विधानसभा में हिमाचल की तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रस्ताव पारित, अब क्या होगी अगली प्रक्रिया?
Himachal Pradesh Disaster हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सरकार ने मानसून में प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रस्ताव पेश किया। संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने नियम 102 के तहत इसे पेश किया जिसका विपक्ष ने भी समर्थन किया। लोकनिर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने केंद्र से इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की।

अनिल ठाकुर, शिमला। Himachal Pradesh Disaster, हिमाचल प्रदेश में मौजूदा मानसून सीजन के दौरान प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग को लेकर वीरवार को विधानसभा में सरकार ने एक प्रस्ताव पेश किया। यह प्रस्ताव संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने नियम 102 के तहत पेश किया, जिस पर सदन में चर्चा हुई।
चर्चा के बाद हिमाचल प्रदेश की तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हो गया। सत्ता पक्ष और विपक्ष ने इसकी पुरजोर सिफारिश की।
विपक्ष ने मंत्री नेगी का किया बहिष्कार
इस दौरान विपक्ष ने राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी का बहिष्कार किया जब वह प्रस्ताव को लेकर जबाव ओर सिफ़ारिश कर रहे थे। जब तक नेगी सरकार द्वारा लाए नियम 102 के प्रस्ताव को लेकर बोले तब तक विपक्षी विधायक नारेबाजी करते रहे। नेगी का जवाब समाप्त होते ही भाजपा विधायक अपनी सीटों पर आ गए और राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया।
प्रदेश में साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान
राष्ट्रीय आपदा घोषित हो जाने पर केंद्र सरकार से विशेष राहत व सहायता पैकेज मिलने की संभावना रहेगी। प्रदेश में प्राकृतिक आपदा से साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है।
कुछ सालों से गंभीर स्थिति : विक्रमादित्य
प्रस्ताव पर चर्चा आरंभ करते हुए लोकनिर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने प्रदेश में आई भीषण प्राकृतिक आपदा को केंद्र से राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि आज हिमाचल ही नहीं, बल्कि उत्तर भारत के अधिकांश राज्य मानसून के दौरान आई आपदा को झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सिलसिला पिछले कुछ सालों से शुरू हुआ है, जो लगातार गंभीर होता जा रहा है।
लंबी अवधि की योजनाएं बनाने की जरूरत
उन्होंने कहा कि पहले इस तरह की आपदाएं केवल पुराने हिमाचल तक ही सीमित थी, लेकिन अब इन आपदाओं ने पूरे प्रदेश को अपनी चपेट में ले लिया है। उन्होंने इन आपदाओं से बाहर निकलने के लिए लंबी अवधि की योजनाएं बनाने की बात कही।
रोकना होगा पहाड़ों का चीरहरण, सुरंग माध्यम से बनेगा फोरलेन
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि विकास के नाम पर पहाड़ों का चीरहरण रोकना होगा और इसके लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले सतलुज नदी पर बने कोल डैम के कारण शिमला की जलवायु ही बदल गई है। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए ढली से रामपुर के लिए प्रस्तावित सड़क का अधिकांश हिस्सा सुरंग माध्यम से बनाने की केंद्र सरकार से मांग की जाएगी और डीपीआर में भी इसे शामिल किया जाएगा।
2023 की आपदा से निपटने को केंद्र से मिला सहयोग
लोक निर्माण मंत्री ने माना कि प्रदेश में वर्ष 2023 में आई प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए केंद्र का सहयोग मिला है। उन्होंने कहा कि इस साल फिर से आई प्राकृतिक आपदा से लोक निर्माण विभाग को अब तक 1444 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो चुका है।
कमांद सड़क की दुरुस्ति के लिए दिए छह करोड़ रुपये
उन्होंने कहा कि 24 से 26 अगस्त के बीच हुई अतिवृष्टि के बाद मंडी से कमांद होकर कुल्लू जाने वाला मार्ग लाहौल-स्पीति और कुल्लू जिलों के लिए लाइफ लाइन बन गया है। उन्होंने कहा कि इस मार्ग को ठीक करने के लिए सरकार ने छह करोड़ रुपए और दिए हैं।
जलमार्ग से सेब ढुलाई पर विचार
उन्होंने यह भी कहा कि कुल्लू के लिए सड़क संपर्क बहाल होने तक सरकार कुल्लू घाटी से पंडोह डैम तक सेब की ढुलाई जलमार्ग से करने पर भी विचार कर रही है।
नदी-नालों में ड्रेजिंग की आवश्यकता : अनिरुद्ध
ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने नदी-नालों में ड्रेजिंग की तुरंत आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हर साल आ रही प्राकृतिक आपदाओं से नदियों और नालों के रिवर बेड की ऊंचाई लगातार बढ़ रही है। इस कारण इन नदी नालों का पानी किनारों पर बहकर नुकसान कर रहा है। क्योंकि इनका ये नदी-नाले चौड़े हो गए हैं।
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