वित्तीय संकट से जूझ रही सुक्खू सरकार, 200 करोड़ का फिर लेगी ऋण
वित्तीय संकट से जूझ रही हिमाचल प्रदेश सरकार एक बार फिर 200 करोड़ रुपये का ऋण लेने जा रही है, जिसे 6 साल में चुकाना होगा। इस ऋण के बाद राज्य पर कुल कर्ज 1,01,775 करोड़ रुपये हो जाएगा। सरकार इस राशि का उपयोग विकास कार्यों के लिए करेगी। राज्य सरकार केंद्र से ऋण लेने की सीमा बढ़ाने की मांग कर रही है।
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वित्तीय संकट में सुक्खू सरकार। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, शिमला। कठिन वित्तीय हालात के बीच राज्य सरकार एक बार फिर से 200 करोड़ रुपए का ऋण लेने जा रही है। कर्ज की यह राशि 6 वर्ष की अवधि के लिए ली जाएगी। यानि 29 अक्टूबर 2031 तक इस ऋण की राशि को वापिस करना होगा। इसके लिए नीलामी प्रक्रिया 28 अक्टूबर को पूरी कर ली जाएगी।
राज्य सरकार के खाते में 29 अक्टूबर को यह राशि आ जाएगी। 200 करोड़ का ऋण लेने के बाद हिमाचल पर लेने के बाद हिमाचल प्रदेश पर करीब 1,01,775 करोड़ रुपए कर्ज हो जाएगा। हिमाचल पहले ही 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक कर्ज चढ़ चुका है, जो भविष्य के लिए सुखद हालात नहीं है। सचिव वित्त की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि इस राशि को विकास कार्यों पर खर्च किया जाएगा।
राज्य सरकार ने हाल ही में कर्मचारियों को डीए की किस्त जारी करने की घोषणा की थी। राज्य सरकार को दिसंबर माह तक 7,000 करोड़ रुपए ऋण लेने की लिमिट तय है। 200 करोड़ का ऋण लेने के बाद 6,900 करोड़ रुपए कर्ज लेने की लिमिट हिमाचल पूरी कर लेगा। इसके बाद सरकार के पास महज 100 करोड़ रुपए कर्ज में अपना गुजारा करना होगा।
राज्य सरकार लगातार केंद्र के समक्ष ऋण लेने की सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन केंद्र ने इसमें अभी तक कोई छूट राज्य को नहीं दी है। मौजूदा समय में सरकार को प्रति माह करीब 2,800 करोड़ रुपए की प्रतिबद्ध देनदारियां निपटानी होती है।
इसमें वेतन के लिए 2,000 करोड़ रुपए, पैंशन के लिए 8,00 करोड़ रुपए, पहले लिए गए ऋण के ब्याज की अदायगी के लिए 500 करोड़ रुपए और कुल कर्ज का मूलधन चुकाने के लिए 300 करोड़ रुपए की आवश्यकता रहती है।

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