Bijli Mahadev Mandir: बिजली महादेव पर गिरी बिजली, खंडित हुआ शिवलिंग; 12 साल बाद होती है ऐसी घटना, जानिए रहस्य
कुल्लू में स्थित बिजली महादेव मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यहां समुद्र तल से 7874 फीट की ऊंचाई पर स्थित शिवलिंग पर हर 12 साल बाद बिजली गिरती है जिससे वह खंडित हो जाता है। हाल ही में दो सप्ताह पहले भी ऐसी घटना हुई थी। मंदिर प्रबंधन ने शिवलिंग को फिर से जोड़ दिया है और अब भक्त दर्शन कर सकते हैं।

दविंद्र ठाकुर, कुल्लू। हिमाचल प्रदेश में यूं तो अनेक धार्मिक स्थल हैं, लेकिन बिजली महादेव एक ऐसा धार्मिक व रमणीय स्थल है, जो अपनी सुंदरता व विहंगम दृश्य से लोगों को बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है। यहां पर आज भी भगवान शिव मंदिर के पुजारी को हर साल देव आदेश देते हैं। समुद्र तल से 7874 फीट की ऊंचाई पर स्थित बिजली महादेव मंदिर के अंदर पिंडी पर हर 12 साल बाद बिजली गिरती है, जिसके बाद पिंडी पर लगाया मक्खन का लेप खंडित हो जाता है।
बिजली गिरने का कोई समय निर्धारित नहीं होता है। यह कभी भी किसी भी समय पिंडी पर गिरती है। इसके बाद मंदिर के पुजारी व सहयोगी फिर से पिंडी को मक्खन का लेप करते हैं। ऐसी ही घटना दो सप्ताह पूर्व हुई दिन के समय अचानक आसमान से बिजली गिरी और शिवलिंग खंडित हो गया।
उस समय मंदिर में दो युवक भी दर्शन कर रहे थे। मंदिर का पुजारी पूजा के कार्य से मंदिर के बाहर था। दोनों युवकों ने बताया कि शिवलिंग खंडित हो गया और मंदिर के पुजारी ने अंदर जाकर शिवलिंग को भी देखा।
इसके बाद मंदिर प्रबंधन के द्वारा दो सप्ताह पहले हुए इस घटना के बाद मंदिर को बंद कर दिया गया था और श्रद्धालुओं को भी मंदिर में न आने के बारे में निर्देश दिए गए थे, लेकिन अब शिवलिंग को पूरी तरह से जोड़ दिया गया और भक्त अब भगवान बिजली महादेव के शिवलिंग के दर्शन कर रहे हैं। भगवान रघुनाथ की छड़ी बरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि जिस दौरान यह बिजली गिरी।
उस दौरान दो श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर रहे थे और मंदिर का पुजारी पूजा के कार्य से मंदिर के बाहर था। ऐसे में दोनों युवकों ने बताया कि शिवलिंग खंडित हो गया है और मंदिर के पुजारी ने अंदर जाकर शिवलिंग को भी देखा। उसके बाद उसने अन्य लोगों को सूचित किया और मंदिर में देव आज्ञा के अनुसार पूजा पाठ के कार्य किए गए। अब भगवान बिजली महादेव की पिंडी को मक्खन से जोड़ दिया गया है।
क्या कहते हैं इतिहासकार
इतिहासकार डॉ. सूरत ठाकुर ने बताया कि 'मंदिर के भीतर स्थापित शिवलिंग पर हर 12 साल बाद भयंकर आसमानी बिजली गिरती है। बिजली गिरने से मंदिर का शिवलिंग खंडित हो जाता है। यहां के पुजारी खंडित शिवलिंग के टुकड़े एकत्रित कर मक्खन के साथ इसे जोड़ देते हैं, कुछ ही माह बाद शिवलिंग पुराने स्वरूप में परिवर्तित हो जाता है। भोलेनाथ लोगों को बचाने के लिए इस बिजली को अपने ऊपर गिराते हैं। इसी वजह से भगवान शिव को यहां बिजली महादेव कहा जाता है। बाक्स
जब भी कोई बड़ी विपदा आने वाली हो तो उस दौरान इस तरह की घटना पेश आती है और भगवान भोलेनाथ शिवलिंग के ऊपर बिजली गिरा कर उस विपदा को टाल देते हैं। इस बार भी कई सालों के बाद इस तरह की घटना आई है।
महेश्वर सिंह छड़ीबरदार भगवान रघुनाथ।
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