हिमाचल: हमीरपुर में घर के आंगन में निकली पहाड़ों में उगने वाली गुच्छी, बेहद खास है यह प्राकृतिक मशरूम; नहीं होती खेती
हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में एक घर के आंगन में दुर्लभ गुच्छी मशरूम मिली है। यह प्राकृतिक रूप से पहाड़ों में उगती है और इसकी खेती नहीं होती। स्थानीय लोग इसे प्रकृति का अद्भुत उपहार मान रहे हैं। गुच्छी का मिलना क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।

हमीरपुर के नरेली में घर के आंगन के पास उगी गुच्छी।
मुनीत शर्मा, हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाने वाली गुच्छी निचले इलाकों में मिली है। प्रकृति ने इस बार हमीरपुर जिले के नरेली गांव में एक अनोखा करिश्मा दिखाया है। यहां के निवासी संजीव कपिल के घर के आंगन में अचानक गुच्छी (मोरल मशरूम) उग आई है।
गुच्छी आमतौर पर ठंडे और ऊंचाई वाले क्षेत्रों जैसे कुल्लू, चंबा, किन्नौर, लाहुल स्पीति और जम्मू-कश्मीर में पाई जाती है। ऐसे में इसका हमीरपुर जैसे अपेक्षाकृत गर्म क्षेत्र में स्वयं उग आना ग्रामीणों के लिए कौतूहल का विषय बन गया है।
संजीव ने बताया कि उन्होंने सुबह जब आंगन में देखा तो मिट्टी के बीच यह अनोखा मशरूम उगा हुआ था। पहले तो परिवार को विश्वास नहीं हुआ, लेकिन नजदीक से देखने पर यह वास्तव में गुच्छी निकली। खबर फैलते ही आसपास के लोग भी इसे देखने उनके घर पहुंच गए।
नहीं होती खेती, प्राकृतिक तौर पर उगती है गुच्छी
जानकार बताते हैं कि गुच्छी किसी भी सामान्य खेती या बुवाई से नहीं उगाई जा सकती। यह केवल प्राकृतिक रूप से ही ठंडे, नम और छायादार जंगलों की मिट्टी में पनपती है। इसकी पहचान इसके छत्तेदार सिर और सुगंधित स्वाद से की जाती है।
20 से 40 हजार रुपये प्रति किलो है कीमत
बाजार में इसकी कीमत 20 से 40 हजार रुपये प्रति किलो तक होती है, जिससे यह हिमालयी क्षेत्रों की सबसे महंगी खाद्य वस्तुओं में गिनी जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना अध्ययन योग्य है। यदि यह साबित हो जाए कि गुच्छी अपेक्षाकृत गर्म इलाकों में भी उग सकती है, तो हिमाचल में इसके व्यावसायिक उत्पादन के नए रास्ते खुल सकते हैं।
औषधीय गुणों से भरपूर गुच्छी
गुच्छी अपने स्वाद व उच्च औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है। यह प्रोटीन, फाइबर, आयरन और विटामिन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर है। गुच्छी कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने में भी मदद कर सकती है। कैंसर के अलावा अन्य रोगों के लिए भी यह उपयोगी साबित होती है।

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