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    Himachal: सरकारी स्कूलों को CBSE मान्यता के लिए रोडमैप तैयार, अलग शिक्षक कैडर बनेगा, आखिर क्यों लिया निर्णय?

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 07:01 PM (IST)

    Himachal Pradesh Govt Schools हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य के सरकारी स्कूलों को सीबीएसई से संबद्ध करने की तैयारी कर रही है। पहले चरण में 200 स्कूलों को सीबीएसई से जोड़ा जाएगा जिसके लिए 229 स्कूलों की सूची तैयार की गई है। सरकार का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना और सरकारी स्कूलों में छात्रों की घटती संख्या को रोकना है।

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    हिमाचल प्रदेश के स्कूलों को सीबीएसई मान्यता दी जाएगी। प्रतीकात्मक फोटो

    अनिल ठाकुर, शिमला। Himachal Pradesh Govt Schools, हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार शिक्षा क्षेत्र में सबसे बड़ा व्यवस्था परिवर्तन करने जा रही है। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड से संबद्ध सरकारी स्कूलों को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के संबद्धता (एफिलिएशन) दिलाई जाएगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 15 अगस्त को इसकी घोषणा की थी।

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    उन्होंने पहले चरण में 200 स्कूलों को सीबीएसई से संबद्ध करने का ऐलान किया था। स्कूल शिक्षा विभाग ने मुख्यमंत्री की घोषणा को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है। विभाग ने प्रदेश भर से ऐसे स्कूलों की सूची मंगवाई थी जिन्हें इसके संबंद्ध किया जाए। 229 स्कूलों की संभावित सूची तैयार की गई है। अब इसकी छंटनी की जा रही है।

    सूत्रों के अनुसार शैक्षणिक सत्र 2026-27 से पहले चरण में 100 स्कूलों को सीबीएसई से मान्यता दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। इन स्कूलों में सीबीएसई बोर्ड होगा, लेकिन स्कूलों का संचालन पहले की तरह राज्य सरकार करेगी।

    शिक्षक व गैरशिक्षकों का अलग कैडर होगा तैयार

    शिक्षक व गैर शिक्षकों का अलग कैडर इसके लिए तैयार किया जाएगा। ये स्कूल पूर्णत: अंग्रेजी माध्यम में चलेंगे। ऐसे में शिक्षकों का चयन किया जाएगा जो इस कैडर में आए। उनके तबादले भी सीबीएसई स्कूलों में ही होंगे। अभी तक सरकारी स्कूलों में निश्शुल्क शिक्षा दी जाती है।

    सीबीएसई बनने के बाद इसमें फीस ली जाएगी या नहीं इस पर अभी निर्णय नहीं हुआ है। हालांकि यह तय माना जा रहा है कि इसमें भी बच्चों से फीस नहीं ली जाएगी। विभाग दाखिले के लिए अलग से नियम बनाएगा। शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने बुधवार को सचिवालय में विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें स्कूलों को सीबीएसई की मान्यता के संबंध में विस्तृत चर्चा की गई।

    क्या है वजह 

    • सीबीएसई बनाने के पीछे सरकार का ये तर्क-सरकारी स्कूलों में हर साल विद्यार्थियों की संख्या कम हो रही है, वह रुकेगी।
    • निजी स्कूलों में बच्चों को भेजने के पीछे धारणा केवल सीबीएसई बोर्ड की है वह दूर होगी।
    • सरकारी स्कूलों की प्रणाली को प्रतियोगी और गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए सीबीएसई सिस्टम अपनाया जा रहा है।
    • सीबीएसई संबद्धता में स्थानांतरण से प्रदेश के सरकारी स्कूलों के छात्रों को देश भर के अपने साथियों के साथ समान अवसर मिलेंगे।
    • छात्रों की शैक्षणिक प्रतिस्पर्धात्मक बढ़ेगी और उच्च शिक्षा तथा पेशेवर करियर के लिए बेहतर अवसर खुलेंगे।

    विभाग ने तैयार किया रोडमैप

    वर्ष 2026-27 से सरकारी स्कूलों में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड आधारित पाठ्यक्रम शुरू करने और सीबीएसई से संबद्धता लेने के लिए रोडमैप तैयार किया है। जिन 229 सरकारी स्कूलों की अस्थायी सूची में शामिल किया है उनमें 47 पीएम श्री और एक्सीलेंस स्कूल सहित 150 अन्य स्कूल शामिल है।

    पीटीआर हमारा अच्छा, पर मूलभूत सुविधा देनी होगी

    सीबीएसई से संबद्धता लेने के लिए मानक सख्त है। छात्र शिक्षक अनुपात प्राइमरी के लिए 1:30 व उच्च के लिए 1:40 है। हिमाचल का पीटीआर रेशा 1: 12 से 1:20 है। यह देश में सबसे अच्छा माना जाता है। लेकिन मूलभूत सुविधाओं के मामले में हम कई जगह पिछड़े हुए हैं। हर स्कूल में आइटी प्रयोगशाला, विज्ञान प्रयोगशाला, खेल मैदान, व्यावसायिक शिक्षक, विशेष शिक्षक की जरूरत रहती है। उनका अभाव है।

