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    चोर रास्तों से गिर रहे फैक्ट्रियों के दूषित पानी से मैली हो रही यमुना, HSPCB ने तीन सैंपल जांच के लिए भेजे

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 03:16 PM (IST)

    सोनीपत में फैक्ट्रियों से निकलने वाले दूषित पानी से यमुना नदी प्रदूषित हो रही है। प्रदूषण नियंत्रण विभाग को शक है कि बिना शोधित किए पानी को ड्रेन के माध्यम से यमुना में डाला जा रहा है। बड़ी औद्योगिक क्षेत्र के सीईटीपी में पानी का स्तर कम पाया गया। अधिकारियों ने सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे हैं। 

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    भोगीपुर गांव के पास बड़ी औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाले पानी का सैंपल लेते एचएसपीसीबी के कर्मचारी। सौ. एचएसपीसीबी

    नंदकिशोर भारद्वाज, सोनीपत। जिले के उद्योगों का केमिकल युक्त और शहर के सीवर का दूषित पानी लगातार यमुना को मैला कर रहा है। प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारियों को शक है कि चोर रास्तों से बिना शोधित पानी ड्रेन-छह व आठ के जरिये सीधे यमुना में भेजा जा रहा है।

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    पिछले दिनों एचएसपीसीबी ने बड़ी औद्योगिक क्षेत्र का निरीक्षण किया। वहां 16 एमएलडी के एक सीईटीपी में फैक्ट्रियों से आने वाले दूषित पानी का स्तर पर्याप्त नहीं था, जबकि अधिकारियों ने जब गांव भोगीपुर में निकास बिंदु की जांच की तो उन्हें पाइप में पानी का पूरा प्रेशर मिला। इसके बाद अधिकारियों ने सीईटीपी और निकास बिंदु से पानी के सैंपल लेकर लैब में भेजे हैं। इनकी रिपोर्ट इसी सप्ताह आने की उम्मीद है। इसके बाद पता चलेगा कि दूषित पानी को बाईपास किया जा रहा है या नहीं।

    वहीं शहर के सीवर का पानी भी ड्रेन नंबर छह के जरिये ड्रेन आठ से होते गांव दहिसरा के पास यमुना में मिलकर उसे मैली कर रहा है। हालांकि गांव राठधना में 30 एमएलडी के एसटीपी को 60 एमएलडी किए जाने की योजना है, लेकिन अब तक 30 एमएलडी के एसटीपी के लिए सिर्फ 90 करोड़ का बजट ही तय किया गया है। टेंडर प्रक्रिया के बाद इसे बनने में एक से डेढ़ साल का समय लगने की उम्मीद है, तब तक शहर सीवर के अतिरिक्त पानी का कोई इंतजाम नहीं है।

    पिछले दिनों हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व एचएसआइआइडीसी (हरियाणा राज्य आधारभूत संरचना विकास निगम) के अधिकारियों ने बड़ी औद्योगिक क्षेत्र का दौरा किया तो वहां पर अपशिष्ट जल का रिसाव बेरोकटोक जारी मिला। एचएसपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी अजय मलिक के नेतृत्व में टीम ने बड़ी औद्योगिक क्षेत्र स्थित कामन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) का निरीक्षण किया।

    अधिकारियों ने पाया कि 16 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) क्षमता वाले प्लांट में पानी का स्तर उतना नहीं है, जितना सामान्य दिनों में होना चाहिए, जबकि भोगीपुर गांव में पाइप लाइन के निकास बिंदु पर पाइप से पूरे प्रेशर से पानी निकल रहा था। टीम को संदेह है कि भूमिगत पाइपलाइन से अनुपचारित अपशिष्ट पानी को ड्रेन नंबर में छह डालने के लिए बाईपास व्यवस्था की गई होगी।

    टीम ने वहां से पानी के नमूने लिए हैं, जो भूरे व मटमैले रंग थे और उनमें से तेज दुर्गंध आ रही थी। दूसरी ओर सीईटीपी संचालकों ने कहा कि त्योहारों के सीजन में इनलेट पर पर्याप्त मात्रा में अपशिष्ट जल नहीं आ रहा था। भोगीपुर गांव के किसान धर्मवीर ने टीम को बताया कि ड्रेन छह के साथ ही उनके खेत लगते हैं। जब वे खेत में काम करते हैं तो पानी की बदबू से वहां पर काम करना मुश्किल हो जाता है क्योंकि फैक्ट्रियों का दूषित पानी बिना ट्रीटमेंट की ही ड्रेन तक पहुंचता है। वे करीब पांच साल से ऐसा होते देख रहे हैं।

