शिमला नगर निगम मेयर का कार्यकाल बढ़ाने पर हाई कोर्ट ने सरकार को जारी किया नोटिस, एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने का आरोप
शिमला नगर निगम के मेयर का कार्यकाल बढ़ाने के मामले में हाई कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि सरकार ने एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों में बदलाव किया। कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है और अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है।

शिमला स्थित नगर निगम का कार्यालय। जागरण आर्काइव
विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने नगर निगम शिमला मेयर के कार्यकाल को 5 वर्ष करने के सरकार के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका में राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। जनहित याचिका के माध्यम से सरकार द्वारा इस बाबत लाए गए अध्यादेश को चुनौती दी गई है।
अधिवक्ता अंजली सोनी वर्मा ने सरकार के निर्णय को चुनौती देते हुए राज्य सरकार के शहरी विभाग सहित राज्य निर्वाचन आयोग व महापौर सुरेंद्र चौहान को प्रतिवादी बनाया है।
11 नवंबर तक जवाब तलब
इस जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने सुनवाई के पश्चात उपरोक्त प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर 11 नवंबर तक जवाब तलब किया है।
एक व्यक्ति को लाभ के लिए अध्याधेश लाने का आरोप
याचिकाकर्ता का आरोप है कि प्रदेश सरकार ने एक व्यक्ति विशेष को गैरकानूनी लाभ पहुंचाने के इरादे से महापौर के कार्यकाल को 5 वर्ष करने का अध्यादेश लाया। प्रार्थी का कहना है कि अध्यादेश आपातकालीन परिस्थितियों में लाया जाता है।
सरकार ने शक्तियों का दुरुपयोग किया
मौजूदा मेयर के कार्यकाल की समाप्ति पर किसी पात्र महिला को मेयर पद के लिए चयनित होने का मौका दिया जाना चाहिए था। आरोप लगाया गया है कि सरकार ने महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन करने के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है इसलिए इस अध्यादेश को रद्द किया जाना चाहिए।
ढाई साल के लिए महिला पार्षद को बनना था मेयर
याचिकाकर्ता व अधिवक्ता अंजली सोनी वर्मा ने आरोप लगाया है कि आरक्षण रोस्टर के अनुसार अगले ढाई साल के लिए अनुसूचित जाति की महिला पार्षद को मेयर बनना था, लेकिन सरकार ने इसे बदलते हुए मौजूदा मेयर को लाभ पहुंचाने के लिए इसे पांच साल बढ़ा दिया है। सरकार ने तर्क दिया कि हॉर्स ट्रेडिंग रोकने और प्रशासनिक स्थिरता के लिए कार्यकाल को पांच साल किया गया है।
25 अक्टूबर को कैबिनेट ने दी थी मंजूरी
25 अक्टूबर को सुक्खू कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसके बाद सरकार ने अध्यादेश जारी किया है। इसे आगामी शीतकालीन सत्र में विधानसभा में रखा जाएगा। नगर निगम शिमला मेयर सुरेंद्र चौहान का ढाई वर्ष का कार्यकाल 15 नवंबर को खत्म हो रहा था। सामान्य स्थिति में मेयर और डिप्टी मेयर का बदलना तय था, लेकिन अब अध्यादेश लागू होने से यह बदलाव नहीं होगा।
फैसले से कांग्रेस में भी मतभेद आए सामने
इस फैसले से कांग्रेस के भीतर भी मतभेद सामने आए हैं। 15 कांग्रेस पार्षदों ने मुख्यमंत्री सुक्खू से ओक ओवर में मुलाकात कर इस कदम पर असहमति जताई। हालांकि, सीएम सुक्खू ने स्पष्ट कर दिया कि फैसला वापस नहीं लिया जाएगा और सभी पार्षदों से एकजुट होकर काम करने की अपील की।
पूर्व सरकार ने किया था ढाई-ढाई साल का रोटेशन
पूर्व भाजपा सरकार ने ही मेयर का ढाई-ढाई साल का रोटेशनल सिस्टम लागू किया था, ताकि आरक्षण प्रणाली और लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व का संतुलन बना रहे। अब मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया है, और राज्य की निगाहें अदालत के फैसले पर टिक गई हैं।
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वर्तमान में ये है स्थिति
शिमला नगर निगम में कुल 34 वार्ड हैं। जिनमें से 25 पर कांग्रेस, 8 पर भाजपा और एक वार्ड माकपा के पास हैं। 34 में से 21 महिला पार्षद हैं इसलिए ये मसला काफी गरमाया है।

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