Himachal News: आपदा ने मिटाई राह, ...उफनते नाले और गहरी खाई वाले रास्ते से होकर स्कूल पहुंच रहे बच्चे
Himachal Pradesh Disaster मंडी जिले के मासड़ पंचायत के स्प्रेई गांव में बच्चे टूटे पुल के कारण जान जोखिम में डालकर स्कूल जा रहे हैं। 2023 की आपदा में पुल बह गया था जिससे बच्चों को संकरे रास्तों और उफनते नालों से गुजरना पड़ता है। ग्रामीणों ने सरकार से कई बार गुहार लगाई है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

विशाल वर्मा, पंडोह (मंडी)। हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी में भारी बारिश से जनजीवन बेहाल है। द्रंग क्षेत्र की मासड़ पंचायत के लोगों के लिए 2023 की प्राकृतिक आपदा आज भी जख्म बनकर चुभ रही है। स्प्रेई गांव को कीरतपुर मनाली फोरलेन से जोड़ने वाला पुल उस भीषण आपदा में ढह गया था, लेकिन दो वर्ष बाद भी उसकी जगह नया पुल नहीं बन सका।
यह पुल पंडोह से करीब दो किलोमीटर पीछे सेना कैंप के साथ ब्यास नदी पर बना था। पुल क्षतिग्रस्त होने के कारण गांव के बच्चों और ग्रामीणों को रोजाना सात से आठ किलोमीटर का लंबा पैदल सफर तय करना पड़ रहा है। पगडंडियों से चलकर नौ मील के पुल पर पहुंचकर ब्यास नदी को पार करना पड़ता है।
स्कूल जाने वाले बच्चों की जिंदगी खतरे में
स्कूली बच्चों की पीड़ा सबसे गहरी है। छात्राओं ने बताया कि उन्हें हर रोज संकरे रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। बीच में गहरे नाले पड़ते हैं, जिन्हें पार करना बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। बरसात के दिनों में जब इन नालों का जलस्तर बढ़ जाता है तो स्कूल जाना नामुमकिन हो जाता है। कई बार बच्चों को घर लौटना पड़ता है, जिससे उनकी पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। बच्चों ने सरकार से गुहार लगाई है कि जल्द से जल्द पुल का निर्माण हो, ताकि वे सुरक्षित ढंग से पढ़ाई जारी रख सकें।
ग्रामीणों की गुहार अब भी अनसुनी
स्थानीय निवासी संजय कुमार बताते हैं कि ग्रामीण कई बार लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह और प्रदेश सरकार से अपनी समस्या साझा कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। लोगों का कहना है कि पुल के लिए बजट का प्रविधान हुआ था, लेकिन बाद में वह योजना कहां खो गई, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। ग्रामीणों ने दुख जताते हुए कहा कि उनकी पुकार सरकार तक तो पहुंची, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
फोरलेन तक पहुंचना बना दुश्वार
न सिर्फ बच्चों बल्कि आम नागरिकों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गांव के लोग रोजमर्रा की जरूरतों या बीमार परिजनों को अस्पताल ले जाने के लिए भी लंबा रास्ता तय करने को मजबूर हैं। फोरलेन तक पहुंचना उनके लिए किसी कठिन परीक्षा से कम नहीं रह गया है।
विभाग का कहना- सरकार को भेजा गया है प्रस्ताव
लोक निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर एनपीएस चौहान ने बताया कि स्प्रेई पुल को बनाने के लिए तीन करोड़ रुपये का एस्टीमेट तैयार कर सरकार को भेज दिया गया है। सरकार से मंजूरी मिलते ही काम शुरू कर दिया जाएगा।
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