हिमाचल के सरकारी स्कूलों में बिना TET पढ़ा रहे शिक्षकों का आंकड़ा आया सामने, अब क्या होगा सरकार का अगला कदम?
हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कार्यरत हजारों शिक्षक टेट उत्तीर्ण नहीं हैं, जिनकी नियुक्ति 2010 से पहले हुई थी। राज्य सरकार इन शिक्षकों को राहत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की योजना बना रही है। शिक्षा सचिव ने निदेशालय को इस पर जल्द कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

हिमाचल प्रदेश में बिना टेट पास शिक्षकों का आंकड़ा सामने आ गया है। प्रतीकात्मक फोटो
अनिल ठाकुर, शिमला। हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 8727 शिक्षक टेट (अध्यापक पात्रता परीक्षा) पास नहीं हैं। इनमें से 5552 जेबीटी, 853 एचटी, 459 सीएचटी, 377 सीएंडवी और 1486 टीजीटी शामिल हैं। इन शिक्षकों का सेवाकाल अभी पांच वर्ष या इससे अधिक का बचा हुआ है। सभी शिक्षकों की नियुक्ति वर्ष 2010 से पहले हुई थी।
राज्य सरकार इन शिक्षकों की नौकरी बचाने और राहत दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की योजना बना रही है। सरकार ने स्कूल शिक्षा निदेशालय को इस संबंध में निर्देश दिए थे।
निदेशालय ने मांगी थी जानकारी
निदेशालय ने सभी जिलों के उपनिदेशकों को पत्र भेजकर पूछा था कि उनके जिले में कितने ऐसे शिक्षक हैं जिन्होंने टेट पास नहीं किया है और जिनकी सेवानिवृत्ति में अभी पांच साल या इससे अधिक समय बचा हुआ है। जिलों से प्राप्त डाटा के आधार पर शिक्षा विभाग जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने जा रहा है।
शिक्षा सचिव ने दिया निदेशक को निर्देश
शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने सोमवार को निदेशक स्कूल शिक्षा विभाग आशीष कोहली को निर्देश दिया कि वे इस पर जल्द कार्रवाई शुरू करें ताकि शिक्षकों को राहत मिल सके।
कई राज्य पहले ही जा चुके हैं सुप्रीम कोर्ट
उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित कई राज्य पहले ही इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं। अब हिमाचल भी इसी दिशा में कदम बढ़ाने की तैयारी में है। विभाग इस मामले में विधि विभाग से भी राय ले चुका है।
कोर्ट ने किया है सभी शिक्षकों के लिए टेट अनिवार्य
पहली सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाने वाले सभी सरकारी-निजी शिक्षकों के लिए टेट अनिवार्य कर दिया है। जिन शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु में पांच साल से अधिक का समय है, उन्हें यह परीक्षा पास करनी होगी। जिनकी सेवा के केवल पांच साल बचे हैं, उन पर इस आदेश का फर्क नहीं पड़ेगा। परीक्षा पास न करने वाले शिक्षकों को नौकरी छोड़नी पड़ेगी।
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हिमाचल में 2010 में आरंभ किया गया था टेट
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) में शिक्षक लगने के लिए टेट शुरू किया था। वर्ष 2009 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) लागू किया गया था। हिमाचल में 2010 में टेट आरंभ किया था। 2010 से पहले जितने भी शिक्षक लगे हैं वे टेट उत्तीर्ण नहीं हैं। हालांकि इनमें ज्यादातर शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

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