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    आप धन्य हैं मां! रोज छह KM पैदल चलकर वजन घटाया, फिर किडनी देकर बचाई बेटे की जान

    कांगड़ा के टांडा मेडिकल कॉलेज में एक मां ने अपने बेटे को किडनी दान करके उसकी जान बचाई। ज्वालामुखी के आदित्य की दोनों किडनियाँ खराब हो गई थीं जिसके बाद 42 वर्षीय पूजा शर्मा ने अपनी किडनी देने का फैसला किया। वजन अधिक होने के कारण पूजा ने एक वर्ष तक कड़ी मेहनत की और अपना वजन कम करके ट्रांसप्लांट के लिए खुद को तैयार किया।

    By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 13 Aug 2025 11:11 AM (IST)
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    Himachal News: आदित्य की माता पूर्जा शर्मा व आदित्य, जागरण फोटो

    तरसेम सैनी. टांडा (कांगड़ा)। आप धन्य हैं मां। आपने न सिर्फ नौ माह कोख में बच्चे को पाला, बल्कि जब उसके जीवन पर बन आई तो आप उसकी ढाल भी बनीं अपने प्राणों की परवाह तक नहीं की और किडनी देकर उसकी जान भी बचा ली।

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    डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा में मंगलवार को किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. अमित शर्मा, नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. अभिनव राणा ने टीम के साथ 14वां किडनी ट्रांसप्लांट किया। ज्वालामुखी के चौकाठ गांव के 20 वर्षीय आदित्य को उसकी माता 42 वर्षीय पूजा शर्मा ने किडनी दी।

    'आदित्य की दोनों किडनियां थीं खराब'

    आदित्य की जिंदगी में उस समय नया मोड़ आया जब लगभग एक वर्ष पहले पता चला कि उसकी दोनों किडनियां खराब हो गई हैं। आदित्य उस दौरान मां के साथ नेफ्रोलॉजी विभाग में जांच करवाने आया था। नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. अभिनव राणा ने जब आदित्य की दोनों किडनी खराब होने की बात कही तो मां पूजा शर्मा ने तपाक से कहा था- 'मैं अपने बेटे को किडनी दूंगी।' जब डॉ. राणा ने कहा कि उन्होंने तो अभी आपको पूछा ही नहीं।

    पूजा शर्मा का कहना दर्शाता है कि वह अपने बेटे के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार थीं। हालांकि, किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी जटिल तो थी, लेकिन एक मां की तपस्या, त्याग से ज्यादा नहीं। सभी टेस्ट के बाद पूजा की किडनी का बेटे आदित्य के साथ मिलान तो हो गया, लेकिन ट्रांसप्लांट के लिए उनका ज्यादा वजन भी बाधा बना।

    छह किलो घटाया वजन

    उनका वजन 75 किलोग्राम था तो विशेषज्ञों को डर था कि ऑपरेशन के लिए कोई परेशानी न हो जाए। उन्होंने पूजा शर्मा को वजन कम करने की सलाह दी। आदित्य को बचाने के लिए पूजा ने एक वर्ष तक हर वह उपाय किया जो टांडा मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञों ने उन्हें बताया।

    रोज सुबह साढ़े तीन बजे उठकर पैदल ज्वालामुखी के गांव चौकाठ से तीन किलोमीटर दूर नादौन पहुंचती थीं और पैदल ही आती थीं। जिम में वजन कम करने के लिए डंबल्स उठाए, व्यायाम किए, डायटिंग भी की। 75 किलोग्राम से उन्होंने अपना वजन 68 किलो कर लिया। मंगलवार को ऑपरेशन सफल होने से मां के कलेजे को चैन मिली। अभी मां बेटा दोनों सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल के सघन चिकित्सा वार्ड में विशेषज्ञों को निगरानी में हैं।

    ये रहे टीम में शामिल

    नेफ्रोलाजी विभागाध्यक्ष डॉ. अभिनव राणा किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. अमित शर्मा, डा. आशीष शर्मा, डा. संजीव चौहान, डा. दिव्यम कौशल, ट्रांसप्लांट को आडिनेटर नीरज जम्वाल, कल्पना शर्मा और दिव्यांशी शर्मा, एनेस्थीसिया विभाग, ओटी स्टाफ, नर्सिंग व अन्य स्टाफ।

    पहली बार हुआ एक व्यक्ति का दूसरा किडनी ट्रांसप्लांट

    मंगलवार को टांडा मेडिकल कॉलेज में दो किडनी ट्रांसप्लांट हुए। आदित्य के अलावा शाहपुर के गांव बंडी के जगमोहन का भी किडनी ट्रांसप्लांट हुआ। जगमोहन को उनकी पत्नी ने किडनी दी। जगमोहन ने 12 वर्ष पहले मैक्स अस्पताल से किडनी ट्रांसप्लांट करवाया है।

    उस दौरान उन्हें माता ने किडनी दी थी । विशेषज्ञों के मुताबिक यह पहला मामला है जिसमें एक व्यक्ति के दो किडनी ट्रांसप्लांट हुए हैं। टांडा मेडिकल कॉलेज में अब तक 15 किडनी ट्रांसप्लांट हो चुके हैं।हा था,