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    खुशहाली की गाथा लिख रहे सरोआ के बुनकर

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 10 Aug 2022 10:50 PM (IST)

    सुरेंद्र शर्मा मंडी मंडी जिले के सराज क्षेत्र के सरोआ व आसपास की 12 पंचायतों के हथकरघा

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    खुशहाली की गाथा लिख रहे सरोआ के बुनकर

    सुरेंद्र शर्मा, मंडी

    मंडी जिले के सराज क्षेत्र के सरोआ व आसपास की 12 पंचायतों के हथकरघा बुनकरों की कुशल कारीगरी खुशहाली की गाथा लिख रही है। अच्छरू राम की जलाई लौ धीरे-धीरे मशाल का रूप ले रही है। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं व पुरुष घरों में पट्टू, मफलर, शाल तैयार कर रहे हैं। इन्हें कुल्लू-मनाली के बाजार में बेचकर परिवार की आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं।

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    सेरी मंच पर सजे तीन दिवसीय राज्यस्तरीय हथकरघा मेले में सरोआ हैंडलूम कंपनी के विभिन्न उत्पाद लोगों को पसंद आ रहे हैं। बुनकरों का बड़ा समूह तैयार करने के पीछे तांदी क्षेत्र के स्वर्गीय अच्छरू राम का बड़ा योगदान है। उन्होंने कुल्लू-मनाली में प्रशिक्षण हासिल करने के बाद अपने घर में किन्नौरी शाल, मफलर व पट्टू आदि का निर्माण शुरू किया था। अच्छरू राम के निधन के बाद उनके बेटे ने इस कार्य को आगे बढ़ाने का जिम्मा संभाला। अब इस समूह से 500 बुनकर जुड़ गए हैं और हैंडलूम कंपनी के नाम से समूह का पंजीकरण भी हो गया है। नाबार्ड की ओर से परियोजना भी स्वीकृत की गई है।

    सरोआ में सामुदायिक सुविधा केंद्र 35 लाख से तैयार किया गया। इसमें धागों व शाल की सामग्री का स्टोर होने के साथ-साथ हैंडलूम कंपनी का कार्यालय भी होगा। बुनकरों को कौशल विकास के लिए डिजाइन डेवलपमेंट का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। उत्पाद को बेचने के लिए किसी तरह की असुविधा न हो इसके लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आनलाइन मार्केटिग से भी जोड़ा जाएगा। बुनकरों को आधुनिक मशीनें उपलब्ध करवाकर तीन साल तक योजना के माध्यम से 90 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। बुनकर वीर सिंह का कहना है कि किन्नौरी शाल व मफलर को तैयार करने के लिए करीब एक माह का समय लग जाता है। किन्नौरी शाल की कुल्लू मनाली में अधिक मांग होने के कारण बारह से 18 हजार तक इसकी बिक्री हो जाती है। 20-22 दिन में तैयार होने वाले पट्टू की भी अच्छी खासी मांग है। बुनकरों में से आठ-10 सेल्समैन हैं जो अन्य बुनकरों के माल को बाजार में बेचते हैं।