हिमाचल के स्कूलों में तैनात कंप्यूटर शिक्षकों को नियमित करने की तैयारी, हाई कोर्ट के आदेश के बाद विधि विभाग से मांगी राय
हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में आउटसोर्स पर लगे कंप्यूटर शिक्षकों को नियमित करने की तैयारी है। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद शिक्षा विभाग ने विधि विभाग से राय मांगी है। न्यायालय ने शिक्षकों को 2016 से नियमित करने का आदेश दिया था। प्रदेश के स्कूलों में करीब 1,300 कंप्यूटर शिक्षक कार्यरत हैं, जो लंबे समय से नियमित होने की मांग कर रहे हैं।

हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में तैनात कंप्यूटर शिक्षकों को नियमित करने की तैयारी है। प्रतीकात्मक फोटो
राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में आउटसोर्स आधार पर नियुक्त कंप्यूटर शिक्षकों को नियमित करने की तैयारी है। प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के बाद विभाग ने इसकी फाइल विधि विभाग को भेजी है। विधि विभाग की राय आने के बाद विभाग इस मामले में आगामी निर्णय लेगा।
हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग को 12 सप्ताह के भीतर संपूर्ण कार्यवाही पूरी करने के आदेश दे रखे हैं। विधि विभाग की राय को विभाग कोर्ट में भी रखेगा। उसके बाद ही इस मामले में आगे बढ़ेगा।
2016 से नियमित करने का दिया था आदेश
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने सितंबर महीने में राज्य के सरकारी स्कूलों में आउटसोर्स के आधार पर नियुक्त कंप्यूटर शिक्षकों को वर्ष 2016 से नियमित करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि याचिकाएं उसी वर्ष से दायर हुई हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को सभी लाभों का पात्र भी बताया।
1300 शिक्षक हैं स्कूलों में कार्यरत
प्रदेश के स्कूलों में करीब 1,300 कंप्यूटर शिक्षक आउटसोर्स के आधार पर नियुक्त हैं। लंबे समय से अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्हें स्वतंत्र एजेंसियों की ओर से नियोजित किया गया है, जो राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर स्कूलों में विषय पढ़ाने के लिए नियुक्त किए गए हैं।
25 साल पहले शुरू हो गई थी आउटसोर्स आधार पर भर्ती
प्रदेश में साल 2001-02 से आउटसोर्स एजेंसियों के माध्यम से स्कूलों में आईटी शिक्षा शुरू हुई थी। लंबी सेवा के बावजूद ये शिक्षक नियमित नहीं हुए हैं। इसी अवधि के दौरान पीटीए, ग्रामीण विद्या उपासक और पीएटी शिक्षकों को भी नियुक्त किया गया। इन सभी श्रेणियों के शिक्षक नियमित हो चुके हैं। राज्य सरकार ने वर्ष 2016 में राज्य ने पीजीटी (आईपी) के लिए एक संवर्ग बनाया और भर्ती नियमों में संशोधन कर पांच वर्ष का शिक्षण अनुभव शामिल किया। भर्ती शुरू की गई, लेकिन बाद में रद्द कर दी गई।
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