हिमाचल प्रदेश के कॉलेजों को नशामुक्त बनाने के लिए बड़ी पहल, अब यूरिन टेस्ट किट से एक मिनट में होगी जांच
हिमाचल प्रदेश के कॉलेजों को नशामुक्त बनाने के लिए शिक्षा विभाग ने यूरिन आधारित ड्रग डिटेक्शन किट का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है। सीआईडी के सुझाव पर लिए गए इस निर्णय के तहत कॉलेजों में किट के माध्यम से तुरंत नशे की पहचान की जा सकेगी। यह किट प्रेगनेंसी टेस्ट किट की तरह काम करती है और एक मिनट में नतीजे देती है।

राज्य ब्यूरो, शिमला। शिक्षण संस्थानों को नशा मुक्त बनाने के लिए राज्य सरकार और सख्त हो गई है। राज्य के कॉलेजों में इसको लेकर अब नई पहल की जा रही है। कालेजों में यूरिन आधारित ड्रग डिटेक्शन किट का इस्तेमाल किया जाएगा।
कालेज में कोई नशा करके आया है इसका पता लगाने के लिए लंबी चौड़ी चिकित्सा जांच में नहीं पड़ना पड़ेगा। इस किट के माध्यम से महज एक मिनट में ही पता चल जाएगा कि नशा किया है या नहीं। एडीजीपी सीआईडी के सुझाव पर शिक्षा विभाग ने यह निर्णय लिया है।
निदेशक उच्चतर शिक्षा विभाग डॉ. अमरजीत शर्मा की ओर से इस संबंध में सभी कॉलेजों के प्रधानाचार्यों को पत्र जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि पीटीए की बैठक में अभिभावकों के साथ इसको लेकर चर्चा करें।
शिक्षण संस्थानों को नशा मुक्त बनाने के लिए सरकार की यह पहल काफी सराहनीय है। इस किट का उपयोग तय प्रोटोकॉल और निगरानी के तहत किया जाएगा। विभाग का कहना है कि इस पहल से युवाओं को नशे के चंगुल से बचाने और उनका भविष्य सुरक्षित करने में मदद मिलेगी।
जिला स्तर पर पुलिस इस पर कर चुकी है काम
प्रदेश के कुछ जिलों में इस का प्रयोग पहले से किया जा रहा है। बिलासपुर, हमीरपुर जिला में इसकी शुरूआत की गई थी। नशे की चपेट में होने का पता लगाने के लिए घंटों लंबी जांच प्रक्रिया की जरूरत नहीं है। महज एक मिनट में यह पता लगाया जा सकेगा कि कोई युवक या बच्चा नशे का सेवन कर रहा है या नहीं।
कैसे काम करती है यह किट?
यह यूरिन ड्रग टेस्टिंग किट बेहद सरल तकनीक पर आधारित है। प्रेगनेंसी टेस्टिंग किट की तरह यह काम करती है। इस किट में अलग-अलग नशे की पहचान के लिए छह अलग-अलग खाने बने होते हैं। जांच के लिए किट में व्यक्ति के यूरिन डाली जाती है।
यदि यूरिन में किसी विशेष नशे की मौजूदगी पाई जाती है, तो संबंधित खाना लाल रंग में परिवर्तित हो जाता है। यह पूरी प्रक्रिया सिर्फ एक मिनट में पूरी हो जाती है।
इससे न केवल यह पता चलता है कि कोई व्यक्ति नशे का आदी है, बल्कि यह शुरुआती स्तर पर पहचान कर नशे से उबरने का मौका भी देता है। यानि किसी विशेषज्ञ या लैब की जरूरत नहीं होती। परिवार खुद भी इस से परीक्षण कर सकते हैं। समय रहते नशे के आदी युवा का इलाज और काउंसलिंग के लिए यह प्रयोग बेहतर है।
दो सालों में केवल चिट्टे में ही 3507 लोग गिरफ्तार
राज्य में पिछले दो सालों में (31 जुलाई 2025 तक) चिट्टे के कारण 3507 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन व्यक्तियों के खिलाफ एनडीपीएस की धारा 21 के तहत कार्रवाई की गई। सरकार ने 1 अगस्त 2023 से 31 जुलाई 2025 तक प्रदेश में चिट्टे के अभियोगों में 50 लोगों की संपत्ति सीज की गई है। गिरफ्तार किए आरोपितों में ज्यादातर युवा है।
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