Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हिमाचल में शिक्षकों का अनशन जारी, महिला टीचर भी धरने पर बैठीं; सुक्खू सरकार को दी चेतावनी

    Updated: Mon, 26 May 2025 03:02 PM (IST)

    शिमला में राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ का क्रमिक अनशन दूसरे महीने में प्रवेश कर गया। महिला शिक्षकों ने चेतावनी दी कि मांगें न मानी गईं तो वे शिमला में धरना देंगी। संघ ने निदेशालय पर एसओपी का पालन न करने का आरोप लगाया और कहा कि सरकार शिक्षकों के हितों की अनदेखी कर रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री पर गुमराह करने का भी आरोप लगाया।

    Hero Image
    महिला शिक्षकों ने सुक्खू सरकार को चेतावनी दी है। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, शिमला। राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ का अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन सोमवार को दूसरे महीने में प्रवेश कर गया। क्रमिक अनशन के एक महीना पूरा होने पर रोष स्वरूप महिला अध्यापिकाएं अनशन पर बैठी। महिला शिक्षकों ने चेतावनी दी कि सरकार यदि उनकी मांगों को नहीं सुनती तो पूरे प्रदेश में सभी महिला शिक्षक शिमला आकर धरने में शामिल होगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्रमिक अनशन में शामिल होने वाली महिला शिक्षिकाओं में प्रदेश महिला प्रकोष्ठ की पूर्व अध्यक्षा मीरा भारद्वाज, प्रदेश महिला विंग की उपाध्यक्षा आरती चौहान, शिक्षा खंड नाराग से अनीता ठाकुर और नीलकमल गुप्ता, शिक्षा खंड राजगढ़ से प्रवेश कुमारी और शिक्षा खण्ड नौराधार से रक्षा शर्मा शामिल रहीं।

    क्रमिक अनशन में उनके साथ हिमाचल प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष जगदीश शर्मा, राज्य महासचिव संजय पीसी, राज्य के संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रमोद चौहान, राज्य के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रताप ठाकुर, राज्य की महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्षा अनुराधा मोहिल, प्रदेश के विशेष आमंत्रित सदस्य रमेश बिजलबान, जिला सिरमौर के अध्यक्ष कल्याण नेगी, जिला सिरमौर के सह सचिव लाल सिंह, जिला शिमला के कोषाध्यक्ष प्रेम लाल उपस्थित रहे।

    संघ के महासचिव संजय पीसी ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में अपनी अनसुनी मांग को लेकर प्राथमिक शिक्षकों को इसलिए आंदोलन के लिए विवश होना पड़ा। उन्होंने कहा कि एक निदेशालय को लेकर प्राथमिक शिक्षकों के मत को विभाग ने कभी गंभीरता से नहीं लिया। शिक्षा मंत्री ने संघ को 17 मार्च की आधिकारिक बैठक में आश्वस्त किया था कि एक निदेशालय को अस्तित्व में लाने से पूर्व एसओपी तैयार किए जाएंगे और वह प्राथमिक शिक्षक संघ के साथ सभी हितधारकों के साथ साझा किए जाएंगे।

    बिना एसओपी बनाए 2 अप्रैल को सीधे अधिसूचना जारी कर दी गई। प्राथमिक शिक्षक संघ की महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्षा अनुराधा मोहिल ने कहा कि मुख्यमंत्री को प्राथमिक शिक्षक संघ के संघर्ष के विषय में कुछ लोग गुमराह कर रहे हैं और यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि प्राथमिक शिक्षकों का यह संघर्ष मात्र पदोन्नतियों को यथावत रखने के लिए है।

    इसके विपरीत यह संघर्ष एकीकृत निदेशालय से प्राथमिक शिक्षा व प्राथमिक शिक्षकों के हितों को बुरी तरह प्रभावित होने वाले कई बिंदुओं को लेकर है। इसमें मुख्य शिक्षक, केंद्र मुख्य शिक्षक, खंड प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी से समस्त शक्तियों को छीन कर दूसरे वर्ग को दिया जा रहा है।