हाईकोर्ट ने महासू देवता मंदिर के प्रांगण में दीवाली मनाने की दी अनुमति; हथियार और अभद्र भाषा के प्रयोग पर रोक
शिमला हाईकोर्ट ने कुपवी तहसील के गौंखर और बावट गांवों को महासू देवता मंदिर में सशर्त दीपावली मनाने की अनुमति दी है। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने याचिका पर सुनवाई करते हुए जुलूस, हथियार और अभद्र भाषा पर रोक लगाई है। मंदिर में शांति बनाए रखने के लिए पुलिस बल तैनात करने के निर्देश दिए गए हैं। यह निर्णय मंदिर में त्योहारों के इतिहास और हाल के विवादों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

हाईकोर्ट ने महासू देवता मंदिर के प्रांगण में दीवाली मनाने की दी अनुमति। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने शिमला जिले की तहसील कुपवी की पंचायत धारचांदना के गांव गौंखर और बावट के लोगों को सशर्त महासू देवता मंदिर के प्रांगण में दीपावली पर्व मनाने की अनुमति दी है। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने गौंखर गांव निवासी पदम शर्मा व अन्य द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए आदेश दिए कि लोग गौंखर में स्थित महासू देवता मंदिर परिसर में दीपावली मनाते समय बड़े जुलूस में नहीं आएंगे।
वे कोई भी हथियार नहीं ले जाएंगे व अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं करेंगे। एक परिवार के लिए एक मशाल रखने की इजाजत रहेगी, जिसे मंदिर परिसर या प्रांगण के बाहर रखा जाएगा। कोर्ट ने कहा कि मंदिर परिसर में भीड़ जमा होने से बचा जाए और शराब या अन्य नशीले पदार्थों के प्रभाव में किसी भी व्यक्ति को मंदिर परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी, जिसमें प्रांगण भी शामिल है। धार चांदना और बावट गांव के लोग यह सुनिश्चित करेंगे कि धार्मिक नृत्य और गीत प्रस्तुत करते समय गौंखर गांव के लोगों को परेशानी न हो।
उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक शिमला को 20 अक्टूबर से शुरू होने वाले दीपावली पर्व के दौरान तीन दिन के लिए महासू मंदिर में पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती करने को कहा। पुलिस किसी भी उपद्रवी के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगी, विशेष रूप से शराब या किसी अन्य नशीले पदार्थ के प्रभाव में। कोर्ट ने कहा कि पंचायत प्रधान कोर्ट के समक्ष दिए वचन का सम्मान सुनिश्चित करेंगे।
वे यह सुनिश्चित करेंगे कि उनकी पंचायतों के लोगों द्वारा कोई उपद्रव न किया जाए और वे यह सुनिश्चित करेंगे कि ये आदेश सभी निवासियों तक पहुंचा दिए जाएं। कोर्ट ने उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक शिमला को उनकी ओर से कार्रवाई के लिए तुरंत सूचित करने के आदेश भी दिए।
प्राचीन काल से बिशु, बूढ़ी दीपावली और पूर्णिमा के त्योहार महासू देवता मंदिर के प्रांगण में मनाए जाते रहे हैं। हालांकि कुछ वर्ष पहले तक बूढ़ी दीपावली का त्योहार दीपावली के 20 दिन बाद मनाया जाता था, लेकिन इसे बाद में बंद कर दिया और पंचायत धार चांदना व बावट गांव के लोगों ने तीन दिवसीय त्योहार 'नई दीवाली' मनाना शुरू कर दिया।
इसकी पूर्व संध्या पर समारोह महासू देवता मंदिर के प्रांगण में भी होता है, जहां लोग स्थानीय भाषा में नृत्य और गीतों में शामिल होने के लिए एकत्रित होते हैं। याचिकाकर्ताओं के अनुसार समय के साथ यह पवित्र कार्य गांव गौंखर के निवासियों के लिए कलह का कारण बन गया है। याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि पंचायत धार चांदना और बावट गांव के कुछ लोग जो महासू देवता मंदिर में दर्शन करने आते थे, गैर जिम्मेदाराना व्यवहार करने लगे और गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त हो गए।
इससे कथित तौर पर बार-बार अशांति फैलती थी और दीपावली के दौरान हिंसक झड़पों का लगातार डर बना रहता था। हालांकि शुरुआत में याचिकाकर्ताओं ने गौंखर के अन्य लोगों के साथ मिलकर स्थानीय/प्रशासनिक स्तर पर अपने गांव में संयुक्त दीपावली समारोहों को रोकने के प्रयास किए, लेकिन चूंकि अधिकारियों और संबंधित पंचायतों ने उनके अनुरोध पर कोई ध्यान नहीं दिया।
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