Pitru Paksha: पितृ पक्ष में श्रद्धा और नियम से कर्म करने से क्या-क्या होगा? विशेषज्ञ बता दी फायदे से जुड़ी कई बातें
सोनीपत में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह 16 दिनों की अवधि पूर्वजों की आत्माओं को तृप्त करती है और परिवार को सुख-समृद्धि प्रदान करती है। पंडित अर्जुनदेव भारद्वाज के अनुसार पितृ पक्ष में तर्पण दान और सेवा का विशेष महत्व है। इस दौरान सात्विक भोजन का पालन करना और जरूरतमंदों की मदद करना पुण्यकारी माना जाता है।

जागरण संवाददाता, सोनीपत। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) का विशेष महत्व माना जाता है। 16 दिनों की इस पावन अवधि में श्रद्धा और नियम से किए गए कर्मों से न केवल पितरों की आत्मा तृप्त होती है, बल्कि परिवार को पुण्य और आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। शास्त्रों में वर्णित है कि पितरों के तृप्त होने पर वंश में सुख-समृद्धि आती है और संतान की वृद्धि होती है।
पंडित अर्जुनदेव भारद्वाज ने बताया कि पितृ पक्ष में जल, तिल और पिंडदान से तर्पण करना विशेष पुण्यदायी होता है। इससे पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष मिलता है। तर्पण के समय अपने पितरों का स्मरण करते हुए ॐ पितृभ्य: स्वधा नम: का उच्चारण करना चाहिए।
इस अवधि में ब्राह्मणों को भोजन कराना, दक्षिणा देना और गाय को हरा चारा खिलाना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इन कर्मों से पितरों को प्रसन्नता होती है और उनका आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है। उन्होंने बताया कि भूखे व्यक्ति को भोजन कराने, प्यासे को पानी पिलाने और गरीबों की मदद करने से पितरों की तृप्ति होती है। यही कारण है कि पितृ पक्ष को सेवा और दान का पर्व भी माना जाता है।
दान और सात्विक आहार का महत्व
पितृ पक्ष में अन्न, वस्त्र, तिल, अन्न, घी और आवश्यक वस्तुओं का दान करना पुण्यकारी माना जाता है। इसी प्रकार, इस अवधि में सात्विक आहार का पालन करना चाहिए और मांस, मदिरा आदि का त्याग करके व्रत रखना चाहिए।
साथ ही, स्नान, जप, पूजा-पाठ और पवित्रता से जीवन जीने से पितृ पक्ष का फल अधिक प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति इन दिनों का नियम और संयम से पालन करता है, उसके पूर्वज संतुष्ट होते हैं और उसे आशीर्वाद देते हैं।
ये लाभ होंगे
- पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- पितरों का आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है।
- वंश में सुख-समृद्धि और संतान की वृद्धि होती है।
- जीवन में आने वाली बाधाएँ और पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।
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