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    अदालत को गुमराह करने की कोशिश, गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पर लगा 25,000 रुपये का जुर्माना

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 06:07 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पर अदालत को गुमराह करने के प्रयास के लिए 25000 रुपये का जुर्माना लगाया। यह मामला राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं में महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियाँ न करने से संबंधित था। न्यायालय ने पाया कि विभाग ने रिक्तियों को भरने के लिए उचित प्रयास नहीं किए और आउटसोर्सिंग का प्रस्ताव दिया जिससे न्यायालय ने नाराजगी व्यक्त की।

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    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पर लगाया जुर्माना (फाइल फोटो)

    विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अदालत को गुमराह करने की कोशिश करने पर गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पर 25,000 रुपये जुर्माना किया है। मामला राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला, जुन्गा, शिमला और रेंज फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला, धर्मशाला एवं मंडी में कुछ अहम पदों की नियुक्तियां न करने से जुड़ा है।

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    मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि यह अजीब है कि अधिकारी अंतरिम आदेशों के निहितार्थ को समझ नहीं पा रहे हैं और पदों को नहीं भर रहे हैं। इसलिए कोर्ट ने उक्त अधिकारी पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया जिसे मुख्य न्यायाधीश आपदा राहत कोष 2025 में जमा करने के आदेश जारी किए गए।

    कोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) के हलफनामे का अवलोकन करने पर पाया कि विभाग ने हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग पर यह भार डालने की कोशिश की है। इसके अलावा, यह भी कहा गया है कि रिक्तियों को भरने के लिए भर्ती और पदोन्नति नियमों में संशोधन करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। इसमें उल्लेख किया गया है कि आयोग के पास लंबित हैं, 02 पद भूतपूर्व सैनिक रोजगार प्रकोष्ठ, हमीरपुर के पास और 01 पद भर्ती निदेशालय के पास लंबित है।

    कोर्ट ने 19.05.2025 को पारित आदेश में पाया था कि विभाग में विभिन्न श्रेणियों में 46 पद रिक्त हैं। चूँकि मुद्दा राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला, जुन्गा, शिमला और रेंज फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला, धर्मशाला एवं मंडी, हिमाचल प्रदेश के कामकाज और गुणवत्ता में सुधार से संबंधित था।

    कोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों की आवश्यकता आपराधिक मुकदमों के निर्णय में सहायता के लिए रीढ़ की हड्डी है। खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह कहने की आवश्यकता नहीं कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस 2023) की धारा 329 के तहत एक प्रावधान है कि ऐसी प्रयोगशालाओं से प्राप्त रिपोर्ट को सत्य माना जाएगा और अदालत राज्य सरकार के इस रुख से स्तब्ध हैं कि उन्होंने संवेदनशील विभागों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से चलाने और सेवानिवृत्त अधिकारियों की सेवाओं को फिर से नियुक्त करने का प्रस्ताव दिया है। जाहिर है, हिमाचल प्रदेश सरकार के सचिव (गृह) को इस मामले की गंभीरता से अवगत नहीं कराया गया है।