विश्व चैंपियन बेटी के लिए मां ने मांगी थी शिमला के मंदिर में मन्नत, 3 साल की उम्र में पिता को खोने वाली रेणुका के संघर्ष की कहानी
विश्व चैंपियन बेटी रेणुका के लिए मां ने शिमला के मंदिर में मन्नत मांगी थी। रेणुका ने बचपन में ही अपने पिता को खो दिया था और उनकी परवरिश उनकी मां ने अकेले की। रेणुका का जीवन संघर्षों से भरा रहा है, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से सफलता हासिल की। उनकी कहानी प्रेरणादायक है।

भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सदस्य रेणुका सिंह ठाकुर। महिला क्रिकेटर मां सुनीता ठाकुर के साथ। सौ. इंस्टाग्राम
मुनीष गारिया, बिलासपुर। आइसीसी महिला विश्वकप की विजेता बनी भारतीय टीम का हिस्सा रही हिमाचल प्रदेश की बेटी रेणुका ठाकुर ने टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया। रेणुका ठाकुर हिमाचल प्रदेश की पहली क्रिकेटर बन गई हैं, जिनका भारत को आइसीसी विश्व कप चैंपियन बनाने में योगदान रहा।
सेमीफाइनल जीतने के बाद रेणुका की मां सुनीता ठाकुर ने अपने इष्ट देवी देवताओं के मंदिर जाकर मन्नत मांगी थी कि भारतीय टीम चैंपियन बन जाए। अब भारत के विजेता बनने पर रेणुका की मां सुनीता ठाकुर बेटी के घर आने पर उसे साथ लेकर नाहर सिंह देवता, दुर्गा माता मंदिर व बोठा मासु देवता के मंदिर जाएंगी।
मैच से पहले क्या कहा था मां से
दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में रेणुका की मां सुनीता ठाकुर ने बताया कि फाइनल से पहले रविवार सुबह रेणुका का फोन आया था। फोन पर रेणुका ने कहा कि मां आप खुश रहना आज फाइनल है। आपकी मेहनत से ही आज मैं यहां पहुंची हूं, आपके लिए कुछ भी करूंगी। इस पर मां ने कहा कि आज तेरी लिए बहुत बड़ा दिन है। फाइनल में ऐसे खेलना की पूरा विश्व याद रखे। आज का मैच जीतने के लिए पूरी जान झोंक देना।
रेणुका के गांव में जश्न का माहौल
मैच जीतने के बाद से ही उनके गांव पारसा रोहड़ू में जश्न चल रहा है। रात को ही गांव के लोगों ने नाटी डालकर खुशी मनाई। रेणुका की मां ने कहा कि पूरे टूर्नामेंट में भारतीय टीम के हर सदस्य, कोच व अधिकारियों ने पूरी मेहनत की है, जिसका परिणाम आज सबके सामने है।
पूरे विश्व कप में रेणुका ने करवाई किफायती गेंदबाजी
विश्व कप के दौरान भले ही रेणुका के हाथ अधिक विकेट नहीं लगी हों, लेकिन उनकी गेंदबाजी बहुत किफायती रही है। फाइनल मैच में रेणुका ने सबसे कम मात्र 28 रन दिए हैं।
ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध बेहतरीन फील्डिंग की
वहीं ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रेणुका का क्षेत्ररक्षण बहुत अच्छा रहा। उन्होंने फील्डिंग से करीब 15 से 18 रन टीम के लिए बचाए। इसके लिए मैच के बाद कोच ने उन्हें अपने स्तर पर बेस्ट फील्डर भी कहा। रेणुका ने न्यूजीलैंड के खिलाफ दो व बांग्लादेश के खिलाफ एक विकेट भी झटका है।
तीन साल की उम्र में खो दिया था पिता को
रेणुका ठाकुर की कहानी और उपलब्धियां संघर्ष से सफलता तक की एक प्रेरणादायक यात्रा है। मात्र तीन साल की आयु में रेणुका ने अपने पिता को खो दिया। सीमित संसाधनों के बावजूद अपनी स्विंग गेंदबाजी और दृढ़ संकल्प से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी पहचान बनाई। गांव के मैदानों में लड़कों के साथ क्रिकेट खेलते हुए, उन्होंने अपनी प्रतिभा को निखारा।
2009 में अकादमी में लिया था प्रवेश
उन्होंने 2009 में हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की आवासीय अकादमी में प्रवेश लिया, जहां उनके कौशल को तराशा गया। घरेलू क्रिकेट 2019-20 सीनियर महिला वनडे लीग में सबसे ज़्यादा 23 विकेट लिए।
2021 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण
7 अक्टूबर 2021 को रेणुका ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ महिला टी-20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया। 2022 में आइसीसी ने रेणुका को वर्ष की उभरती हुई महिला क्रिकेटर के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
रेणुका की खास उपलब्धियां
- टी-20 अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में शीर्ष 5 गेंदबाजों में स्थान बनाया।
- 2022 में बर्मिंघम में हुई राष्ट्रमंडल खेलों में रेणुका फिनिशर के रूप के उभरी।
- टेस्ट मैच: 14 दिसंबर 2023 को इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच में पदार्पण किया।
- पांच विकेट: 22 दिसंबर 2024 को वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने पहले वनडे में पांच विकेट लेने का कारनामा किया।

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