ट्रांसपोर्ट व्यवसाय का नया युग: बैटरी पर दौड़ेंगे ट्रक, दो हाईवे बनेंगे ई-हाईवे; प्रदूषण पर लगेगी लगाम
सोनीपत में बैटरी से चलने वाले ट्रकों के युग की शुरुआत हो गई है, जिससे लॉजिस्टिक लागत कम होने और प्रदूषण से राहत मिलने की उम्मीद है। डीआई सीटी ने उत्तर भारत का पहला ट्रक-ट्रेलर बैटरी स्वैपिंग एवं चार्जिंग सेंटर शुरू किया है। कंपनी एनएच-44 और एनएच-48 पर 250 सेंटर खोलेगी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ई-ट्रक बनाने में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और फ्लैक्स चार्जिंग बस चलाने की योजना पर जोर दिया।

एनएच-44 व एनएच-48 पर एक साल में करीब 250 बैटरी स्वैपिंग एवं चार्जिंग सेंटर शुरू होगी।
नंदकिशोर भारद्वाज, सोनीपत। ट्रांसपोर्ट व्यवसाय के एक नए युग का शुभारंभ हो गया है। अब तक बैटरी से दोपहिया, कारें व अन्य हल्के वाहनों का ही संचालन हो रहा था, लेकिन अब बड़े ट्रकों, ट्रेलरों को भी बैटरी से ऑपरेट किया जाने लगा है। बैटरी चालित ट्रक या ट्रेलर ट्रांसपोर्टरों के लिए लाजिस्टिक कास्ट को कम करेंगे, वहीं आमजन को भी मालभाड़े में राहत देंगे। दूसरी ओर इससे भारी वाहनों के बढ़ते प्रदूषण से भी राहत मिल सकेगी।
डीआइसीटी की पहल पर दो निजी कंपनियों ने सोनीपत के गांव पांची गुजरान में बुधवार को उत्तर भारत का पहला ट्रक-ट्रेलर बैटरी स्वैपिंग एवं चार्जिंग सेंटर शुरू करने के बाद देश के दो अतिव्यस्त हाईवे को ई-हाईवे में शिफ्ट करने का फैसला किया है। कंपनी एनएच-44 व एनएच-48 पर एक साल में करीब 250 बैटरी स्वैपिंग एवं चार्जिंग सेंटर शुरू करेगी। पेट्रोल पंपों की तरह बैटरी स्वैपिंग एवं चार्जिंग सेंटर होने से देश में लाजिस्टिक कास्ट में भारी गिरावट आएगी और ट्रांसपोर्टरों व आमजन को लाभ होगा।
भारी वाहनों के ईवी पर शिफ्ट होने से ट्रांसपोर्ट के रेट आधे होने की उम्मीद है। इस सेक्टर में निजी कंपनियों की प्रतिस्पर्धा बढ़ने से ही बदलाव होगा। देश में भारी वाहन कुल वाहनों का मात्र पांच प्रतिशत हैं, जबकि प्रदूषण में इनकी हिस्सेदारी करीब 50 प्रतिशत है। चीन और केन्या में बसें व ट्रक स्वैपिंग बैटरी युक्त होने से वहां आमूल-चूल परिवर्तन हुए हैं। उधर जर्मनी और जापान भी भारी वाहनों को ईवी में शिफ्ट कर रहा है।
दिल्ली इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल के एजीएम राकेश कुमार ने बताया कि डीआइसीटी ने बुधवार को सोनीपत के पांची गुजरान में ट्रक-ट्रेलर बैटरी स्वैपिंग एवं चार्जिंग सेंटर शुरू कर ट्रांसपोर्ट सेक्टर में क्रांति व बदलाव की शुरुआत कर दी है। डीआइसीटी ने रविंद्रा एनर्जी और जेएम बक्शी ग्रुप के सहयोग से 115 ई-ट्रकों की फ्लीट शुरू की है। यहां पर इन ट्रक-ट्रेलरों के लिए बैटरी स्वैपिंग एवं चार्जिंग सेंटर शुरू किया गया है।
रविंद्रा एनर्जी ने बैटरी सेटअप उपलब्ध कराया है, जबकि जेएम बक्शी ग्रुप ने ट्रक व ट्रेलर। डीआइसीटी अगले एक साल में दिल्ली से जम्मू-कश्मीर तक जाने वाले एनएच-44 व दिल्ली से चेन्नई तक जाने वाले एनएच-48 पर 250 ट्रक-ट्रेलर बैटरी स्वैपिंग एवं चार्जिंग सेंटर शुरू करेगी।
उन्होंने बताया कि सबसे पहले सोनीपत के 50 किलोमीटर के दायरे में करनाल, पानीपत, गाजियाबाद, गुरुग्राम, पटौदी में सेंटर शुरू करने के लिए जमीन देखी जा रही है। इसके बाद दिल्ली से चेन्नई तक जा रहे एनएच-48 पर सात राज्यों में पेट्रोप पंपों की तरह ट्रक-ट्रेलर बैटरी स्वैपिंग एवं चार्जिंग सेंटरों का नेटवर्क शुरू किया जाएगा।
