बिलासपुर बस हादसा: आपदा नहीं प्रशासनिक लापरवाही ने ले ली 16 लोगों की जान, अंदर की बात आई सामने
Bilaspur Bus Accident हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में भल्लू पुल के पास बस हादसे में 16 लोगों की जान चली गई। यह स्थान पहले से ही ब्लैक स्पॉट घोषित था लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। नेशनल एंबुलेंस सर्विस ने चेतावनी बोर्ड लगाने का सुझाव दिया था जिसे अनदेखा कर दिया गया।

संवाद सहयोगी, बरठीं (बिलासपुर)। Bilaspur Bus Accident, हिमाचल प्रदेश की नेशनल एंबुलेंस सर्विस ने जिस स्थान को पहले ही ब्लैक स्पाॅट घोषित कर प्रशासन को चेतावनी दी थी, वही जगह अब एक भयावह हादसे का गवाह बन गई।
बिलासपुर जिला के बरठीं क्षेत्र के भल्लू पुल मार्ग पर मंगलवार देर शाम को हुए दर्दनाक हादसे में 16 लोगों की जान चली गई, जब एक निजी बस पर अचानक पहाड़ से भारी मलबा आ गिरा।
यह हादसा केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा भी है, जिसे पहले ही रोका जा सकता था। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस मार्ग पर पहले भी एक वाहन खाई में गिर चुका है।
पहाड़ी में पड़ी थी दरारें
भल्लू पुल से सटे पहाड़ी क्षेत्र में दरारें पहले से नजर आ रही थीं और वह लगातार खिसकती भी रही थी। बावजूद इसके, न कोई तकनीकी जांच करवाई गई और न ही कोई सुधारात्मक कार्य किया गया।
न चेतावनी बोर्ड लगा न भूस्खलन रोकने के उपाय किए
आपकाे बता दें कि भल्लू पुल मार्ग को 108 आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा की ओर से पहले ही ब्लैक स्पाट के रूप में चिन्हित किया गया था। एंबुलेंस सर्विस द्वारा प्रशासन को इस क्षेत्र में चेतावनी बोर्ड लगाने और गिरते पहाड़ से भूस्खलन रोकने का उपाय किया गया। लेकिन दुर्भाग्यवश न तो कोई चेतावनी बोर्ड लगाया गया और न ही किसी प्रकार का संरचनात्मक सुधार किया गया।
भल्लू पुल के मामले में प्रशासन ने मूंदे रखी आंखे
जानकारी के अनुसार नेशनल एंबुलेंस सर्विस हर वर्ष राज्य के सभी जिलों के ब्लैक स्पाट की लिस्ट प्रशासन को सौंपती है, जिसमें इन खतरनाक स्थानों पर जरूरी कदम उठाने की सिफारिशें भी शामिल होती हैं। फिर भी, बिलासपुर जिला के भल्लू पुल के मामले में प्रशासन ने आंख मूंदे रखीं थी।
कार्रवाई की होती तो न होतीं 16 मौतें
वहीं, यह सवाल अब उठना स्वाभाविक है कि जब किसी सरकारी एजेंसी ने पहले ही चेतावनी दे दी थी, तो फिर प्रशासन ने क्यों कोई कार्रवाई नहीं की। अगर पहले ही उचित कदम उठाए जाते, तो आज इन 16 लोगों की जान बचाई जा सकती थी।
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हादसे के बाद जागा सिस्टम, लेकिन हो चुकी देरी
हादसे के बाद राहत और बचाव कार्य शुरू किए गए। मलबे से लोगों को निकालने के लिए एनडीआरएफ, स्थानीय प्रशासन और ग्रामीणों ने मिलकर प्रयास किए। पर यह सब उस त्रासदी के बाद हुआ, जिसे रोका जा सकता था। अब प्रशासन की तरफ से जांच की बात कही जा रही है, लेकिन यह घटना के बाद की संवेदनशीलता कितनी प्रभावी होगी, यह आने वाला समय बताएगा।
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