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    दिवंगत IPS पूरन कुमार के गनमैन को मिली जमानत, 60 दिन में भी चालान पेश नहीं कर पाई पुलिस

    Updated: Sat, 06 Dec 2025 11:56 PM (IST)

    रोहतक में दिवंगत आईजीपी वाई पूरन कुमार के गनमैन सुशील कुमार को अदालत ने डिफ़ॉल्ट बेल दे दी है। पुलिस 60 दिनों के भीतर चालान पेश करने में विफल रही, जिस ...और पढ़ें

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    दिवंगत IPS पूरन कुमार के गनमैन को मिली जमानत। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, रोहतक। दिवंगत आइजीपी वाई पूरन कुमार के गनमैन सुशील कुमार को शनिवार को अदालत से डिफाल्ट बेल मिल गई है। सुशील के अधिवक्ता जोगेंद्र चंदेला ने बताया कि पुलिस की ओर से 60 दिन बाद भी कोर्ट में चालान पेश नहीं किया गया। इस कारण उनकी ओर से कोर्ट में जमानत याचिका लगाई थी। अदालत ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए गनमैन को जमानत दे दी है।

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    बता दें कि सुशील की पत्नी ने सरकार, जेल प्रशासन और न्यायपालिका के अधिकारियों को पत्र लिखकर सुशील कुमार को जेल में जान को खतरा बताया था। उन्होंने सुशील कुमार को तुरंत किसी अन्य जेल में स्थानांतरित करने की मांग की थी।

    सुशील कुमार की पत्नी सोनी देवी ने 2 नवंबर को हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह), महानिदेशक (कारागार), पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल, रोहतक जिला एवं सत्र न्यायाधीश, चंडीगढ़ एसआइटी और जेल अधीक्षक को भेजा था।

    पत्र में लिखा गया था कि सुशील को दो कैदी जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। इसके बाद सुशील कुमार को रोहतक की सुनारियां जेल से अंबाला जेल में ट्रांसफर कर दिया गया था।

    चालान में आ चुकी आपत्ति

    हालांकि पुलिस का दावा है कि मामले में चालान तैयार किया जा रहा है। कोर्ट में चालान पेश करने के लिए गया था। उसमें कुछ आपत्तियां आई है। जिस कारण उनको अभी ठीक किया जा रहा है। आपत्तियां दूर करके दोबारा से चालान पेश किया जाएगा।

    क्या होती है डिफाल्ट बेल

    वैधानिक जमानत (डिफाल्ट बेल) एक आरोपित का कानूनी अधिकार है, जो उसे तब मिलता है जब पुलिस या जांच एजेंसी किसी मामले में निर्धारित समय सीमा (जैसे 60 या 90 दिन) के अंदर जांच पूरी करके चार्जशीट (आरोप पत्र) दाखिल करने में विफल रहती है।

    यह आरोपित के मौलिक अधिकार है। जांच में देरी होने पर आरोपी को इस आधार पर रिहाई मिल जाती है, भले ही अपराध गंभीर हो।