हिमाचल में प्राथमिक शिक्षकों का धरना आज, सरकार ने दी वॉर्निंग, कहा- कक्षाएं छोड़कर गए तो होगी कार्रवाई
हिमाचल सरकार ने प्राथमिक शिक्षकों को कक्षाएं छोड़कर धरने पर जाने से पहले ही कार्रवाई की चेतावनी दी है। शिक्षकों ने 26 अप्रैल को शिमला के चौड़ा मैदान में धरना देने का नोटिस दिया था। सरकार ने इसे रद्द करने का निर्देश दिया है। इसके बावजूद शिक्षकों का कहना है कि धरना होगा।

जागरण टीम, शिमला। हिमाचल सरकार ने प्राथमिक शिक्षकों को कक्षाएं छोड़कर धरने पर जाने से पहले ही कार्रवाई की चेतावनी दी है। शिक्षकों ने 26 अप्रैल को शिमला स्थित चौड़ा मैदान में धरना देने का नोटिस दिया था, जिससे सरकार ने रद करने का निदेश दिया है। इसके बावजूद शिक्षकों का कहना है कि धरना होकर रहेगा।
शिक्षा सचिव राकेश कंवर की ओर से जारी आदेशों में कहा गया है कि अगर स्कूल में कक्षाओं को छोड़कर हजारों शिक्षक शिमला में प्रदर्शन करते है तो उनके विरुद्ध नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी। शिक्षकों ने स्कूल शिक्षा निदेशालय के गठन के विरोध में धरने का निर्णय लिया है।
प्रदर्शन को माना जाएगा मिस कंडक्ट
सरकार ने शिक्षक संघ को नोटिस के माध्यम से प्रदर्शन नहीं करने की चेतावनी दी। शिक्षा सचिव की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि अगर शिक्षकों ने शनिवार को विरोध-प्रदर्शन किया तो इसे मिस कंडक्ट माना जाएगा।
शिक्षकों को प्रदर्शन के नोटिस को तुरंत वापस लेने और किसी भी तरह के विरोध या आंदोलन में शामिल होने से बचने का निर्देश है। कानून के अनुसार संघ पदाधिकारियों व सभी प्रदर्शनकारी शिक्षकों के विरुद्ध अनुशासनात्मक और अन्य कार्रवाई होगी।
चौड़ा मैदान में प्रदर्शन की तैयारी
राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ प्रारंभिक शिक्षा और उच्च शिक्षा निदेशालय को मर्ज कर एक निदेशालय बनाने का विरोध कर रहा है। सरकार के नोटिस बावजूद शनिवार को चौड़ा मैदान शिमला में प्रदेशभर के शिक्षक धरना प्रदर्शन करने जा रहे हैं। इस संबंध में सरकार को सूचित कर दिया गया है।
शिमला में शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष जगदीश शर्मा ने कहा कि सरकार उन्हें चाहे निलंबित करदे। धरना-प्रदर्शन होकर रहेगा।
उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में सरकार बदलाव कर रही है, जिसका शिक्षक स्वागत करते हैं, लेकिन एक निदेशालय बनाने से शिक्षा में गुणात्मक सुधार के बजाय शिक्षा का बुनियादी ढांचा तहस नहस हो जाएगा। इसको लेकर कई बार सरकार के साथ वार्ता भी हुई है लेकिन परिणाम निराशाजनक ही रहे हैं।

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