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    सावधान! हिमाचल के सबसे बड़े अस्पताल में हिमकेयर और आयुष्मान योजना में नहीं मिल रहा उपचार, इधर-उधर भटक रहे मरीज

    By Shikha Verma Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Tue, 28 Oct 2025 05:37 PM (IST)

    शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में हिमकेयर और आयुष्मान योजना के तहत इलाज बंद होने से मरीजों को परेशानी हो रही है। सरकार से अनुदान राशि न मिलने के कारण मरीजों को मुफ्त इलाज नहीं मिल पा रहा और उन्हें अपनी जेब से पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। रिपन अस्पताल में भी यही हाल है।

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    आईजीएमसी शिमला में हिमकेयर और आयुष्मान योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। प्रतीकात्मक फोटो

    जागरण संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आइजीएमसी में हिमकेयर और आयुष्मान कार्ड से मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा है। ऐसे में मरीजों को अपनी जेब ढीली करनी पड़ रही है। अस्पताल में पिछले कुछ दिन से हिम केयर व आयुष्मान योजना के तहत उपचार बंद है।

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    मरीज इधर उधर घूमने को मजबूर

    अब अस्पताल में प्रतिदिन उपचार के लिए पहुंच रहे मरीज हाथ में मुफ्त उपचार का कार्ड लेकर इधर-उधर घूमने के लिए मजबूर हैं, लेकिन कार्ड के तहत उन्हें कोई सामान नहीं दिया जा रहा है। 

    काफी समय से नहीं मिली राज्य सरकार से अनुदान राशि

    अस्पताल में हिम केयर व आयुष्मान कार्ड धारक मरीजों को मुफ्त उपचार देने के लिए राज्य सरकार से अनुदान राशि मिलती है, लेकिन अब काफी समय से अनुदान राशि नहीं मिली है।

    लंबित भुगतान जारी न होने तक नहीं देंगे सामान

    आयुष्मान और हिम केयर की करोड़ों रुपये की राशि प्रदेश सरकार के पास फंसी है। अस्पताल प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग को इसके बारे में जानकारी दे दी है। सूत्रों के अनुसार कई कंपनियों ने चेतावनी दी है कि जब तक लंबित भुगतान जारी नहीं किए जाते हैं। तब तक किसी भी प्रकार की मेडिकल सप्लाई नहीं करेंगी। 

    रिपन अस्पताल में भी यही स्थिति

    केवल आइजीएमसी ही नहीं बल्कि रिपन अस्पताल की भी ये रही स्थिति बनी हुई है। दुकानों में जो दवाइयां है वो ही दवाइयां मरीजों को दी जा रही है। इसके अलावा अन्य कोई भी सामान कंपनी नहीं दे रही है।

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    2500 के करीब मरीज पहुंचते हैं रोजाना आईजीएमसी

    आइजीएमसी में हर दिन 2000 से 2500 मरीज इलाज के लिए आते हैं। वही रिपन अस्पताल में रोजाना 1000 से ज्यादा मरीज अपना इलाज करवाने के लिए आते है। मरीजों को हिमकेयर और आयुष्मान सुविधा नहीं मिल रही है। मरीजों को मुफ्त उपचार के बजाय निजी तौर पर दवाएं और सामान खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है।

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