शिमला: मादा भालू रिहायशी क्षेत्र में पहुंच कर रही थी शिकार, रैपिड रेस्क्यू टीम ने दिया लोगों को दहशत से छुटकारा
शिमला के डांसा पंचायत में एक मादा भालू के रिहायशी इलाके में घुसकर पालतू जानवरों को शिकार बनाने से ग्रामीण परेशान थे। वन विभाग की रैपिड रेस्क्यू टीम ने ...और पढ़ें

जिला शिमला के रामपुर में रिहायशी क्षेत्र में पहुंच रहे भालू को वन विभाग की टीम ने बेहोश कर पकड़ लिया। जागरण
जागरण संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला में एक खूंखार भालू रिहायशी क्षेत्र में पहुंच गया। रामपुर स्थित डांसा पंचायत में कई दिन से यह भालू पालतू पशुओं पर हमला कर उन्हें शिकार बना रहा था।
लगातार हो रहे भालू के हमलों से आखिरकार स्थानीय लोगों को राहत मिल गई है। वन विभाग की रैपिड रेस्क्यू टीम (RRT) ने एक व्यस्क मादा भालू को सफलतापूर्वक पकड़ लिया है, जिससे क्षेत्र में भय का माहौल समाप्त हुआ है।
भालू के हमलों से परेशान थे ग्रामीण
डांसा पंचायत में भालू द्वारा पालतू पशुओं को निशाना बनाए जाने की घटनाओं से ग्रामीण काफी परेशान थे। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, वन मंडल अधिकारी रामपुर गुरहर्ष सिंह के निर्देश पर तुरंत रैपिड रेस्क्यू टीम को मौके पर भेजा गया।
टीम ने लगाया था इलाके में पिंजरा
डिप्टी रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर ललित भारती की अगुवाई में टीम ने भालू को पकड़ने के लिए इलाके में एक पिंजरा लगाया। टीम की कड़ी मेहनत रंग लाई और पिछली रात एक व्यस्क मादा भालू को पिंजरे में कैद करने में सफलता मिली।
वन्यजीव संरक्षण में भी महत्वपूर्ण कदम
वन रक्षक सरजीत कुमार ने बताया कि यह ऑपरेशन न केवल डांसा पंचायत के निवासियों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि वन्यजीव संरक्षण में भी यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
मादा भालू पहली बार पकड़ी
सहायक उप-अरण्यपाल वन मंडल रामपुर तेज सिंह ने बताया कि यह पूरे हिमाचल प्रदेश में पहली बार है, जब किसी व्यस्क मादा भालू को सफलतापूर्वक पकड़ा गया है।
गत वर्ष पकड़े थे तीन भालू के बच्चे
पिछले वर्ष भी RRT की इसी टीम ने सराहन के रंगोरी गांव में तीन भालू के बच्चों को पकड़ा था, लेकिन इस बार व्यस्क मादा भालू को पकड़ना एक बड़ी उपलब्धि है, जो टीम की विशेषज्ञता और साहस को दर्शाता है।
बच्चों को बाहर भेजने से कतराते थे लोग
स्थानीय लोगों ने कहा कि पिछले कई दिनों से पालतू पशुओं को लेकर बहुत डर लग रहा था। भालू के हमलों से गांव में एक डर का माहौल बन गया था। बच्चे भी बाहर जाने से डरते थे। अब हम सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

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