सपने सच होने के बदले मिला 'मौत' का मोर्चा, रूस गए हरियाणा के 27 युवक युद्ध के बंकरों में फंसे
हरियाणा के कई युवक रूस-यूक्रेन युद्ध में फंस गए हैं। उन्हें नौकरी का झांसा देकर युद्ध क्षेत्र में भेजा गया है। रोहतक के संदीप ने वीडियो भेजकर वापसी की गुहार लगाई है। फतेहाबाद के अंकित और विजय भी फंसे हुए हैं। विदेश मंत्रालय ने 27 भारतीयों की सूची जारी की है, जिससे परिवारों को उम्मीद है कि सरकार उन्हें वापस लाएगी।
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यूक्रेन युद्ध में फंसे रोहतक के गांव तैमूरपुर निवासी संदीप का घर (सबसे ऊपर), ब्लैक शर्ट में संदीप की फोटो
जागरण संवाददाता, रोहतक। हरियाणा के कई गांवों से मां-बाप ने जो उम्मीदें पालकर बेटों को विदेश की उड़ान भरवाई थी, अब वही उम्मीदें बंकरों में सहमी बैठी हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच, हरियाणा के कई परिवारों की रातें अब बेचैनी में कट रही हैं।
हिसार के मदनहेड़ी गांव के सोनू की मौत हो चुकी है। कई युवकों का लंबे समय से परिवार से संपर्क नहीं हुआ है। दरअसल, पढ़ाई और नौकरी के सपनों के साथ जो युवा रूस गए थे, वे अब बंदूक थामे युद्धभूमि में खड़े हैं। बंकरों में दुबके, ठंडे दलिया पर गुजारा करते हुए, घर लौटने की दुआ मांग रहे हैं।
हरियाणा जैसे प्रदेश के लिए यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। रोहतक जिले के गांव तैमूरपुर निवासी 29 वर्षीय संदीप ने बंकर से वीडियो भेजकर अपने परिवार से वापसी की गुहार लगाई है।
संदीप को रूस सेना ने पहले कुक की नौकरी का झांसा दिया और बाद में उसे हथियार थमाकर युद्ध क्षेत्र में भेज दिया। वह फिलहाल यूक्रेन की सीमा के पास तैनात है, जहां से शहर की दूरी महज ढाई किलोमीटर है। परिवार नेताओं व प्रशासन के चक्कर काट रहा है।
परिवार लाचार, टूटी छत के नीचे मांग रहे दुआएं
संदीप 23 सितंबर 2024 को स्टडी वीजा पर रूस गया था। इसके लिए चरखी दादरी के एक एजेंट को 6 लाख रुपए दिए थे। वहां कुछ समय बाद सेना में कुक की नौकरी कर ली। संदीप के पिता बक्शे राम लंबे समय से बीमार हैं। अब काम करने लायक नहीं हैं। मां की भी सर्जरी हो चुकी है। मकान की हालत खस्ताहाल है।
वीडियो में संदीप बोला: “यहां आग भी नहीं जला सकते”
संदीप ने वीडियो काल में अपनी मां और मामा को बताया कि वे बंकर से बाहर आग तक नहीं जला सकते। उन्हें खाने को सिर्फ एक बार दलिया मिलता है। रात को गश्त में सबसे आगे वही लोग भेजे जाते हैं जो रूसी नहीं हैं। हमला कभी भी हो सकता है। संदीप ने स्वजन से कहा—”मुझे यहां से निकाल लो, नहीं तो मेरी लाश ही आएगी।”
विदेश मंत्रालय, पीएमओ तक पत्र लिख चुके स्वजन संदीप के मामा श्रीभगवान ने बताया कि वे विदेश मंत्रालय, भारतीय दूतावास और प्रधानमंत्री को पत्र लिख चुके हैं। भाजपा नेता ओमप्रकाश धनखड़ से मिलकर भी मामले को विदेश मंत्री तक पहुंचाया गया है। परिजन बस एक ही बात कह रहे हैं—”हमें हमारा बेटा सही-सलामत वापस चाहिए।”
फतेहाबाद के गांव कुम्हारिया के दो युवक अंकित जांगड़ा और विजय पूनिया भी रूस में फंस चुके हैं। दोनों को रूस की महिला एजेंट ने सिक्योरिटी गार्ड और ड्राइवर की नौकरी का झांसा दिया था।
कहा था कि तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद हर महीने 1.5 लाख रुपये मिलेंगे। स्वजन ने बताया कि दोनों युवकों को भर्ती के नाम पर एग्रीमेंट साइन करवाया गया और फिर यूक्रेन के सोलीडेव जंगल में छोड़ दिया गया। वहां बंकर में उन्हें रखा है। 26 दिन से दोनों से कोई संपर्क नहीं हुआ है।
तीन बार सीएम से मिले, दो बार विदेश मंत्रालय से गुहार लगा चुके
अंकित जांगड़ा के भाई रघुवीर व विजय के भाई सुनील पूनिया ने बताया कि 8 सितंबर को सेना में भर्ती की सूचना मिलने के बाद 10 सितंबर को मुख्यमंत्री नायब सैनी से चंडीगढ़ में मुलाकात की।
फिर 11 सितंबर को फतेहाबाद में भाजपा नेताओं से भी मिले। दोबारा चंडीगढ़ में सीएम से मिले। दो बार विदेश मंत्रालय में व्यक्तिगत तौर पर अपील की, पर केवल मेल के जवाब मिले। कुमारी सैलजा भी सरकार को पत्र लिख चुकी हैं, लेकिन उसका भी जवाब नहीं आया।
रूस से लौटे युवक ने बताया लग्जरी लाइफ का सपना दिखाकर फांस रहे
फतेहाबाद के ही रमेश, जो किसी तरह लौटे हैं, बताते हैं कि रूस में ऐसे गिरोह सक्रिय हैं जो भारत, नेपाल, श्रीलंका जैसे देशों के युवाओं को जाब और लग्जरी लाइफ का सपना दिखाकर आर्मी में भर्ती करवा देते हैं। महज 10 दिन की गन ट्रेनिंग के बाद सीधे युद्ध क्षेत्र में भेज दिया जाता है।
सरकार जारी कर चुकी है 27 फंसे युवकों की सूची विदेश मंत्रालय ने हाल ही में 27 भारतीयों की सूची जारी की है, जिन्हें रूस की सेना में जबरन भर्ती कर युद्ध में झोंका गया है।
राहत की बात यह है कि इसमें फतेहाबाद के अंकित और विजय का नाम भी शामिल है। इससे परिजनों को उम्मीद बंधी है कि भारत सरकार अब रूस सरकार से बातचीत कर इन्हें वापस लाने की कोशिश करेगी। हालांकि कई ऐसे युवक भी हैं जिनका नाम इस सूची में नहीं है।
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