हिमाचल में शिक्षा के मंदिर असुरक्षित, जर्जर भवन और साथ में खड़े सूखे पेड़ खोल रहे व्यवस्था की पोल
himachal Pradesh Govt Schools हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में भदरोआ के सरकारी स्कूलों की हालत खस्ता है। जर्जर इमारतें दीवारों में सीलन और टूटी खिड़क ...और पढ़ें

मुकेश/शिवालिक, भदरोआ/भवारना (कांगड़ा)। असुरक्षित शिक्षा के मंदिरों में ज्ञान की ज्योति कैसे जलेगी। इस सवाल का जवाब जिम्मेदार लोगों के पास नहीं है। दावे तो सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता की शिक्षा देने के किए जा रहे हैं लेकिन वास्तविकता इससे कोसों दूर हैं। असुरक्षित स्कूल भवन विद्यार्थियों के लिए खतरा बने हैं।
जर्जर भवन, दीवारों में सीलन व स्कूल भवनों के साथ पेड़ विद्यार्थियों की सुरक्षा की पोल खोल रहे हैं। अगर सही ढंग से सरकारी स्कूलों में सुविधाएं ही नहीं होंगी तो विद्यार्थी कैसे निजी स्कूलों के बच्चों के साथ प्रतियोगिता के इस दौर में आगे निकल पाएंगे। स्कूल प्रबंधन व सरकार को बच्चों की सुरक्षा की ओर ध्यान देना चाहिए।
भदरोआ स्कूल में हालात बदतर
कांगड़ा जिला के इंदौरा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत राजकीय माध्यमिक पाठशाला भदरोआ एवं राजकीय प्राथमिक पाठशाला भदरोआ में हालात बदतर हैं। विद्यार्थी जर्जर भवनों में पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं। कई स्कूलों में शौचालय नहीं हैं और खिड़कियों के शीशे टूटे हैं। चारदीवारी टूटी है तो कहीं भवनों का प्लास्टर नीचे गिर रहा है।
विद्यार्थियों के लिए खेल मैदान तक नहीं
विद्यार्थियों के लिए खेल मैदान भी नहीं हैं। साथ ही शिक्षा खंड भवारना के तहत चंजेहड़ स्कूल के पीछे चीड़ के पेड़ भवन के लिए खतरा बने हैं। हैरानी की बात यह है कि इन पेड़ों को काटने के लिए आजतक कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। लगता है संबंधित विभाग किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है।
राजकीय माध्यमिक पाठशाला भदरोआ
- छात्रों की संख्या : 44
- निर्माण वर्ष : 2004
- कक्षाएं : छठी से आठवीं तक
- समस्या : टपकती है छत, दीवारों में सीलन। बाथरूम के दरवाजे खस्ताहाल।
क्या कहते हैं प्रधानाचार्य
बदहाल भवन, बाथरूम की छत व दरवाजों की मरम्मत के लिए बजट विधायक से मांगा है। साथ ही बैडमिंटन कोर्ट बनाने की मांग भी उठाई है। अभी तक इस दिशा में कुछ भी नहीं हुआ है।
-दर्शन शर्मा, प्रधानाचार्य राजकीय माध्यमिक पाठशाला भदरोआ।
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राजकीय प्राथमिक पाठशाला चंजेहड़
- छात्रों की संख्या: 9
- निर्माण वर्ष : 1980
- समस्या : स्कूल भवन के पीछे चीड़ के पेड़ खतरा बने हैं। भवन की छत पर रखी टंकी भी सुरक्षित नहीं है। चारदीवारी न होने से खेल मैदान में हर समय बेसहारा पशु डेरा डाले रहते हैं।
चीड़ के पेड़ों को काटने के लिए वन विभाग को मौखिक रूप से कहा है। फिलहाल छुट्टियां हैं। स्कूल खुलते ही इस मामले में कार्रवाई की जाएगी। बच्चों की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं होगा।
-रणवीर सिंह, हेड टीचर चंजेहड़ स्कूल।
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बच्चे शौच के लिए इधर-उधर न जाएं, इसके लिए स्कूल प्रबंधन को समय-समय पर सफाई रखने के लिए कहा जाता है। बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए भी प्रयास किए जाएंगे।
-मीरा देवी, एसएमसी, प्रधान चंजेहड़ स्कूल।

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