Himachal By-Election: देहरा से कांग्रेस ने फिर जताया महिला उम्मीदवार पर भरोसा, चुनावी मैदान में टक्कर देंगी CM सुक्खू की पत्नी
हिमाचल प्रदेश में 10 जुलाई को तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव (Himachal By-Election) होना है। हमीरपुर नालागढ़ और देहरा सीट पर वोटिंग होगी। देहरा से कांग्रेस ने सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर (Kamlesh Thakur) को प्रत्याशी बनाया है। देहरा विधानसभा सीट 2008 में हुए परिसीमन के बाद बना था। देहरा से सिर्फ कांग्रेस ने दो बार किसी महिला को चुनाव लड़ने का मौका दिया है।
सुनील राणा, कांगड़ा। वर्ष 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आए देहरा विधानसभा (Dehra Assembly Seat) में मुख्य राजनीतिक दलों ने सिर्फ दो बार किसी महिला को चुनाव लड़ने का मौका दिया है। विशेष यह है कि दोनों ही बार कांग्रेस ने ही महिलाओं पर भरोसा किया है।
साल 2017 के चुनाव में देहरा से विप्लव ठाकुर और इस बार हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस ने कमलेश ठाकुर को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा ने अभी तक महिला प्रत्याशी को नहीं उतारा है। अभी तक यहां से एक बार भी महिला विधायक नहीं बन पाई है।
अब अगर कांग्रेस यहां पर जीतती है तो पहली बार देहरा को महिला विधायक मिलेगी। 2017 में सुदेश चौधरी निर्दलीय चुनाव लड़ चुकी हैं।
1972 में विधानसभा क्षेत्र बना था देहरा
परिसीमन के बाद तत्कालीन जसवां, परागपुर और ज्वालामुखी के कई इलाकों को मिलाकर देहरा विधानसभा क्षेत्र बना था। परागपुर और जसवां में 1972 से लेकर अब तक हुए चुनाव में सिर्फ 10 बार ही महिलाओं ने चुनाव लड़ा, लेकिन इनमें से दो महिलाएं ही चार बार विधानसभा पहुंच पाईं।
इनमें जसवां से तीन बार विप्लव ठाकुर और एक बार परागपुर का प्रतिनिधित्व करने वाली निर्मला देवी का नाम शामिल हैं, जबकि ज्वालामुखी में आज तक सिर्फ तीन बार महिलाएं उम्मीदवार रहीं लेकिन जीत एक भी नहीं पाई।
परागपुर : दोनों को भाजपा ने दिया मौका
तत्कालीन परागपुर विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 1972 से 2007 तक हुए नौ आम और एक उपचुनाव में सिर्फ दो महिलाओं ने ही चुनाव लड़ा था। इनमें से एक आम चुनाव और दूसरी उपचुनाव में भाजपा से प्रत्याशी थी। पहला नाम है निर्मला देवी का।
भाजपा ने 1998 के चुनाव में विजयी रहे मास्टर वीरेंद्र कुमार के निधन के बाद उनकी पत्नी निर्मला को प्रत्याशी बनाया था। इस चुनाव में उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के योगराज को करीब 11 हजार वोट से हराया था।
इसके बाद 2003 के चुनाव में भाजपा ने निर्मला देवी का टिकट काट कर अनीता संदल को प्रत्याशी बनाया, लेकिन वह जीत नहीं पाई थीं।
जसवां : मां-बेटी ने कांग्रेस से लड़ा है चुनाव
तत्कालीन जसवां विधानसभा क्षेत्र में 1972 से 2007 तक हुए नौ चुनाव में सिर्फ कांग्रेस की विप्लव ठाकुर को ही विधायक बनने का मौका मिला है, जबकि उनकी मां समेत तीन अन्य महिलाओं ने चुनाव जरूर लड़ा है।
विप्लव ठाकुर 1985, 1993 और 1998 के चुनाव में विधायक बनी हैं, जबकि 1990 और 2003 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
विप्लव की माता सरला शर्मा 1982 में कांग्रेस से प्रत्याशी रहीं, लेकिन भाजपा के आज्ञा राम से हार गई थीं। इसके अलावा 1993 के चुनाव में जनता दल से कमला गुलेरिया और निर्दलीय प्रत्याशी भाग्यवती ने भी भाग्य आजमाया है।
ज्वालामुखी : नहीं मिली एक भी महिला विधायक
परिसीमन के दौरान ज्वालामुखी हलके में भी कुछ पंचायतें कटीं तो कुछ जोड़ी गई थीं। यहां 1972 से लेकर 2017 के चुनाव में तीन महिला प्रत्याशी रहीं, लेकिन विधानसभा कोई भी नहीं पहुंची। 1998 के चुनाव में यहां से हिमाचल विकास कांग्रेस ने वीना देवी को प्रत्याशी बनाया था।
साल 2007 के चुनाव में कांग्रेस ने रूमा कौंडल पर दांव खेला और 2012 के चुनाव में डा. मधु गुप्ता यहां से तृणमूल कांग्रेस की प्रत्याशी थीं। संयोग है कि आज तक इस हलके से एक भी महिला जीत नहीं पाई है।
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