हिमाचल कैडर के IPS अधिकारी ने VRS लेकर लड़ा बिहार चुनाव, जमानत भी जब्त; NDA की जीत से पहाड़ की राजनीति भी गरमाई
बिहार चुनाव में एनडीए की जीत हुई, जिसमें हिमाचल कैडर के आईपीएस अधिकारी डॉ. जेपी सिंह को हार मिली। उन्होंने वीआरएस लेकर जन सुराज पार्टी से चुनाव लड़ा था, लेकिन उनकी जमानत जब्त हो गई। कांग्रेस का कहना है कि बिहार के नतीजों का हिमाचल पर कोई असर नहीं होगा, क्योंकि यहां के मुद्दे अलग हैं। राजनीतिक जानकारों के अनुसार, रणनीति बदलने से सरकार को फायदा हो सकता है।

राज्य ब्यूरो, शिमला। बिहार चुनाव में एनडीए को एक तरफा जीत मिली है। हिमाचल कैडर के आइपीएस अधिकारी डा. जेपी सिंह भी वीआरएस लेकर चुनाव मैदान में उतरे थे। उन्हें चुनाव में बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा है। वर्ष 2000 बैच के आइपीएस अधिकारी डा. जेपी सिंह इस साल जनवरी महीने में पदोन्नत होकर एडीजीपी बने थे। जुलाई में उन्होंने वीआरएस ली थी।
उनके वीआरएस के फैसले के बाद अफसरशाही में खासी चर्चा थी। प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज से उन्होंने चुनाव लड़ा, लेकिन न केवल वह चुनाव हारे, बल्कि उनकी जमानत तक जब्त हो गई।
छपरा सीट पर लड़ा चुनाव, 3433 वोट मिले
डा. जेपी सिंह बिहार की छपरा सीट से चुनाव लड़े थे। उन्हें चुनाव में महज 3433 वोट मिले। छपरा सीट पर 10 उम्मीदवारों में चौथे नंबर पर रहे, मगर हार का अंतर 83412 था। यदि वह वीआरएस यानि एच्छिक सेवानिवृति न लेते तो 31 जुलाई 2027 को सेवानिवृत होना था।
कांग्रेस का तर्क : हिमाचल की परिस्थितियां अलग, हर वर्ग के लिए कार्य कर रही सरकार
कांग्रेस का तर्क है कि हिमाचल की परिस्थितियां भिन्न हैं। मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने कहा कि बिहार के चुनाव नतीजों का हिमाचल से कोई सरोकार नहीं है। बिहार के चुनावी नतीजों का यहां पर दूर दूर तक असर नहीं दिखाई देगा। विधानसभा का चुनाव प्रदेश के मुद्दों पर होता है। कांग्रेस ने चुनावों में जो गारंटियां दी थी उन्हें सरकार चरणबद्ध तरीके से पूरा कर रही है। सरकार की नीतियां ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को मजबूत करने, रोजगार देने, स्वरोजगार से युवाओं को जोड़ने की है। विपक्ष जो भी कहें, हिमाचल की जनता कांग्रेस के साथ है।
रणनीति बदली तो टर्निंग प्वाइंट साबित होंगे चुनावी नतीजे
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए बंपर जीत दर्ज की है। राजनीतिक जानकारों की माने तो यदि चुनाव नतीजों को आधार मान कर सरकार व संगठन अपनी रणनीति बदलते हैं तो यह टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकता है। अभी हिमाचल में सरकार को बने 3 साल का समय हुआ है। दो साल अभी शेष हैं।
महिलाओं की भूमिका रही अहम
एनडीए की जीत में महिलाओं की अहम भूमिका मानी जा रही है। हिमाचल के विस चुनावों में भी कांग्रेस ने महिलाओं को 1500 देने का वादा किया था। सरकार ने यह गारंटी तो पूरी कर दी मगर आधी अधूरी। अभी तक नियमित तौर पर महिलाओं को पैसा नहीं मिल रहा है। गारंटी में सभी महिलाओं को पैसा देने की बात कही थी, अभी तक वह भी नहीं मिल रहा है। ऐसे में सरकार यदि अपनी इस गारंटी को बेहतर तरीके से लागू करती है तो एक अच्छा फायदा मिल सकता है।

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