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    हिमाचल हाई कोर्ट का कांगड़ा में अवैध खनन पर कड़ा संज्ञान, उपायुक्त को शपथपत्र दायर करने का आदेश; विभाग पर आरोप प्रमाणित

    Updated: Thu, 21 Aug 2025 06:37 PM (IST)

    Himachal Pradesh High Court हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने कांगड़ा में अवैध खनन पर सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने उपायुक्त से खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई का ब्यौरा मांगा है। न्यूगल नदी में अवैध खनन रोकने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं। खनन विभाग के अधिकारियों पर भी सवाल उठे हैं। बिलासपुर में अवैध खनन के कई मामले पकड़े गए और जुर्माना वसूला गया।

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    हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का शिमला स्थित परिसर। जागरण आर्काइव

    विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने कांगड़ा जिले में अवैध खनन गतिविधियों पर अंकुश न लगाने पर कड़ा संज्ञान लिया है। कोर्ट ने कांगड़ा के उपायुक्त को शपथपत्र दायर कर यह बताने को कहा है कि खनन माफिया के खिलाफ कितने मामले दर्ज किए गए हैं और कितना जुर्माना वसूला गया है। 

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    कोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान धर्मशाला स्थित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कांगड़ा के सचिव की रिपोर्ट का अवलोकन करने पर पाया कि न्यूगल नदी में अवैध खनन को रोकने के लिए नदी के किनारे पहुंच मार्ग को अवरुद्ध करने हेतु कोई स्थायी उपाय नहीं किए गए हैं। 

    खनन विभाग भी सवालों के घेरे में 

    खनन अधिकारी राजीव कालिया, जो कई वर्षों से धर्मशाला में तैनात बताए गए हैं, और खनन रक्षक संतोष के खिलाफ भी कुछ आरोप प्रमाणित पाए गए हैं। उद्योग विभाग के भूविज्ञानी द्वारा प्रस्तुत हलफनामे में केवल यह दर्शाया गया है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 से जून 2025 तक केवल पांच चालानों का उल्लेख है और 09.04.2025 को केवल एक प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसकी जांच चल रही है। 

    बिलासपुर के उपायुक्त ने दिया हलफनामा

    इसी प्रकार, बिलासपुर के उपायुक्त के हलफनामे में यह दर्शाया गया है कि अवैध खनन/परिवहन के 276 मामले पकड़े गए, जिनमें से 224 का निपटारा कर दिया गया है और 14,15,300/-रुपये की राशि वसूल की गई है और 52 मामले संबंधित न्यायालयों में निर्णय के लिए लंबित हैं और जिले में 13 खनन पट्टे प्रदान किए गए हैं। 

    पुलिस की भी सक्रिय कार्रवाई नहीं

    हालांकि, कांगड़ा के उपायुक्त द्वारा की गई कार्रवाई के संबंध में न तो कोई हलफनामा दायर किया गया है और न ही पुलिस द्वारा कोई सक्रिय कार्रवाई की गई है। कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों से यह भी रिपोर्ट तलब की है कि धर्मशाला में तैनात दोनों अधिकारी, अर्थात राजीव कालिया और संतोष, उक्त क्षेत्र में कितने समय से तैनात हैं।

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