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    अब तक 295 की मौत, 316 सड़कें बंद... हिमाचल में मानसून का कहर जारी, पर्यटकों की भी बढ़ी मुश्किल

    शिमला में भारी बारिश और भूस्खलन से हिमाचल प्रदेश में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार 316 सड़कें अवरुद्ध हैं और कई बिजली तथा जलापूर्ति योजनाएँ बाधित हैं। मानसून की शुरुआत से अब तक 295 मौतें हुई हैं जिनमें से 151 बारिश से संबंधित घटनाओं के कारण हुईं। कुल्लू ज़िले में सबसे ज़्यादा सड़कें बंद हैं।

    By Digital Desk Edited By: Prince Sharma Updated: Sat, 23 Aug 2025 12:04 PM (IST)
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    हिमाचल में मानसून का कहर जारी, पर्यटकों की भी बढ़ी मुश्किल (एजेंसी फोटो)

    डिजिटल डेस्क, शिमला। हिमाचल प्रदेश में बारिश और भूस्खलन से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है।राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में भारी मानसूनी बारिश जारी है, जिससे राष्ट्रीय राजमार्ग-305 सहित 316 सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं और विभिन्न जिलों में 110 बिजली ट्रांसफार्मर और 131 जलापूर्ति योजनाएं बाधित हुई हैं।

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    20 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से, राज्य में 295 मौतें दर्ज की गई हैं, जिनमें से 151 मौतें भूस्खलन, अचानक बाढ़ और घर गिरने जैसी बारिश से संबंधित घटनाओं के कारण हुईं, जबकि 144 सड़क दुर्घटनाओं में हुईं।

    कुल्लू जिले में 105 सड़कें बंद

    शुक्रवार शाम 6 बजे की अपनी जनोपयोगी स्थिति रिपोर्ट में एसडीएमए ने कहा कि कुल्लू ज़िले में सबसे ज़्यादा 105 सड़कें बंद रहीं, इसके बाद मंडी में 157, कांगड़ा में 23 और चंबा में 4 सड़कें बंद रहीं। एनएच-305 बालीचौकी और गजदाहर में बंद रहा और वैकल्पिक मार्ग भी अवरुद्ध रहे। इसर कारण न केवल स्थानीय लोग बल्कि पर्यटकों की भी मुश्किल बढ़ गई है।

    बिजली आपूर्ति में सबसे ज़्यादा व्यवधान कुल्लू में रहा, जहां 77 वितरण ट्रांसफार्मर ठप हो गए, उसके बाद मंडी में 15 और कांगड़ा में 6 ट्रांसफार्मर ठप हो गए। कुल्लू में 75, मंडी में 43 और लाहौल-स्पीति में 2 जलापूर्ति प्रभावित हुई।

    बारिश और भूस्खलन से हालात खराब

    एसडीएमए ने कहा कि मरम्मत का काम जारी है। लेकिन लगातार बारिश और बार-बार हो रहे भूस्खलन के कारण काम में बाधा आ रही है। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि क्षेत्रीय टीमें अवरुद्ध सड़कों को साफ़ करने, बिजली बहाल करने और जलापूर्ति बहाल करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रही हैं।

    आपदा प्राधिकरण ने जनता से अनावश्यक यात्रा से बचने, खासकर भूस्खलन-प्रवण इलाकों में और मौसम संबंधी सलाह के प्रति सतर्क रहने का भी आग्रह किया है। इस बीच, बारिश से संबंधित मौतों के विश्लेषण से कई कारण सामने आए हैं।

    इसके अनुसार, 10 भूस्खलन से, नौ अचानक आई बाढ़ से, 17 बादल फटने से, 31 डूबने से, और कई अन्य बिजली के झटके, सांप के काटने और दुर्घटनावश गिरने से हुईं।

    मंडी में सबसे ज्यादा मौतें

    जिला-स्तरीय आंकड़ों के अनुसार, मंडी में सबसे ज़्यादा 26 मौतें हुईं, उसके बाद कांगड़ा (29) और चंबा (14) का स्थान रहा। इसके साथ ही, सड़क दुर्घटनाओं ने भी हताहतों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। वृद्धि की है। चंबा में 21, मंडी में 22, कांगड़ा में 18 और शिमला में 15 मौतें हुईं।

    मंडी, कांगड़ा और कुल्लू आर्थिक क्षति के मामले में सबसे ज्यादा प्रभावित जिले हैं। नुकसान में सार्वजनिक और निजी संपत्ति, फसलें और पशुधन शामिल हैं, जिससे राज्य को लंबे समय तक उबरने में समय लगेगा।

    (समाचार एजेंसी पीटीआई इनपुट के साथ)