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    Himachal Apple: मौसम की दोहरी मार से हिमाचल की 4.5 हजार करोड़ रुपये की आर्थिकी पर संकट, रंग बदलने लगा सेब

    Updated: Sat, 06 Sep 2025 02:02 PM (IST)

    Himachal Pradesh Apple Economy हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और बाढ़ के कारण सेब की अर्थव्यवस्था खतरे में है। दिल्ली पंजाब और राजस्थान में जलभराव के कारण खरीदारों ने सेब खरीदने से इनकार कर दिया है जिससे करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। शिमला जिले में सड़कें बंद होने से चार लाख से ज्यादा पेटियां फंसी हुई हैं।

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    हिमाचल प्रदेश में सड़कें बंद होने से सेब खराब हो रहा है। किन्नौर में बंद हाईवे।

    यादवेन्द्र शर्मा, शिमला। Himachal Pradesh Apple Economy, हिमाचल प्रदेश में हाईवे सहित संपर्क सड़कें बाधित होने और मैदानी इलाकों दिल्ली, पंजाब व राजस्थान में बाढ़ से हुए जलभराव से प्रदेश की साढ़े चार हजार करोड़ रुपये की सेब आर्थिकी पर संकट के बादल मंडरा गए हैं। मौसम की दोहरी मार से करोड़ों का सेब फंस गया है।

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    मैदानी क्षेत्रों में जलभराव के कारण लदानियों (खरीदार) ने सेब खरीदने से इन्कार कर दिया है। इससे ट्रकों, पिकअप व गोदामों में रखा सेब खराब हो रहा है। शिमला जिले में ही 260 सड़कें बंद होने से करोड़ों रुपये का सेब फंसा हुआ है।

    चार लाख से ज्यादा पेटियां गोदामों व सड़क किनारे फंसी हैं। भारी वर्षा के बाद बगीचों में नमी आने से पौधों से सेब झड़ना भी शुरू हो गया है। इससे बागबानों की चिंता बढ़ गई है।

    गुणवत्ता पर पड़ा असर

    प्रदेश में दो सप्ताह पहले प्रतिदिन एक से सवा लाख सेब की पेटियां बाजार में आ रही थीं, वहीं अब इसकी आमद लगभग 60 हजार तक रह गई है। प्रदेश में अभी तक 1.42 लाख सेब की पेटियां (20 किलो प्रति पेटी) देश की विभिन्न मंडियों में पहुंच चुकी हैं। लगातार वर्षा के कारण सेब का रंग काला होने के साथ उसकी गुणवत्ता पर असर पड़ा है।

    तीन करोड़ से अधिक सेब पेटी उत्पादन का था अनुमान

    प्रदेश में इस बार बीते तीन वर्षों की अपेक्षा अधिक सेब उत्पादन का अनुमान था। तीन करोड़ से अधिक सेब की पेटियां बाजार में पहुंचने की उम्मीद थी, लेकिन मंडी, कुल्लू व शिमला के ऊपरी क्षेत्रों में संपर्क सड़कों के बंद होने के कारण बागबानों को सेब को मंडियों तक पहुंचाने में काफी परेशान होना पड़ रहा है।

    प्रदेश में 20 अगस्त तक सेब की 20 किलो की पेटी 700 से 2800 रुपये तक बिक रही थी, जबकि अब इसके दाम 500 से 1600 रुपये तक ही रह गए हैं। 

    धान व सब्जियों पर भी प्रभाव

    मौसम की बेरुखी का प्रभाव धान व सब्जियों पर भी पड़ा है। सब्जियां सड़ने के कारण इनकी उपलब्धता घटी और दाम में भी वृद्धि हो रही है। प्रदेश में सर्वाधिक सब्जी उत्पादन सोलन, लाहुल-स्पीति, कुल्लू, मंडी व कांगड़ा जिलों में होता है। प्रदेश में जलभराव की स्थिति नहीं है लेकिन अति वर्षा के कारण फसल प्रभावित हुई है। सोलन, मंडी, कांगड़ा और शिमला में टमाटर, फ्रासबीन, करेला, खीरा और शिमला मिर्च को नुकसान हुआ। लाहुल-स्पीति व कुल्लू में मटर, गोभी और ब्रोकली की फसलें प्रभावित हुई है। पड़ोसी राज्यों से भी सब्जियां न आने से दाम बढ़ने लगे हैं। 

    बागबानी विशेषज्ञ की सलाह, पेटियों में न भर खुला रखें सेब

    बागबानी विशेषज्ञ एसपी भारद्वाज ने सलाह दी है कि सेब तुड़ान के बाद उसे पेटियों में भरने की अपेक्षा खुले में रखें। ऊंचाई वाले क्षेत्रों के सेब की भंडारण अवधि बेहतर होती है और ऐसे में सेब जल्दी खराब नहीं होगा और स्थिति सामान्य होने पर उचित दाम मिलेंगे।

    क्या कहते हैं अधिकारी

    भारी वर्षा और मैदानी क्षेत्रों में जलभराव के कारण सेब की खरीद प्रभावित हुई है। धान और सब्जियों की फसल भी बर्बाद हुई है। सड़कें बंद होने से किसानों और बागबानों को  उत्पाद मंडियों तक पहुंचाने में दिक्कत हो रही है। पंजाब, दिल्ली और राजस्थान में बाढ़ आई है।  

    -हरीश चौहान, अध्यक्ष फल एवं सब्जी उत्पादक संघ हिमाचल प्रदेश।

    वर्षा और जलभराव के कारण सेब की फसल पर असर पड़ा है। कई स्थानों पर धान और सब्जियों की फसल भी खराब हुई है। इस संबंध में कृषि और बागबानी के नुकसान का आकलन किया जा रहा है।  

    -सी पालरासु, सचिव कृषि एवं बागबानी। 

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    पिछले वर्षों में सेब उत्पादन

    • वर्ष    पेटी (करोड़)
    • 2020    2.41  
    • 2021    3.05  
    • 2022    3.40  
    • 2023    1.82  
    • 2024    2.40

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