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    Himachal Assembly: शिक्षा मंत्री सदन में बोले- अगले महीने पूर्ण साक्षर राज्य बनेगा हिमाचल, मर्ज स्कूलों पर होगा पुनर्विचार

    Updated: Wed, 27 Aug 2025 03:56 PM (IST)

    Himachal Assembly शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश अगले महीने देश का पूर्ण साक्षर राज्य घोषित हो जाएगा। उन्होंने बताया कि सरकार शिक्षा विभाग को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। स्कूलों के विलय के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि सरकार जरूरत पड़ने पर पुनर्विचार करेगी।

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    हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर।

    राज्य ब्यूरो, शिमला। Himachal Assembly, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि शिक्षा विभाग को मजबूत करने के सरकार के प्रयास लगातार जारी है। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों का नतीजा ही है कि हिमाचल नेशनल सर्वे में देश के पांचवें स्थान पर आया है। उन्होंने कहा कि 1947 में प्रदेश की साक्षर दर जहां 7 प्रतिशत थी, वहीं अगले महीने हिमाचल को देश का पूर्ण साक्षर राज्य घोषित किया जाएगा।

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    विधानसभा में शून्यकाल के बाद ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में भरमौर के विधायक डा. जनकराज और सुंदरनगर के विधायक राकेश जम्वाल ने राजकीय माध्यमिक पाठशाला चलौली एवं प्राथमिक पाठशाला नेरी को डिनोटीफाई करने से उत्पन्न हुई स्थिति के बारे में सदन का ध्यान आकर्षित किया।

    इस पर रोहित ठाकुर ने कहा कि जिन स्कूलों में बच्चों की संख्या ज्यादा होगी, वहां पर स्कूलों को मर्जर करने पर सरकार पर पुनर्विचार करेगी। प्रदेश में स्कूलों को मर्ज करने का सरकार के फैसले का विपक्ष के साथियों ने भी समर्थन किया है। स्कूलों को मर्ज करने के सभी जगह एक समान मानक तय किए गए थे।

    यूपी में 30 हजार स्कूल मर्ज

    उन्होंने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में भी स्कूलों को मर्ज किया गया है। अकेले यूपी में ही 30 हजार स्कूलों को मर्ज किया गया है। विशेष परिस्थिति वाले पहाड़ी राज्यों में स्कूलों को मर्ज किया गया है। पूरे देश में पिछले 10 सालों में 90 हजार स्कूलों को मर्ज किया गया है।

    हिमाचल में 1353 स्कूल मर्ज

    उन्होंने कहा कि हिमाचल में 1353 स्कूलों को मर्ज किया गया है। जिसमें जीरो एनरोलमेंट वाले 628 स्कूल है। स्कूलों के मर्ज करने से 1424 टीचर मिले हैं, जिससे शिक्षा में सुधार हो रहा है।

    पांच लाख से दो लाख रह गया आंकड़ा

    उन्होंने कहा कि पहले कक्षा एक से पांचवीं तक निजी व सरकारी स्कूलों में छह लाख से ज्यादा बच्चे पंजीकृत थे, जिसमें से पांच लाख 90 हजार सरकारी स्कूल में पंजीकृत थे। आज स्थिति यह है कि स्कूलों में चार लाख 32 हजार बच्चे पंजीकृत है और इसमें सरकारी स्कूलों में 2 लाख 900 बच्चे सरकारी स्कूलों में पंजीकृत है।

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    जनसंख्या वृदि्ध दर कम होने से घटे दाखिले

    स्कूलों और कालेजों में छात्रों की एनरोलमेंट कम हो गई है। जिसका कारण जनसंख्या वृद्धि दर कम होना है। कई उच्च शिक्षण संस्थान ऐसे हैं जहां पर बच्चों का दाखिला 100 से भी कम रह गया है। शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार का उद्देश्य बिना किसी कारण के स्कूलों को बंद करना नहीं है।

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