हिमाचल: यहां दीवाली पर होती है धरती मां की पूजा, मिट्टी को माथे पर लगाकर अराधना करते हैं लोग, सदियों से निभा रहे परंपरा
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सैण मोहल्ले में दीवाली पर धरती मां की विशेष पूजा की जाती है। यहां लोग मिट्टी को माथे पर लगाकर आराधना करते हैं, जो पर्यावरण और श्रम के प्रति सम्मान दर्शाता है। खेतों में पहला दीप जलाया जाता है, जिसे किसान की मेहनत का प्रतीक माना जाता है। यह अनूठी परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है और समृद्धि का संदेश देती है।

मंडी के सैण मोहल्ला में धरती की पूजा करता व्यक्ति। जागरण
हंसराज सैनी, मंडी। जब देश भर में दीवाली की चमक सोने चांदी की झिलमिलाहट और पटाखों की गूंज से आसमान को रोशन करती है, तब हिमाचल प्रदेश के मंडी शहर का सैण मोहल्ला एक अलग ही रोशनी बिखेरता है।
यहां दीवाली की शुरुआत मिट्टी को माथे से लगाकर और धरती मां की आराधना से होती है। यह परंपरा न केवल श्रद्धा की प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण, श्रम और प्रकृति के प्रति गहरे सम्मान का संदेश भी देती है।
सदियों पुरानी परंपरा निभा रहे लोग
सदियों पुरानी इस परंपरा में दीप जलाने से पहले हर परिवार खेतों की राह पकड़ता है। घर आंगन की रौनक से पहले खेतों की मेड़ पर पहला दीप जलाया जाता है। इस दीप में सोने‑ चांदी की नहीं, बल्कि किसान की मेहनत और उम्मीद की चमक होती है। मिट्टी की खुशबू, दीपक की लौ और मन की आस्था से सजती यह दिवाली मोहल्ले की असली समृद्धि का उत्सव बन जाती है।
बुजुर्ग बोले, पूर्वज कहते थे धरती ही असली लक्ष्मी
स्थानीय बुजुर्ग गौरी प्रसाद सैनी बताते हैं कि हमारे पूर्वज कहते थे कि धरती ही असली लक्ष्मी है। जब मिट्टी खुश होती है, तब घर अपने आप खुशहाल होता है। उनके अनुसार यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। उनके पिता जयराम सैनी भी हर वर्ष दीपावली पर खेत में जाकर पूजा करते थे और मिट्टी को प्रणाम करते थे।
धरती का आदर करने वाला पाता है समृद्धि
सैण मोहल्ले के लोग मानते हैं कि जो धरती का आदर करता है, वहीं सच्ची समृद्धि का अधिकारी बनता है। यह मोहल्ला मंडी का सब्जी उत्पादन केंद्र भी माना जाता है। यहां की उर्वर मिट्टी किसानों के जीवन का आधार है।
खेत की मिट्टी से बनाते हैं दीपक
दीवाली से कुछ दिन पहले महिलाएं अपने खेतों की मिट्टी से दीपक बनाती हैं। इन दीयों को बड़े प्रेम से घर लाया जाता है और शुभ मुहूर्त पर पूजा थाली में फूल, मिठाई और अक्षत के साथ सजाया जाता है। जब यह दीप जलते हैं, तो हर लौ में धरती मां की कृतज्ञता की झलक नजर आती है। सैण मोहल्ला की हर गली में उस रात मिट्टी की सोंधी महक के साथ श्रद्धा की रोशनी फैल जाती है।
मंदिर और घरों में भी होती है पूजा
स्थानीय निवासी सुरेंद्र सैनी, अशोक कुमार और रामनाथ बताते हैं कि यह पूजा केवल खेतों में ही नहीं, बल्कि मंदिर और घरों में भी की जाती है। उनका कहना है कि मिट्टी की आराधना के बाद जब घर लौटते हैं, तो लगता है जैसे धरती आशीर्वाद देकर समृद्धि भेज रही हो।
सैण मोहल्ला बना मिसाल
दीवाली की इस अनोखी परंपरा ने सैण मोहल्ला को पूरे क्षेत्र में एक मिसाल बना दिया है। आज जब आधुनिकता की चकाचौंध में लोक परंपराएं धुंधली पड़ती जा रही हैं, तब इस मोहल्ले की यह सरल और सजीव रीति लोगों को अपनी जड़ों की याद दिलाती है। यहां हर दीपक बताता है कि असली लक्ष्मी वही है जो धरती में बसती है, और असली रोशनी वह है जो आस्था और श्रम से जलती है।
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