हिमाचल विधानसभा में किन मुद्दों की रही सबसे ज्यादा तपिश, कांगड़ा को साधने में कितने कामयाब हुए सीएम?
धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र समाप्त हो गया। विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की, जिसका मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने डट ...और पढ़ें

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू।
राज्य ब्यूरो, धर्मशाला। तपोवन स्थित हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को समाप्त हो गया है। पहली बार आठ दिन का सत्र धर्मशाला में हुआ। विपक्षी दल भाजपा सत्र के पहले दिन से ही सरकार को घेरने के लिए ठोस रणनीति बनाकर सदन में आया था।
सत्ता पक्ष की ओर से मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू खुद मोर्चे पर रहे। पंचायत चुनाव का मुद्दा हो या आपदा का प्रश्न, मुख्यमंत्री ने तथ्यों व आकंडों के साथ जवाब दिया। भाजपा को उनके समय की भी याद दिलाई।
आंतरिक गुटबाजी पर भी प्रहार
मुख्यमंत्री ने प्रश्नों के उत्तर देने के साथ भाजपा की आंतरिक गुटबाजी पर भी प्रहार करने में कसर नहीं छोड़ी। विपक्ष ने मंत्रियों के विभागों से संबंधित प्रश्न पूछकर आक्रामक वार किया, तो मुख्यमंत्री वहां पर भी मंत्रियों की ढाल बनकर नजर आए। उन्होंने मंत्रियों के जवाब में खुद हस्तक्षेप कर सरकार की योजना का ब्यौरा दिया। विपक्ष की ओर से जयराम ठाकुर को ही हर समय सरकार के प्रत्येक मुद्दे का सामना करना पड़ा। नए और पुराने सभी भाजपा विधायक अधिकांश समय सीटों पर बैठे रहे।
कांगड़ा को साधने का प्रयास
मुख्यमंत्री ने विधानसभा सत्र के दौरान कांगड़ा जिला को साधने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। रोजाना सत्र शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री लोगों से मिलते थे व जनसमस्याएं सुनते थे। जैसे ही सदन से समय मिलता वह विधानसभा क्षेत्रों में विकास कार्यों के कार्यक्रम में भी पहुंच जाते थे। मुख्यमंत्री ने सत्र के दौरान ही सरकार व संगठन के बीच समन्वय बनाने की पूरी कोशिश की।
धर्मशाला में ओबीसी के आक्रोश को भांपते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष की तैनाती की। कांगड़ा में ओबीसी का बहुत बड़ा वोट बैंक है। यह नियुक्ति एक अहम निर्णय माना जा रहा है। यही नहीं बोर्ड व निगमों में भी कई ताजपोशी की है।

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