ई-ट्रक से लाजिस्टिक काेस्ट घटाने की तैयारीई-ट्रक अपनाकर ट्रांसपोर्ट सेक्टर में लाजिस्टिक कास्ट घटाने और ट्रांसपोर्टर व आमजन को लाभ पहुंचाने की योजना पर काम किया जा रहा है। डीजल चालित ट्रक 100 रुपये में तीन किलोमीटर चलता है और भारी प्रदूषण का कारण बनता है, वहीं बैटरी चालित ट्रक 12 रुपये में तीन किलोमीटर चलेगा और ऊपर से इससे किसी प्रकार का प्रदूषण भी नहीं होगा। इस बैटरी सेटअप से कोई ट्रक या ट्रेलर 40 टल माल लेकर 180 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है, इसके बाद बैटरी स्वैप को चार्ज करना पड़ेगा या इसे स्वैप करना पड़ेगा।
प्रतिस्पर्धा से होगा ट्रांसपोर्ट सेक्टर का भला
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि अभी एक-दो कंपनियां ही ई-ट्रक-ट्रेलर लेकर आई हैं। ट्रांसपोर्टरों व लोगों का भला जब होगा तक ई-ट्रक बनाने के लिए बड़ी कंपनियों के बीच स्पर्धा शुरू होगी। अभी एनर्जी इन मोशन कंपनी ने ई-ट्रक सड़क पर उतारे हैं। जब टाटा, वाेल्वो, अशोक लेलैंड व अन्य कंपनियां भी ई-ट्रक को बनाएंगी, तब ट्रांसपोर्टरों को लाभ होगा और लोगों को कम मालभाड़ा देना होगा।
उन्होंने बताया कि हाईड्रोजन से चलने वाले ट्रक बनाने पर काम हो रहा है। टाटा कंपनी पायलट प्रोजेक्ट के तहत तीन ट्रक चला रही है। भविष्य में डीजल-पेट्रोल से मुक्ति पाकर प्रदूषण खत्म करने की योजना है। जल्द ही इस क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक अपनाने पर फोकस किया जाएगा। अब अच्छी सड़कें बनने से देश में लाजिस्टिक कास्ट छह प्रतिशत कम हो गई है। अगले साल तक यह नौ प्रतिशत आ जाएगी। अगर भारी वाहन निर्माता कंपनियां ईवी, सीएनजी और फ्लैक्स इंजन व हाईड्रोजन अपनाते हैं तो अगले साल तक ट्रांसपोर्ट के रेट आधे हो जाएंगे।
दिल्ली-जयपुर के बीच फ्लैक्स चार्जिंग बस चलाने की योजना
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने बताया कि दिल्ली-जयपुर के बीच फलैक्स चार्जिंग से युक्त हाईटेक बस चलाने की योजना है। यह बस फ्लैक्स चार्जिंग से 20 सेकेंड में चार्ज होकर आगे के लिए रवाना हो जाएगा। इस हाईवे पर जगह-जगह फ्लैक्स चार्जिंग की सुविधा उपलब्ध होगी। ऊपर से बस के लिए चार्जिंग केबल आएगी और झटपट यह बस चार्ज हो जाएगी। हवाई जहाज जैसी सुविधाओं से युक्त बस 135 यात्रियों को लेकर दौड़ेगी।
इस बस में एक्जिक्यूटिव क्लास की चेयर होंगी, हर सीट पर एलईडी लगा होगा, प्लेन की तर्ज पर चाय-नाश्ता मिलेगा। अभी इस बस पर काम चल रहा, जल्द ही इसे चलाने की योजना है।
एक मॉडल के रूप में चल रही गडकरी की कारनितिन गडकरी ने बताया कि वे इनोवा कंपनी की फ्लैक्स इंजन वाली कार को इस्तेमाल कर रहे हैं। यह कार एक माडल के रूप में इस्तेमाल की जा रही है। गडकरी इस कार को एक-डेढ़ साल से प्रयोग कर रहे हैं। यह कार 100 प्रतिशत बायो इथेनाल से चल रही है।
उन्होंने बताया कि यह कार चलते-चलते बिजली भी बनाती है। स्ट्रान्ग हाईब्रिड इलेक्ट्रिक से युक्त यह कार प्रदूषण रहित है। भविष्य में इस तकनीक का इस्तेमाल सभी वाहनों के लिए किया जाएगा। इस कार को चलाने के लिए 25 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल के बराबर लागत आएगी। भविष्य में बायो ईंधन व वैकल्पिक ईंधनों का इस्तेमाल किया जाएगा।
बैटरी स्वैपिंग उम्मीद की किरण
बैटरी स्वैपिंग व चार्जिंग सेंटर ट्रांसपोर्ट सेक्टर के लिए बदलाव की उम्मीद की एक किरण के रूप में उभरी है। देश में बसों का 90 प्रतिशत निजी आपरेटरों के पास है। वहीं भारी वाणिज्यिक वाहनों के ईवी में शिफ्ट होने में उच्च अग्रिम लागत, लंबी चार्जिंग अवधि, बैटरी की पुरानी हो जाने और रेंज की चिंता जैसी चुनौतियां हैं। बैटरी स्वैपिंग इन सभी चिंताओं का समाधान है। देश में 2047 तक भारी वाहनों को पूरी तरह से ईवी पर शिफ्ट करने की योजना पर काम किया जा रहा है।
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