हिमाचल प्रदेश: किन्नौर में पक्षियों की 4 नई प्रजातियां देखी गईं, विश्व प्रवासी पक्षी दिवस पर किए गए सर्वे में आए सामने
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में विश्व प्रवासी पक्षी दिवस पर हुए सर्वे में पक्षियों की चार नई प्रजातियां - ब्लूथ्रोट, गार्गनी, टेमिंक्स और यूरेशियन - पाई गईं। इस सर्वे का उद्देश्य पक्षियों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उनके प्रवासन पैटर्न का अध्ययन करना है। हिमाचल प्रदेश में 149 पक्षी प्रजातियों को रिकॉर्ड किया गया, जिसमें किन्नौर, कांगड़ा और सिरमौर जिलों में सबसे अधिक प्रजातियां दर्ज की गईं।

किन्नौर में पक्षी की चार नई प्रजातियां पाई गई हैं।
राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिला में पक्षियों की 4 नई प्रजातियां पाई गई हैं। 11 अक्टूबर को मनाए गए विश्व प्रवासी पक्षी दिवस पर किए गए सर्वे में इसका पता चला है। ब्लूथ्रोट, गार्गनी, टेमिंक्स, यूरेशियन शामिल हैं।
पक्षियों के संरक्षण के प्रति प्रेरित करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है ताकि एक विशाल सूची को तैयार किया जा सके। इसके अलावा पक्षियों की प्रवासन पैटर्न को भी स्टडी किया जा सके।
पूरे विश्व में 7570 के लगभग पक्षी प्रजातियों को ई बर्ड के माध्यम से रिकार्ड किया गया। देश में भी यह दिवस मनाया गया। भारत में 744 पक्षी प्रजातियों को रिकार्ड किया गया। हर वर्ष की भांति हिमाचल में सभी पक्षी प्रेमियों ने भी इसमें भाग लिया। देश में हिमाचल 17वें स्थान पर रहा।
149 पक्षी प्रजातियों रिकॉर्ड की
हिमाचल के 8 जिलों से इस उत्सव में सहभागिता रही। इसमें 149 पक्षी प्रजातियों को रिकॉर्ड किया गया, जिसमें तीन जिलों में किन्नौर, कांगड़ा और सिरमौर में पक्षियों की सबसे ज्यादा प्रजातियां रिकार्ड की गई। किन्नौर जिला से वन्यप्राणी परिक्षेत्र सांगला की पूरी टीम ने भाग लिया। इनमें रक्छम छितकुल में पूरे दिन बर्ड सर्वे किया गया। ई बर्ड के माध्यम से ऑनलाइन प्रविष्टी दर्ज करवाई गई।
पांच ट्रैक्स में सर्वे किया
टीम के सदस्यों में रूप सिंह, गोपाल नेगी, संतोष कुमार ठाकुर, छायानंद, पवन कुमार, कुमारी अल्पना, कुमारी सोनिया, चंद्र प्रकाश, प्रशांत नेगी और अंबिका ने भाग लिया। रक्छम छितकुल और किन्नौर जिला में पांच ट्रैक्स में सर्वे किया गया। 69 पक्षियों की प्रजातियां दर्ज की गई।
टीम ने सराहनीय कार्य किया
उपअरण्यपाल सराहन अशोक नेगी ने बताया कि इस तरह का सर्वे वन्यप्राणी प्रभाग समय समय पर करवाता रहता है ताकि हमे विभिन्न पक्षी प्रजातियों के बारे में पता चलता रहे कि कौन सी पक्षियों की प्रजाति किस समय क्षेत्र अनुसार आती हैं। जिससे क्षेत्र के अनुसार पक्षी प्रजातियों की सूची तैयार की जा सके।
इस सर्वेक्षण को सफल बनाने के लिए संतोष ठाकुर उप वन राजिक के नेतृत्व में वन्य प्राणी परिक्षेत्र सांगला की पूरी टीम के सदस्यों ने सराहनीय कार्य किया। उनकी इस सहभागिता से किन्नौर जिला के रक्छम छितकुल वन्य प्राणी अभयारण्य स्थल पूरे विश्व पटल पर स्थापित हुई।
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