Himachal News: तारादेवी-शिमला रोपवे का नए सिरे से होगा टेंडर, सरकार का बड़ा निर्णय; पूरे प्रोसेस में लगेगा इतना टाइम
तारादेवी-शिमला रोपवे परियोजना के लिए राज्य सरकार नए सिरे से टेंडर जारी करेगी। पहले जारी टेंडर में केवल एक कंपनी के आने के कारण सरकार ने यह फैसला लिया है। लागत में वृद्धि और पारदर्शिता बनाए रखने की आवश्यकता के चलते यह निर्णय लिया गया है। इस प्रक्रिया में पांच से छह महीने का समय लगने का अनुमान है।

राज्य ब्यूरो, शिमला। तारादेवी-शिमला के बीच प्रस्तावित 13.79 किलोमीटर लंबे रोपवे निर्माण के लिए अभी और इंतजार करना होगा। राज्य सरकार इस बहु प्रतिष्ठित परियोजना के लिए अब नए सिरे से टेंडर करने जा रही है।
परियोजना निर्माण के लिए जारी टेंडर में एक ही कंपनी आई थी। इस कारण सरकार ने सिंगल टेंडर पर काम आवंटित करने से इन्कार कर दिया है।
हिमाचल प्रदेश रोपवे ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट कारपोरेशन को कहा है कि वह इसके लिए नए सिरे से ग्लोबल टेंडर जारी करें। इससे पहले भी तीन बार इसके लिए टेंडर जारी किए गए। एक ही कंपनी क्वालीफाई हुई थी।
सरकार नए सिरे से चाहती है टेंडर
सूत्रों के मुताबिक पहले यह प्रस्ताव कैबिनेट बैठक में मंजूरी के लिए भेजा गया था, लेकिन अंतिम समय में इसे विड्रो कर दिया गया। सरकार चाहती है कि नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाए। इसके लिए शार्ट टेंडर का विकल्प दिया है।
लग जाएगा छह महीने का समय
कारपोरेशन का तर्क है कि कम से कम इस प्रक्रिया को पूरा करने में पांच से छह महीने का समय लग जाएगा। रोपवे कारपोरेशन के अधिकारियों ने केंद्रीय आर्थिक मामले मंत्रालय और न्यू डेवलपमेंट बैंक को भी सिंगल टेंडर के बारे में अवगत करवा दिया था। इनके अधिकारियों ने भी इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई थी, लेकिन सरकार काम में पारदर्शिता चाहती है इसलिए नए सिरे से टेंडर करने का निर्णय लिया है।
पहले तीन बार टेंडर किए गए थे
कारपोरेशन का तर्क है कि पहले तीन बार टेंडर जारी किए गए थे लेकिन केवल एक ही कंपनी ने भाग लिया। रोपवे बनाने वाली कंपनियां बेहद कम हैं, इसके लिए ग्लोबल टेंडर की जरूरत रहती है।
दो साल की देरी से बढ़ी लागत
प्रारंभ में इस परियोजना की लागत 1734.40 करोड़ रुपये प्रस्तावित थी लेकिन अब इसमें दो साल की देरी के कारण लागत बढ़कर 2296 करोड़ रुपये हो गई है। इससे राज्य सरकार की हिस्सेदारी भी बढ़ गई है। एनडीबी इस परियोजना में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी प्रदान करेगा।
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पहले सरकार को 346.80 करोड़ खर्च करने थे लेकिन अब हिस्सेदारी बढ़कर 459.2 करोड़ रुपये पहुंच गई है। एनडीबी इसके लिए ऋण देगा। ऐसे में राज्य सरकार को इस मामले को दोबारा केंद्र सरकार और एनडीबी के समक्ष उठाना पड़ेगा।
टेंडर में एक ही कंपनी क्वालीफाई हुई
हिमाचल प्रदेश रोपवे ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट कारपोरेशन ने इसके लिए टेंडर जारी कर निविदाएं मांगी थीं। तीन बार इसके लिए टेंडर जारी किए गए, लेकिन एक ही कंपनी क्वालीफाई हुई। कंपनी ने 2700 करोड़ रुपये की बिडिंग की थी।
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कंपनी के पदाधिकारियों के साथ नेगोसिएशन बैठक में 2296 करोड़ रुपये की लागत तय हुई है। कंपनी स्पष्ट कर चुकी है कि 1734.40 करोड़ में यह परियोजना तैयार नहीं हो सकती। कंपनी का कहना है कि जब इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की थी तब कीमतें कुछ और थीं।

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