    विभाग जिला व खंड मुख्यालय के स्कूलों को इसमें शामिल करेगा क्योंकि उनमें सुविधा दूर दराज के स्कूलों से अच्छी है। विभाग का तर्क है कि ज्यादा छात्र संख्या वाले स्कूलों को सीबीएसई की मान्यता दिलाई जाए। सीबीएसई संबद्धता के लिए प्रस्तावित स्कूलों के पंजीकरण, निरीक्षण, अपेक्षित शुल्क आदि के रूप में प्रति स्कूल लगभग 70,000 से ज्यादा की राशि चाहिए। इसके अलावा छोटी-मोटी मरम्मत, जीर्णोद्धार और परिवर्तन कार्यों के लिए तथा सीबीएसई उप नियमों के अनुरूप अवसंरचनात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को बजट की व्यवस्था करनी होगी।

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    विभाग ने की तैयारी

    • अवसंरचना मानचित्रण एवं प्रारंभिक चरण 12 अगस्त से 30 सितंबर
    • 1 से 31 अक्टूबर तक प्रधानाचार्यों की ओर से आनलाइन आवेदनों का पंजीकरण और पूर्ति की जाएगी।
    • 1 नवंबर से 31 दिसंबर तक की अवधि में सीबीएसई द्वारा आवेदनों की जांच और ज्ञापन एवं निरीक्षण कार्यक्रम की सूचना के लिए तय है।
    • 1 से 31 जनवरी तक सीबीएसई द्वारा निरीक्षण/निरीक्षण समिति दौरा करेगी व निरीक्षण रिपोर्ट तैयार करेगी।
    • 1 से 28 फरवरी तक सीबीएसई द्वारा संबद्धता प्राप्त की जाएगी।

    लद्दाख दौरे पर आया था आइडिया

    शिक्षा विभाग की टीम हाल ही में लद्दाख दौरे पर गई थी। लद्दाख के स्कूल पहले जम्मू कश्मीर बोर्ड के अधीन थे। केंद्र शासित राज्य बनने के बाद वहां के 800 स्कूल सीबीएसई के अधीन किए गए। जबकि उनके पास जेएंडके बोर्ड में रहने का विकल्प भी खुला था। विभाग ने वहां के अधिकारियों से बात की तो पता चला कि वहां इस से विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी है। इसके अलावा नॉर्थ इस्ट स्टेट में भी इस तरह का पैटर्न अपनाया गया है वहां भी विभाग की टीम निरीक्षण करने गई थी।

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    सीबीएसई के लिए ये जरूरी

    • प्रति छात्र 1 वर्ग मीटर की जगह के साथ 40 छात्रों से ज्यादा नहीं।
    • पर्याप्त किताबों और डिजिटल संसाधनों के साथ एक अच्छी लाइब्रेरी।
    • फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी और कंप्यूटर के लिए अनिवार्य लैब।
    • कक्षाओं और स्टाफ के लिए अलग-अलग, साफ-सुथरे वॉशरूम।
    • हर मंजिल पर पीने के पानी की व्यवस्था।

    22 साल में 5 लाख कम हुए छात्र, बंद करने पड़े 1200 स्कूल हुए बंद

    हिमाचल के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या लगातार कम हो रही है। वर्ष 2003 में कक्षा 1 में 1,47,045 विद्यार्थियों ने दाखिला लिया था। जबकि इस साल यह संख्या 97427 रह गई है। विभाग के अनुसार 2003 में सरकारी स्कूलों में 9,71,303 विद्यार्थी पंजीकृत थे। मौजूदा वर्ष में कक्षा पहली से आठवीं तक मौजूदा वर्ष 4,29,070 ही विद्यार्थी हैं। हालत यह है कि स्कूलों को मर्ज करना पड़ रहा है। राज्य में ढाई साल में 1200 स्कूल हो चुके बंद व मर्ज हो चुके हैं। सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या लगातार कम हो रही है। विभाग के अनुसार हर साल 50 हजार विद्यार्थियों की संख्या कम हो रही है। शिक्षा पर 9 हजार 849 करोड़ खर्च कर रही है।

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    क्या कहते हैं शिक्षा मंत्री

    सरकार ने शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए पिछले ढाई सालों में कई कार्य किए हैं। इनके परिणाम सामने आए है। राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण व असर सर्वे रिपोर्ट में हिमाचल देशभर में अव्वल रहा है। सीबीएसई स्कूलों का दर्जा देने के पीछे मंशा यही है कि गुणात्मक सुधार ही है।

    -रोहित ठाकुर, शिक्षा मंत्री।

    यह निर्णय बिना तैयारी का : बोर्ड अध्यक्ष

    सरकार का यह निर्णय बिना तैयारियों का है। सीबीएसई के पैटर्न को अपनाने से पहले शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण व सुविधाएं जुटानी चाहिए। उसके बाद ही इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। जल्दबाजी में निर्णय लेना गलत है।

    -डा. सुरेश सोनी, पूर्व अध्यक्ष स्कूल शिक्षा बोर्ड

    बोर्ड का अस्तित्व खतरे में, कर्मचारी नाराज

    सरकारी स्कूलों को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में शिफ्ट करने का विरोध भी शुरू हो गया है। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला कर्मचारी संघ के राज्य प्रधान सुनील शर्मा ने बीते रोज को अपनी समस्त कार्यकारिणी सहित बोर्ड अध्यक्ष डॉ. राजेश शर्मा के माध्यम से प्रदेश सरकार को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि इससे जहां प्रदेश सरकार पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ेगा, वहीं ग्रामीण छात्रों के लिए भी कठिनाई होगी।

    उन्होंने कहा कि एचपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक विशेषताओं को समाहित किया जाता है, जबकि सीबीएसई में यह स्थानीय दृष्टिकोण नहीं होता, जिससे विद्यार्थियों की स्थानीय पहचान और समझ कमजोर होगी।