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    Ganesh Chaturthi 2025 : हरियाणा में आर्थिक तंगी से गुजर रहे मूर्तिकार, बढ़ती महंगाई में घटी मूर्तियों की ऊंचाई

    Updated: Thu, 21 Aug 2025 02:35 PM (IST)

    यमुनानगर में महंगाई की मार से मूर्तिकार परेशान हैं। मूर्ति बनाने की लागत बढ़ने से और मूर्तियों के दाम नहीं बढ़ने से उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है। कई पीढ़ियों से मूर्ति बनाने वाले कलाकार अब इस काम को छोड़ने की कगार पर हैं। मिट्टी और अन्य सामग्री की कीमतें बढ़ने से छोटी मूर्तियां बनाने में भी कठिनाई हो रही है।

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    बढ़ती महंगाई में घटती मूर्तियों की ऊंचाई, आर्थिक तंगी से गुजर रहे मूर्तिकार (जागरण फोटो)

    दीपक प्रजापति, यमुनानगर। एक तरफ महंगाई से आम तबका परेशान है, वही मूर्तिकार भी इससे अछूते नहीं है। महंगाई की मार मूर्तिकारों पर कुछ ज्यादा ही पड़ रही है।

    वजह कि मूर्ति के बनाने में लागत बढ़ गई है, किन्तु मूर्ति के दाम नहीं बढ़े सके है। इतने के बाद भी खरीदने वाले मूर्ति की गुणवत्ता नहीं बल्कि दाम देख खरीद रहे है। दैनिक जागरण ने इस संबंध में कुछ मूर्तिकारों से बातचीत किया तो कलाकारों ने कुछ यूं अपना दर्द सुनाया।

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    विघ्नहर्ता भगवान गणेश का अब बस आगमन होने की वाला है। छोटे से लेकर बड़े स्वरूप में भगवान गणेश की स्थापना की जाती है, लेकिन महंगाई के कारण गणपत्ति बप्पा के इस त्यौहार को मनाने का तरीका भी थोड़ा बदल गया है।

    हर साल की तरह इस बार बाजारों में भगवान गणेशकी विशाल मूतियां ज्यादा संख्या में देखने को नहीं मिल रही। इस बार मूर्तिकारों ने भगवान की बड़ी मूर्तियां ज्यादा संख्या में बनाई ही नहीं हैं। उनका कहना है कि महंगाई के कारण उनको काफी घाटा हुआ है। पहले की तरह इस बार ऑर्डर नहीं मिले हैं। वहीं कुछ मूर्तिकारों का यह भी कहना है कि मर्ति बनाने का व्यवसाय अब घाटे का सौदा बन गया है।

    कई पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा, अब छूटने की कगार पर

    कई पीढ़ियों से मूर्ति बनाने का काम करने वाले मूर्तिकारों की आर्थिक स्थिति काफी खराब है। सेक्टर 17 में मूर्ति बना रही व मालवा से आई मूर्तिकार अमिता ने बताया कि कई पीढ़ियों से वह मूर्ति बनाने का काम कर रही हैं, लेकिन अब स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि उन्हें कई बार लगता है कि अब मूर्ति बनाने का काम बंद करना पड़ेगा।

    मूर्तिकारों का कहना है कि वह इतनी तंगी से गुजर रहे हैं कि अपने परिवार के पालन पोषण तक में उन्हें परेशानी हो रही है, दो वक्त की रोटी के लिए तक पैसे नहीं जुड़ पाते हैं।

    तीन गुना महंगी हुई मिट्टी की कीमत

    राजस्थान के पाली जिले से आए मूर्तिकार सेनाराम ने बताया कि छोटी मूर्तियां बनाने में उन्हें कम बचत होती है। 2 सालों से बड़ी मूर्तियों के ऑर्डर नहीं मिल पा रहे हैं। बड़ी मूर्तियों से ही वह ज्यादा लाभ कमाते थे।

    महंगाई के कारण से बड़ी मूर्तियां तो बनाना बंद ही कर दिया है। अब छोटी मूर्तियों को बनाने में भी उनका पसीना निकल रहा है। पेट्रोल-डीजल के बढ़े दामों के कारण हर सामान का रेट भी काफी बढ़ गया है।

    व्यापारी बाहर से आकर बेच रहे मूर्तियां

    मूर्तिकार रमेश ने एक और समस्या बताई। उन्होंने कहा कि बाहर से रेडीमेड मूर्तियां लाकर कम कीमतों में बाजार में बेची जाती हैं। जिसके कारण उनके व्यवसाय में और कंपटीशन पैदा हो गया है। कई बार तो जिस कीमत में मूर्ति बनकर तैयार हुई है उसी कीमत में उन्हें बेचना पड़ जाता है।

    सेक्टर 17 में मूर्ति बना रहे मध्यप्रदेश के भोपाल से आए बलराम बताते हैं कि पहले बांस, 90 इंच वाली रस्सी, कलर सहित अन्य सामान काफी सस्ते मिल जाते थे। मगर महंगाई के चलते वही बांस अब दौ सौ रुपये में एक, 60 रुपये किलो कील और 65 रुपये किलो 90 इंच वाली रस्सी मिल रही है।

    महंगाई और मेहनत के हिसाब से इस समय मूर्ति के दाम नहीं मिल रहे है। वहीं मूर्तिकार गोपाल कहते है कि कला की पूजा होती है कलाकार की नहीं। मगर इस समय कला नहीं पैसे की पूजा हो रही है। इसी हिसाब से लोग मूर्तियां खरीद रहे है।