    डाइंग यूनिटों का पानी आता है सीईटीपी में

    एचएसआइआइडीसी के बड़ी औद्योगिक क्षेत्र में करीब 800 फैक्ट्रियां हैं, जिनमें 150 से अधिक डाइंग प्लांट शामिल हैं। फैक्ट्रियों से निकलने वाले दूषित पानी को फेज तीन स्थित 10 और 16 एमएलडी के दो सीईटीपी में शोधित किया जा रहा है। वर्तमान में दोनों सीईटीपी में रोजाना 20 एमएलडी पानी को शोधित किया जा रहा है।

    रविवार को भी सीईटीपी में पानी शोधित कर भूमिगत पाइपलाइन के माध्यम से पांच किलोमीटर दूर भोगीपुर स्थित ड्रेन नंबर छह में छोड़ा जा रहा था। एचएसआइआइडीसी के वरिष्ठ प्रबंधक जसबीर देशवाल ने बताया कि सीईटीपी ठीक चल रहे हैं। इसकी जांच वह स्वयं भी निजी लैब से समय-समय पर करवाते हैं। पिछले कई महीनों से पानी के सैंपल रिपोर्ट भी मानकों की अनुरूप आ रही है।

    एमएलडी के एसटीपी में जा रहा था 50 एमएलडी पानी

    ड्रेन नंबर छह शहर के बीच से गुजर रही है। इस यह शहर के सीवर के दूषित पानी को राठधना गांव स्थित 30 एमएलडी के एसटीपी में पहुंचाती है। पिछले दिनों एचएसपीसीबी ने अपने पर्यावरण अभियंता को निलंबित कर दिया था, क्योंकि वह सही से निगरानी नहीं कर रहे थे। राठधना एसटीपी से रोजाना 20 एमएलडी पानी बिना ट्रीट किए यमुना में डाला जा रहा था।

    तब अधिकारियों ने जायजा लेकर बताया कि यहां पर 30 एमएलडी का एक और एसटीपी बनाने से समस्या का हल हो पाएगा, लेकिन अब तक सिर्फ नए अतिरिक्त एसटीपी के लिए 90 करोड़ का बजट ही तय किया जा सका है। टेंडर प्रक्रिया व निर्माण पूरा होने में करीब डेढ़ साल लगने की उम्मीद है। तब तक यहां से अतिरिक्त पानी बिना शोधन के ही यमुना में जा रहा है।

    वहीं अधिकारी दावा कर रहे हैं कि उन्होंने राठधना एसटीपी पर पहुंचने वाले अतिरिक्त पानी का इंतजाम कर दिया है, लेकिन ड्रेन छह व आठ में पानी के रंग को देखकर कोई भी बता सकता है कि पानी बिना शोधन के ही पहुंच रहा है।

    दहीसरा में ड्रेन का पानी यमुना को कर रहा काली

    राठधना एसटीपी से निकलने के बाद शोधित और बिना शोधित पानी ड्रेन नंबर छह से होते हुए बारोटा गांव के पास ड्रेन नंबर आठ में मिलकर यमुना की ओर जाता है।

    जागरण पड़ताल में सामने आया कि बारोटा गांव में ड्रेन छह का पानी मिलने से पहले ड्रेन आठ का पानी मटमैले रंग का है, जिसे सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन जब ड्रेन नंबर छह का पानी इसमें मिल जाता है तो इसका रंग बिल्कुल काला हो जाता है। यही ड्रेन आठ के जरिये दहीसरा गांव में जाकर यमुना में मिल जाता है। यह वहीं स्थान है जहां पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने यमुना जल का आचमन किया था।

    वायु प्रदूषण भी बढ़ा, सेहत के लिए खतरा

    जिले में वायु प्रदूषण के स्तर में लगातार उतार-चढ़ाव बना हुआ है। रविवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 284 दर्ज किया गया, जो खराब श्रेणी में है। जबकि शनिवार को यह 239 था। प्रदूषण में आई यह वृद्धि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक श्रेणी में मानी जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, मौसम में बदलाव और स्थानीय स्तर पर धूल व वाहनों से निकल रहे धुएं के कारण वायु गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। प्रशासन ने लोगों से अनावश्यक रूप से बाहर निकलने से बचने और मास्क का प्रयोग करने की सलाह दी है।

     

    फैक्ट्रियों से निकलने वाले पानी की निगरानी की जा रही है। समय-समय पर इसके सैंपल लेकर जांच करवाई जाती है। बड़ी औद्याेगिक क्षेत्र के सीईटीपी व निकास बिंदु से पानी के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे हैं। इसी सप्ताह सैंपल की रिपोर्ट आने की उम्मीद है। अगर कोई गड़बड़ी सामने आती है तो नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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    - अजय मलिक, क्षेत्रीय अधिकारी, एचएसपीसीबी, सोनीपत