा रही थी।
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